
Kerala Ragging Case: केरल के मेडिकल कॉलेज में रैगिंग का खौफनाक मामला: 5 सीनियर नर्सिंग छात्र गिरफ्तार
Kerala Ragging Case: केरल के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, कोट्टायम में रैगिंग का एक भयावह मामला सामने आया है, जिसमें पांच सीनियर नर्सिंग छात्रों को गिरफ्तार किया गया है। इन छात्रों पर अपने जूनियर्स के साथ अमानवीय व्यवहार करने, शारीरिक उत्पीड़न और पैसों की जबरन वसूली के गंभीर आरोप लगे हैं।
जूनियर्स को किया गया नग्न, किया गया शारीरिक शोषण
मेडिकल कॉलेज के तीन जूनियर नर्सिंग छात्रों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने बताया कि उनके सीनियर छात्रों ने उन्हें जबरन नग्न किया, उनकी तस्वीरें खींचीं और वजन उठाने वाले डंबल्स को उनके निजी अंगों से लटकाया। पुलिस जांच में इस बात की पुष्टि हुई है कि यह घटना दिसंबर 2024 से लगातार चल रही थी, लेकिन डर के कारण पीड़ित छात्र अब तक चुप रहे।
शारीरिक उत्पीड़न और पैसे की जबरन वसूली
शिकायतकर्ताओं के अनुसार, सीनियर छात्रों ने न केवल उन्हें शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया बल्कि उन्हें जबरन अल्कोहल खरीदने के लिए पैसे देने के लिए भी मजबूर किया। आरोपियों ने पीड़ितों को चाकू और कंपास जैसी नुकीली चीजों से घायल किया और फिर उन जख्मों पर लोशन लगाने के लिए मजबूर किया। इसके अलावा, उनके सिर, चेहरे और मुंह पर क्रीम लगाकर उनका अपमान भी किया गया।
कॉलेज प्रशासन और पुलिस की कार्रवाई
जब पीड़ित छात्रों ने अपने परिवारवालों को इस घटना के बारे में बताया, तो परिजनों ने तुरंत कॉलेज प्रशासन को इसकी सूचना दी। कॉलेज प्रशासन ने मामले की प्राथमिक जांच की और फिर पुलिस को सूचित किया। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए पांचों आरोपी छात्रों – राहुल राज, एन.एस. जीवा, एन.पी. विवेक, रिगिल जीत और सैमुअल जॉनसन को गिरफ्तार कर लिया।
Kerala Ragging Case: कानूनी धाराओं के तहत मामला दर्ज
गिरफ्तार किए गए छात्रों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 118(1), 308(2), 351(1) और केरल प्रोहिबिशन ऑफ रैगिंग एक्ट की धारा 3 और 4 के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस का कहना है कि इस मामले की गहराई से जांच की जा रही है और अन्य संभावित पीड़ितों से भी पूछताछ की जा रही है।
रैगिंग के खिलाफ सख्त कानून, फिर भी जारी हैं घटनाएं
केरल समेत पूरे भारत में रैगिंग को रोकने के लिए सख्त कानून मौजूद हैं। यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) और विभिन्न मेडिकल काउंसिल्स ने इसे रोकने के लिए कई दिशानिर्देश जारी किए हैं, लेकिन फिर भी ऐसे मामले सामने आते रहते हैं।
रैगिंग के दुष्प्रभाव और छात्रों की सुरक्षा
विशेषज्ञों के अनुसार, रैगिंग न केवल छात्रों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती है, बल्कि उनके आत्मसम्मान को भी ठेस पहुंचाती है। इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए कॉलेज प्रशासन को सतर्क रहना होगा और छात्रों को सुरक्षित माहौल प्रदान करना होगा।
अभिभावकों और समाज की भूमिका
रैगिंग जैसी घटनाओं को जड़ से खत्म करने के लिए माता-पिता, शिक्षकों और समाज को एकजुट होकर काम करना होगा। पीड़ित छात्रों को डरने के बजाय तुरंत प्रशासन और पुलिस को सूचित करना चाहिए ताकि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिल सके।
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