
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 'उर्स' पर दी शुभकामनाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को महान सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 813वें ‘उर्स’ के अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं। इस पवित्र मौके पर प्रधानमंत्री ने एक औपचारिक ‘चादर’ अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू और भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी को सौंपी, जिसे अजमेर शरीफ दरगाह में उनकी ओर से चढ़ाया जाएगा।
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती को ‘गरीब नवाज’ के नाम से जाना जाता है। उनकी दरगाह पर हर साल ‘उर्स’ का आयोजन होता है, जिसमें लाखों भक्त देश-विदेश से भाग लेने आते हैं। यह आयोजन धार्मिक सौहार्द और भाईचारे का प्रतीक है, जो भारतीय संस्कृति की विविधता और समृद्धि को दर्शाता है।
उर्स का महत्व और परंपराएं
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का उर्स हर साल उनके निधन की बरसी पर मनाया जाता है। इस दौरान अजमेर शरीफ दरगाह को विशेष रूप से सजाया जाता है और यहां सूफी संगीत, कव्वालियां और विशेष इबादतें होती हैं। देशभर के कोने-कोने से आए श्रद्धालु अपनी श्रद्धा व्यक्त करने के लिए दरगाह में चादर और फूल चढ़ाते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा भेजी गई चादर दरगाह में चढ़ाने की परंपरा पिछले कई वर्षों से चल रही है। यह कदम न केवल धार्मिक विविधता का सम्मान करता है बल्कि समाज में शांति और एकता का संदेश भी देता है।
प्रधानमंत्री का संदेश
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक संदेश में प्रधानमंत्री ने कहा, “ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का जीवन और उनकी शिक्षाएं मानवता, सेवा और शांति के प्रति समर्पित थीं। उनका संदेश आज भी हमारे समाज में प्रेम और सहिष्णुता का मार्गदर्शन करता है। उर्स के इस पवित्र अवसर पर मैं सभी देशवासियों को शुभकामनाएं देता हूं और प्रार्थना करता हूं कि यह अवसर सभी के जीवन में शांति और समृद्धि लाए।”
अजमेर शरीफ दरगाह: एकता और आस्था का केंद्र
अजमेर शरीफ दरगाह को भारत में धार्मिक एकता का प्रतीक माना जाता है। यह दरगाह सिर्फ मुसलमानों के लिए ही नहीं बल्कि हर धर्म और संप्रदाय के लोगों के लिए खुली रहती है। यहां हिंदू, मुस्लिम, सिख और अन्य धर्मों के लोग एकत्रित होकर अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।
हर साल उर्स के दौरान, न केवल भारत के कोने-कोने से बल्कि विदेशों से भी श्रद्धालु अजमेर पहुंचते हैं। इस दौरान विशेष सुरक्षा व्यवस्था की जाती है, और रेलवे, बस और अन्य परिवहन सेवाओं में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त इंतजाम किए जाते हैं।
सरकार और जनता की सहभागिता
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने प्रधानमंत्री मोदी की ओर से चादर सौंपते हुए कहा कि यह कदम देश की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता का सम्मान है। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार धार्मिक स्थलों की देखभाल और वहां जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है।
भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने कहा, “प्रधानमंत्री द्वारा भेजी गई चादर न केवल उनके श्रद्धा और सम्मान को दर्शाती है बल्कि यह समाज में सांप्रदायिक सद्भाव का भी प्रतीक है।”
ख्वाजा गरीब नवाज की शिक्षाएं और उनका प्रभाव
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का संदेश सादगी, सहिष्णुता और मानवता पर आधारित था। उनकी शिक्षाएं समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देती हैं। उनका प्रसिद्ध कथन “प्यार सबके लिए, नफरत किसी से नहीं” आज भी लोगों को प्रेरित करता है।
उनकी दरगाह पर आने वाले श्रद्धालुओं का कहना है कि यहां आकर उन्हें शांति और आत्मिक संतोष की अनुभूति होती है। उर्स के दौरान दरगाह में विशेष कव्वाली और सूफी संगीत का आयोजन होता है, जो एक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है।
उर्स और भारत का सांस्कृतिक सौहार्द
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का उर्स न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारत की विविधता और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक भी है। यह आयोजन हमें यह याद दिलाता है कि हमारा देश विभिन्न धर्मों, संस्कृतियों और परंपराओं का संगम है।
प्रधानमंत्री मोदी का इस अवसर पर शुभकामनाएं देना और चादर भेंट करना एक ऐसा कदम है जो इस सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को और मजबूत बनाता है।
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