
SCO Summit 2025 बदलता विश्व नक्शा और भारत की अहम भूमिका
SCO Summit 2025: आज वैश्विक राजनीति का सबसे बड़ा शक्ति केंद्र बनता जा रहा है। दुनिया का नक्शा बदल रहा है और इस बदलते परिदृश्य में सबसे बड़ी चुनौती अब अमेरिका (USA) के सामने खड़ी है। चीन के तियानजिन शहर में 31 सितम्बर से 1 अक्टूबर 2025 तक आयोजित SCO Summit 2025 ने साफ कर दिया कि वैश्विक राजनीति अब बहु-ध्रुवीय (Multipolar World) हो रही है और पश्चिमी देशों का दबदबा कमज़ोर पड़ रहा है।
SCO का इतिहास और विस्तार
SCO की नींव 2001 में ‘शंघाई फाइव’ (Shanghai Five) से रखी गई थी, जिसमें चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान शामिल थे। इसके बाद उज्बेकिस्तान जुड़ा और यह संगठन SCO बन गया।
- 2017 में भारत और पाकिस्तान को सदस्यता मिली।
- 2023 में ईरान शामिल हुआ।
- 2024 में बेलारूस ने भी सदस्यता हासिल की।
आज SCO में 10 सदस्य देश शामिल हैं, साथ ही कई Observer और Dialogue Partner भी जुड़े हुए हैं। इसका उद्देश्य है – क्षेत्रीय सुरक्षा (Regional Security), आर्थिक सहयोग (Economic Cooperation), और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई (Fight Against Terrorism).
SCO Summit 2025: तियानजिन में सबसे बड़ा सम्मेलन
चीन ने इस साल 25वां SCO शिखर सम्मेलन आयोजित किया, जो इतिहास का सबसे बड़ा सम्मेलन माना गया। इसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi), रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग सहित 10 देशों के नेता शामिल हुए।
इस सम्मेलन ने दुनिया को यह संदेश दिया कि – भविष्य अब पश्चिम के इर्द-गिर्द नहीं, बल्कि एशियाई सहयोग से तय होगा।
AI और Technology की झलक
सम्मेलन में तकनीक का भी जादू देखने को मिला। Xiao He नाम का AI आधारित humanoid robot मीडिया और मेहमानों की मदद करता नजर आया। यह तीन भाषाओं में संवाद करने में सक्षम था। इससे साफ है कि SCO अब केवल राजनीति नहीं, बल्कि तकनीक और भविष्य का भी मंच बन चुका है।
शी जिनपिंग और मोदी का संदेश
चीनी राष्ट्रपति Xi Jinping ने कहा कि SCO को अब “Cold War Mentality, Groupism और Western Dominance” का मुकाबला करना होगा।
वहीं प्रधानमंत्री Narendra Modi ने SCO को तीन C में परिभाषित किया—
- Security
- Connectivity
- Opportunity
मोदी ने साफ कहा कि भारत किसी भी तरह के Double Standards on Terrorism स्वीकार नहीं करेगा। उन्होंने Pahalgam terror attack का जिक्र करते हुए कहा कि अगर किसी संयुक्त बयान में इसका जिक्र नहीं होगा तो भारत उस पर साइन नहीं करेगा।
India-China Relations
सम्मेलन के दौरान मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात ने सबका ध्यान खींचा। मोदी ने कहा – “Dragon और Elephant को साथ आना होगा।” यानी भारत और चीन सहयोग की नई राह तलाश सकते हैं। यह संदेश अमेरिका के लिए सीधी चुनौती माना जा रहा है।
India-Russia-China Triangle
सम्मेलन का सबसे अहम पल तब था, जब मोदी, पुतिन और शी जिनपिंग मंच पर मिले और गले लगे। यह तस्वीर दुनिया को बता गई कि India, Russia और China मिलकर एक नए Geopolitical Balance की नींव रख सकते हैं।
India vs Pakistan: Distance बरकरार
SCO Summit 2025 का एक और दृश्य चर्चा में रहा—जब मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ आमने-सामने होने के बावजूद दूरी बनाए रहे। इससे साफ हो गया कि India-Pakistan relations अब भी तनावपूर्ण हैं।
India vs USA Trade War
हाल ही में अमेरिका ने भारत पर 50% तक का Tariff लगाया है। इससे दोनों देशों के रिश्तों में खटास और गहराई गई है। यही वजह है कि भारत अब SCO जैसे मंचों पर अपनी Strategic Autonomy दिखा रहा है।
भारत न पूरी तरह पश्चिम (West) के साथ है, न पूरी तरह चीन-रूस ब्लॉक के साथ। बल्कि वह अपनी स्वतंत्र विदेश नीति पर चल रहा है।
- भारत ने रूस से तेल खरीदा लेकिन Ukraine War का समर्थन नहीं किया।
- भारत ने चीन की Taiwan Policy का साथ भी नहीं दिया।
यानी भारत अब न पश्चिम का मोहरा है और न ही पूर्व का साथी—बल्कि खुद की राह चुन रहा है।
SCO का Global Expansion
इस साल SCO ने अपना दायरा और बढ़ाया। नेपाल, मिस्र और कई दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों को मेज़बान देशों के रूप में आमंत्रित किया गया। इससे साफ है कि SCO अब केवल एशिया तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर America के लिए biggest challenge बन सकता है।
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