
Shimla Agreement: जानिए क्या है शिमला समझौता? जिसे रद्द करने की धमकी दे रहा है पाकिस्तान
भारत और पाकिस्तान के बीच हुए 1972 युद्ध के बाद Shimla Agreement को शांति बहाल करने के लिए साइन किया गया था। हालांकि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान की तरफ से दि जा रही गीदड़भभकी के कारण भारत सरकार द्वारा लिए गए फैसले के बाद शिमला समझौता भी चर्चा का विषय बन गया है। आईए जानते हैं कि शिमला समझौता क्या है और क्या पाकिस्तान से सच में इसे रद्द कर सकता है?
पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार और पाकिस्तान के बड़े फैसले
पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए इस आतंकी हमले में 26 टूरिस्ट मारे गए। इसके बाद पूरे देश में आक्रोश और गम का माहौल है। भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कई बड़े फैसले भी लिए हैं जिसकी जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान में भी एक-एक करके कई कदम उठाए हैं। बाघा बॉर्डर बंद करना, जिसमे सार्क वीजा सुविधा स्थापित करने और भारतीय विमान के लिए अपनी हवाई सीमा बंद करने जैसे निर्णय भी शामिलहै।
Shimla Agreement की पृष्ठभूमि
1971 में भारत और पाकिस्तान के मध्य युद्ध हुआ था। जिसमें पाकिस्तान का बंटवारा इंदिरा गांधी द्वारा किया गया था। इस दौरान पाकिस्तान दो भागों में बट गया। जिसका एक भाग अब पूर्वी पाकिस्तान यानी बांग्लादेश है। पाकिस्तान की सेना ने पूर्वी पाकिस्तान में बहुत अत्याचार किए थे। जिस कारण लाखों लोग भारत में आ गए थे। जिसके जवाब में भारत ने इस युद्ध में अपना हस्तक्षेप किया और पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध लड़ने का फैसला किया।
यह युद्ध एक निर्णायक युद्ध था जिसमें भारत की जीत हुई। पाकिस्तान की सेना के लगभग 93,000 जवानो ने भारतीय सेना के सामने सरेंडर कर दिया था और एक नया देश दुनिया की मानचित्र में उभर कर आया। इस स्थिति में भारत, पाकिस्तान पर भारी शर्तें भी लागू कर सकता था। लेकिन भारत ने ऐसा नहीं किया। उसने शांति को पहली प्राथमिकता दी और इसी के तहत भारत ने पाकिस्तान को बातचीत के लिए बुलाया और Shimla Agreement किया गया।
कब, कहां और किसके बीच हुआ था शिमला समझौता
2 जुलाई 1972 को भारत के शिमला में Shimla Agreement साइन किया गया। इस समझौते पर भारत की तरफ से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने साइन किए थे। यह समझौता करने के लिए राष्ट्रपति जुल्फिकार भुट्टो अपनी बेटी और पड़ोसी देश की तत्कालीन पीएम बेनजीर भुट्टो के संग 8 जून 1972 को भारत के शिमला पहुंचे थे।
यह वही जुल्फिकार भुट्टो थे जिन्होंने “घास की रोटी खाकर भी भारत से हजारों साल तक युद्ध करने की शपथ ली थी।” यह समझौता न सिर्फ 1971 युद्ध के बाद की स्थिति को सुधारने के लिए किया गया बल्कि आने वाले दिनों में रिश्ते को और बेहतर बनाने और शांति बाहर रखने की दिशा में एक ऐतिहासिक प्रयत्न था।
Shimla Agreement के प्रावधान और प्रमुख शर्ते
भारत और पाकिस्तान के बीच हुए शिमला समझौता के दौरान कई मुख्य बिंदुओं पर दोनों देशों के बीच सहमति बनी थी
द्विपक्षीय का सिद्धांत: भारत और पाकिस्तान ने यह स्वीकारा था कि दोनों ही देश अपने सभी मतभेदों को आपसी बातचीत के द्वारा सुलझाएंगे। मतलब किसी तीसरे पक्ष जैसे कि संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका या दूसरी कोई बाहरी शक्ति इसकी मध्यस्थता नहीं करेगी।
बल का प्रयोग नहीं किया जाएगा: दोनों ही देश ने यह स्वीकार किया कि वह एक दूसरे के खिलाफ हिंसा या सैन्य बल का उपयोग नहीं करेंगे और सभी विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से हल करेंगे।
नियंत्रण रेखा की स्थापना: 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद की स्थिति के मुताबिक एक नियंत्रण रेखा यानी लाइन ऑफ कंट्रोल तय की गई। इसे दोनों ही देश ने मान्यता दी थी। यह वही रेखा है जो आज भी भारत और पाकिस्तान के बीच सीमाओं को परिभाषित करती है।
युद्धबंदियों और कब्जाई जमीन की वापसी: भारत ने पाकिस्तान के तकरीबन 93000 युद्धबंदियों को बिना किसी मांग के बरी कर दिया था। इसके अलावा जो जमीन भारत ने युद्ध के दौरान कब्जा की थी उसका भी अधिकांश हिस्सा पाकिस्तान को वापस कर दिया गया।
क्या पाकिस्तान Shimla Agreement रद्द कर सकता है?
22 अप्रैल को हुए जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर कई सख्त कूटनीति कार्रवाई शुरू कर दी है। इसके जवाब में भी पाकिस्तान ने शिमला समझौता का हवाला देते हुए यह कह दिया कि भारत के साथ सभी द्विपक्षीय समझातों को स्थगित किया जा रहा है। जब तक की “भारत संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों” और “अंतरराष्ट्रीय कानून” का पालन नहीं करता।
अब सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान समझौते को रद्द कर सकता है ? आपको बता दे रक्षा एक्सपर्ट्स का मानना है कि तकनीकी तौर पर कोई भी देश किसी भी संधि या समझौते से खुद को अलग कर सकता है। हालांकि ऐसा करने से उसकी अंतर्राष्ट्रीय विश्वसनीयता पर ज्यादा प्रभाव पड़ता है। पाकिस्तानी ने शिमला समझौते को स्थगित कर दिया है लेकिन अगर वह इसको रद्द करता है तो उसको यह भी स्वीकारना होगा कि अब कश्मीर मुद्दे को बातचीत से सुलझाने की कोई गुंजाइश नहीं बचती है । स पर भारत दो टूक कह सकता है कि अगर पाकिस्तान समझौता रद्द करता है तो फिर भारत किसी भी बंधन में नहीं रहेगा।
Pakistan terrorist camps: आतंकियों को C-130 विमान से सुरक्षित स्थानों पर भेज रहा है Pakistan
Pahalgam Attack: भारत के फैसलों से बौखलाया पाकिस्तान,जानिए उसके 8 जवाबी एक्शन!