
Sonam Wangchuk Arrest: लद्दाख की उथल-पुथल और सरकार का सख्त रुख
Sonam Wangchuk Arrest: लद्दाख में हाल ही में हुई हिंसा ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। बुधवार को भड़की इस हिंसा में चार लोगों की मौत और करीब 90 से ज़्यादा लोग घायल हुए। शुक्रवार को पुलिस ने बड़ा कदम उठाते हुए जाने-माने जलवायु कार्यकर्ता, इनोवेटर और शिक्षाविद सोनम वांगचुक को उनके गांव उलेटोक्पो से गिरफ्तार कर लिया।
यह गिरफ्तारी सिर्फ एक शख्स की नहीं, बल्कि उस संघर्ष की कहानी है जो लद्दाख के लोग लंबे समय से अपने अधिकारों और पहचान के लिए लड़ते आ रहे हैं।
कौन हैं सोनम वांगचुक?
सोनम वांगचुक का नाम सुनते ही ज़्यादातर लोगों को फिल्म “थ्री इडियट्स” का किरदार ‘फुंसुख वांगडू’ याद आता है। असल ज़िंदगी में भी वे एक ऐसे ही इनोवेटर और शिक्षा सुधारक हैं। उन्होंने SECMOL (Students’ Educational and Cultural Movement of Ladakh) की स्थापना की, जिसने लद्दाख के युवाओं की शिक्षा और पर्यावरण के लिए कई नए प्रयोग किए।
सिर्फ इनोवेशन ही नहीं, वांगचुक ने लद्दाख की पहचान और अधिकारों के लिए भी आवाज़ बुलंद की है। उन्होंने कई बार भूख हड़ताल की, मार्च निकाला और खुले मंचों से अपनी मांगें रखीं।
लद्दाख की मांग और आंदोलन
लद्दाख में लोगों की दो प्रमुख मांगें लंबे समय से चल रही हैं:
- लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले।
- लद्दाख को संविधान की छठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए ताकि यहां की जनजातीय, सांस्कृतिक और भौगोलिक पहचान सुरक्षित रह सके।
इन्हीं मांगों को लेकर बीते साल सोनम वांगचुक ने 21 दिन तक भूख हड़ताल की थी। इसके बाद अक्टूबर 2024 में वे लद्दाख से दिल्ली तक पैदल मार्च पर निकले, लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन्हें सिंघु बॉर्डर से हिरासत में ले लिया।
हाल ही में, 35 दिन की भूख हड़ताल के 15वें दिन लेह में जबरदस्त प्रदर्शन हुए, जो अचानक हिंसक हो गए। चार लोगों की मौत और कई घायल होने की घटनाओं ने पूरे आंदोलन को नया मोड़ दे दिया।
गिरफ्तारी और सरकार का रुख
डीजीपी एस.डी. सिंह जामवाल की अगुवाई में लद्दाख पुलिस ने शुक्रवार को सोनम वांगचुक को गिरफ्तार किया। प्रशासन का आरोप है कि उन्होंने आंदोलन में ऐसे शब्द और उदाहरण इस्तेमाल किए जो युवाओं को भड़काने वाले थे। सरकार ने यहां तक कहा कि वांगचुक ने ‘नेपाल के जेनरेशन जेड विरोध’ और ‘अरब स्प्रिंग-स्टाइल आंदोलन’ जैसे संदर्भ दिए, जिससे माहौल भड़क गया।
गिरफ्तारी के साथ ही उनकी संस्था SECMOL का एफसीआरए लाइसेंस भी रद्द कर दिया गया। गृह मंत्रालय ने फंडिंग में गड़बड़ी और विदेशी शक्तियों के हस्तक्षेप का हवाला दिया। मंत्रालय के अनुसार, स्वीडन से आया एक फंड ‘राष्ट्रीय हित के खिलाफ’ पाया गया।
लेह और कारगिल में हालात
लेह शहर में लगातार तीसरे दिन कर्फ्यू जारी है। सड़कों पर पुलिस और अर्धसैनिक बल गश्त कर रहे हैं। 50 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है। जिला मजिस्ट्रेट ने स्कूल, कॉलेज और आंगनवाड़ी केंद्रों को बंद करने का आदेश दिया है।
कारगिल में भी निषेधाज्ञा लागू की गई है। हालांकि एक दिन का बंद खत्म होने के बाद वहां दुकानें और बाज़ार फिर से खुलने लगे हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी पर अफसोस जताया है। उन्होंने कहा कि “सरकार ने लद्दाख के लोगों से वादे किए थे, लेकिन अब उन्हीं वादों से पीछे हट रही है। यह समझ से परे है कि आखिर केंद्र सरकार की क्या मजबूरी है।”
वहीं, लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने सरकार की कार्रवाई का बचाव किया। उन्होंने कहा, “यह सबूतों के आधार पर हुआ है। अगर कोई लद्दाख की शांति और परंपरा को खराब करने की कोशिश करेगा, तो उसके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।”
आंदोलन से इनोवेशन तक: वांगचुक का सफर
सोनम वांगचुक की छवि एक शिक्षक और इनोवेटर की रही है। उन्होंने लद्दाख में सौर ऊर्जा और आइस-स्टूप (कृत्रिम ग्लेशियर) जैसे प्रोजेक्ट्स से वैश्विक पहचान बनाई। लेकिन पिछले कुछ सालों में वे सिर्फ इनोवेटर नहीं रहे, बल्कि आंदोलनकारी के तौर पर भी उभरे।
उनकी लड़ाई सिर्फ पर्यावरण या शिक्षा तक सीमित नहीं रही, बल्कि अब यह लद्दाख की राजनीतिक पहचान और अधिकारों की लड़ाई बन चुकी है।
आगे क्या?
लद्दाख इस समय उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है। एक तरफ लोग अपने अधिकारों के लिए आवाज़ बुलंद कर रहे हैं, दूसरी तरफ प्रशासन कड़े कदम उठाकर हालात संभालने की कोशिश में है।
सवाल यह है कि क्या सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी से यह आंदोलन शांत होगा, या फिर इससे और ज्यादा असंतोष फैल जाएगा? क्या सरकार लद्दाख के लोगों से किए गए वादों को निभाएगी या यह संघर्ष और लंबा खिंचेगा?
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