सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार, 11 फरवरी 2025 को चुनाव आयोग को अहम निर्देश जारी करते हुए कहा कि मतदान समाप्त होने के बाद भी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का डेटा पूरी तरह सुरक्षित रखा जाए और इसे डिलीट न किया जाए। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि मतगणना के बाद ईवीएम की मेमोरी और माइक्रोकंट्रोलर को जलाने या नष्ट करने की प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की जाए। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने यह स्पष्ट किया कि ईवीएम डेटा को न हटाया जाए और न ही दोबारा लोड किया जाए।
याचिका में क्या थे सवाल?
एक याचिका के माध्यम से यह आरोप लगाया गया था कि चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद ईवीएम का डेटा हटा दिया जाता है, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि इस डेटा को सुरक्षित रखना जरूरी है ताकि आवश्यकता पड़ने पर इसकी समीक्षा की जा सके।
चुनाव आयोग से मांगी गई जानकारी
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से निम्न बिंदुओं पर जवाब मांगा:
- ईवीएम के डेटा प्रबंधन का पूरा प्रॉसेस: मतदान के बाद ईवीएम को कैसे संभाला और सुरक्षित रखा जाता है।
- मेमोरी और माइक्रोकंट्रोलर नष्ट करने की प्रक्रिया: क्या यह प्रक्रिया अनिवार्य है, और यदि हां, तो इसके नियम और मानक क्या हैं।
डेटा सुरक्षा पर गंभीर चिंता
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए चुनावी डेटा को संरक्षित रखना बेहद जरूरी है। अगर ईवीएम डेटा हटाया जाता है या दोबारा लोड किया जाता है, तो इससे मतदाता की विश्वासनीयता पर असर पड़ सकता है।
निर्णय का महत्व
इस फैसले का उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और भरोसेमंद बनाना है। यह कदम न केवल लोकतंत्र की मजबूती के लिए जरूरी है, बल्कि भविष्य में चुनाव से जुड़े विवादों को भी रोकने में सहायक होगा।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से यह स्पष्ट हो गया है कि चुनाव प्रक्रिया के हर चरण में पारदर्शिता बनाए रखना जरूरी है। अब यह देखना होगा कि चुनाव आयोग इस निर्देश के अनुपालन में क्या कदम उठाता है।