
Waqf Amendment Act 2025: सुप्रीम कोर्ट में सरकार के जवाब पर याचिकाकर्ताओं ने क्या कहा?
प्रीम कोर्ट ने Waqf Amendment Act 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अगली सुनवाई 15 मई के लिए सूचीबद्ध कर दी है। यह सुनवाई अब Chief Justice-designate जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष होगी, क्योंकि वर्तमान CJI संजीव खन्ना 13 मई को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
अंतरिम आदेश से किया इनकार
CJI संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की तीन सदस्यीय पीठ ने सोमवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इसमें उठाए गए मुद्दों पर लंबी बहस की आवश्यकता है, इसलिए फिलहाल कोई अंतरिम आदेश (interim order) नहीं दिया जा सकता।
CJI खन्ना ने कहा, “मैं कोई आदेश सुरक्षित नहीं रखना चाहता। यह मामला अब एक नई बेंच के समक्ष सुना जाएगा। यदि आप सब सहमत हों तो हम इसे जस्टिस गवई की अध्यक्षता वाली बेंच के पास भेज सकते हैं।” इस पर वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, एएम सिंघवी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सभी सहमत हो गए।
सुनवाई में किन याचिकाओं को लिया गया?
यह मामला अब शीर्ष अदालत में “In Re: Waqf (Amendment) Act, 2025” शीर्षक से दर्ज किया गया है। इसमें AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, AAP नेता अमानतुल्ला खान, DMK, और ACPR जैसी संस्थाओं द्वारा दायर याचिकाएं शामिल हैं।
केंद्र सरकार की स्थिति
17 अप्रैल 2025 को हुई पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया था कि वह फिलहाल दो विवादास्पद प्रावधानों को लागू नहीं करेगी:
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Waqf properties की de-notification, खासकर ‘waqf by user’।
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Central Waqf Council और Boards में नियुक्तियाँ।
सरकार ने 25 अप्रैल को दायर 1,332 पन्नों के अपने प्रारंभिक हलफनामे (counter-affidavit) में कहा कि यह कानून संसद द्वारा पूरी चर्चा के बाद पारित हुआ है और इसे बिना उचित सुनवाई के स्थगित करना संविधान का उल्लंघन होगा।
सरकार का यह भी दावा था कि waqf by user प्रावधानों के जरिए निजी और सरकारी संपत्तियों पर अवैध कब्जे के मामले बढ़े हैं। सरकार ने यह भी कहा कि 2013 के बाद से Waqf संपत्तियों में 116% की “चौंकाने वाली” बढ़ोतरी हुई है।
“2013 से पहले भारत में कुल waqf संपत्तियां थीं 18.29 लाख एकड़, लेकिन 2013 के बाद यह बढ़कर 20.92 लाख एकड़ हो गईं,” सरकार ने अपने हलफनामे में कहा।
मुस्लिम पक्षों की आपत्ति
All India Muslim Personal Law Board (AIMPLB) ने केंद्र सरकार के हलफनामे पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए आंकड़े गलत हैं। बोर्ड ने इस पर जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
ACPR ने कहा कि Waqf बोर्डों में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति धार्मिक मामलों में बाहरी हस्तक्षेप है जो संविधान के Article 14 और Article 26 का उल्लंघन करता है।
DMK और अन्य याचिकाकर्ताओं ने सरकार के उस दावे को भी चुनौती दी जिसमें कहा गया था कि Hindu endowments और Waqf में अंतर है। उन्होंने कहा कि हिंदू धर्मार्थ संस्थाएं भी शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कल्याण का कार्य करती हैं, इसलिए यह अंतर कृत्रिम और असंवैधानिक है।
कानून कैसे पारित हुआ?
Waqf (Amendment) Act, 2025 को संसद के दोनों सदनों से पारित किया गया:
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लोकसभा: 288 समर्थन में, 232 विरोध में
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राज्यसभा: 128 समर्थन में, 95 विरोध में
5 अप्रैल 2025 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद यह कानून अधिसूचित हुआ।
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