
क्या कहता है विज्ञान: इंसानी दिमाग में क्या है ऐसा जो बनाता है उसे खास?
इंसान का दिमाग न केवल प्राइमेट्स जैसे चिम्पांजी से अलग है, बल्कि यह बाकी सभी जानवरों से भी कहीं अधिक खास है। हालाँकि इंसान और चिम्पांजी के जीनोम में लगभग 95% समानता पाई जाती है, फिर भी दोनों के दिमाग में बड़ा अंतर देखने को मिलता है। वैज्ञानिकों ने इस गुत्थी को सुलझाने के लिए कई शोध किए हैं, और एक नई रिसर्च ने इसके पीछे की वजह का पता लगाने की कोशिश की है।
नई रिसर्च: जीन अभिव्यक्ति पर जोर
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय की प्रोफेसर सूजिन यी और उनके साथियों द्वारा की गई रिसर्च में यह समझने की कोशिश की गई कि इंसान और अन्य प्राइमेट्स में इतना अंतर क्यों है, जबकि दोनों के जीनोम में इतनी समानता है। इस रिसर्च को ‘प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस’ में प्रकाशित किया गया था। शोधकर्ताओं ने जीन अभिव्यक्ति पर ध्यान केंद्रित किया, क्योंकि जीन तो समान होते हैं, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि वे कैसे और कब सक्रिय होते हैं या निष्क्रिय होते हैं।
क्या होती है जीन अभिव्यक्ति?
जीन अभिव्यक्ति से तात्पर्य है कि किसी जीन के आदेशों का पालन कैसे होता है और यह कोशिकाओं को कैसे प्रभावित करता है। वैज्ञानिकों ने इस प्रक्रिया को मापने के लिए ‘मैसेंडर आरएनए’ (mRNA) का उपयोग किया, जो कोशिकाओं के भीतर जीन निर्देशों को अनुवादित करने में मदद करता है। रिसर्चकर्ताओं का मानना है कि जीन अभिव्यक्ति में फर्क ही इंसानी दिमाग और अन्य प्राइमेट्स के दिमाग में फर्क की वजह हो सकता है।
उन्नत तकनीकों का उपयोग
इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने जीन अभिव्यक्ति में फर्क को जानने के लिए कुछ उन्नत तकनीकों का उपयोग किया, जिनसे वे एकल कोशिकाओं के जीन अभिव्यक्ति का विश्लेषण कर सकते थे। इस अध्ययन में इंसान, चिम्पांजी और अन्य प्राइमेट्स के जीन अभिव्यक्ति का परीक्षण किया गया। शोधकर्ताओं को कई क्षेत्रों में समानता मिली, लेकिन इंसान में कुछ खास प्रकार की उन्नत जीन अभिव्यक्तियाँ पाई गईं, जो दिमागी क्षमताओं को बेहतर बनाती हैं।
गिलियल कोशिकाओं का महत्वपूर्ण योगदान
इस अध्ययन ने एक और महत्वपूर्ण पहलू को उजागर किया—गिलियल कोशिकाओं का योगदान। ये कोशिकाएं तंत्रिका कोशिकाओं से अलग होती हैं, लेकिन दिमाग की संरचना और कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। रिसर्च में पाया गया कि इंसान और प्राइमेट्स के दिमाग में गिलियल कोशिकाओं और न्यूरॉन्स का अनुपात अलग था। इस अनुपात में फर्क ने इंसानी दिमाग को और अधिक सक्षम बना दिया है।
नए शोध की दिशा
यह शोध अभी कुछ ही दिमागी हिस्सों पर आधारित था, लेकिन इसके नतीजे वैज्ञानिकों के लिए बेहद रोमांचक और उत्साहजनक हैं। आगे चलकर, सूजिन यी और उनके साथी निएंडरथॉल और डेनिसोवान्स जैसी प्राचीन मानव प्रजातियों को भी इस शोध में शामिल करेंगे। इस रिसर्च से यह साबित होता है कि जीन अभिव्यक्ति में मामूली फर्क भी कार्यों और क्रियाओं में बड़े अंतर ला सकता है।
इस शोध के जरिए यह साबित हुआ है कि इंसान के दिमाग की विशेषता केवल जीनोम से नहीं, बल्कि जीन अभिव्यक्ति में हो रहे उन्नत परिवर्तन से है। यही कारण है कि इंसानी दिमाग प्राइमेट्स और अन्य जानवरों से कहीं अधिक विकसित और जटिल है। यह अध्ययन एक नई दिशा की ओर इशारा करता है, जो आगे चलकर मानव मस्तिष्क के और भी रहस्यों को उजागर कर सकता है।
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