
114-year-old marathon runner: हेडलाइट के टुकड़े से पकड़ा गया फौजा सिंह का कातिल – इंसाफ की तेज़ रफ्तार कहानी
114-year-old marathon runner: यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि सच्ची घटना है। 114 साल के बुज़ुर्ग और जाने-माने मैराथन रनर फौजा सिंह की सड़क हादसे में मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया। लेकिन उससे भी ज़्यादा चौंकाने वाली बात यह रही कि पुलिस ने सिर्फ 30 घंटे में कातिल को पकड़ लिया – वो भी एक टूटे हेडलाइट के टुकड़े से सुराग ढूंढकर।
क्या हुआ था हादसे वाले दिन?
जालंधर के करतारपुर क्षेत्र में फौजा सिंह रोज़ की तरह पैदल सैर पर निकले थे। वे उस ढाबे की ओर जा रहे थे जिसे उन्होंने अपने बेटे की याद में बनवाया था – ‘कुलदीप वैष्णो ढाबा। लेकिन नियति को कुछ और मंज़ूर था।
एक तेज़ रफ्तार फॉर्च्यूनर कार ने उन्हें टक्कर मार दी और ड्राइवर घटना के बाद मौके से फरार हो गया। फौजा सिंह की मौके पर ही मौत हो गई। यह खबर पूरे देश में तेजी से फैली और लोगों का गुस्सा भड़क उठा। एक 114 साल के बुज़ुर्ग के साथ इतनी बेरहमी?
जांच की शुरुआत – हेडलाइट बना सबसे बड़ा सुराग
पुलिस की जांच की शुरुआत वहीं से हुई, जहां हादसा हुआ था। घटनास्थल से टूटी हुई कार की हेडलाइट के टुकड़े मिले। पुलिस को अंदेशा हुआ कि ये किसी SUV की हेडलाइट है। इसी कड़ी को पकड़कर जांच आगे बढ़ाई गई।
फिर सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली गईं। आसपास के इलाकों से वीडियो फुटेज इकट्ठे किए गए। एक फुटेज में एक फॉर्च्यूनर कार तेजी से निकलती दिखी। नंबर प्लेट का कुछ हिस्सा साफ नहीं था, लेकिन पुलिस ने उस दिशा में गाड़ियों की जांच शुरू की।
गाड़ी तीन बार बिक चुकी थी – फिर भी आरोपी तक पहुंची पुलिस
पता चला कि जिस फॉर्च्यूनर कार से टक्कर हुई, उसका नंबर था – PB20-C-7100। जांच में सामने आया कि यह गाड़ी अब तक तीन बार बिक चुकी थी और आखिरी बार इसे करतारपुर के रहने वाले अमृतपाल सिंह ढिल्लों ने खरीदा था।
पुलिस ने वाहन रजिस्ट्रेशन से लेकर मालिकों की लिस्ट निकाली, डीएसपी स्तर पर पूछताछ की गई, और आखिरकार अमृतपाल को ट्रेस कर लिया गया। अमृतपाल NRI है, और घटना के बाद विदेश भागने की योजना बना रहा था, लेकिन पुलिस की फुर्ती ने उसके इरादों पर पानी फेर दिया।
सिर्फ एक हादसा नहीं – यह कहानी है न्याय की उम्मीद की
फौजा सिंह की मौत भले ही एक हादसा लगती हो, लेकिन यह केस बताता है कि अगर पुलिस तकनीक का सही इस्तेमाल करे, तो अपराधी ज्यादा देर तक बच नहीं सकता। 114 साल की उम्र में भी फौजा सिंह हर रोज़ सुबह उठकर सैर पर निकलते थे। वे फिटनेस के प्रतीक थे। उन्होंने 90 की उम्र में दुनिया की बड़ी मैराथन में हिस्सा लिया था। लेकिन दुखद बात ये है कि जिस बेटे को उन्होंने 33 साल पहले सड़क हादसे में खोया, अब उसी बेटे की याद में बने ढाबे पर जाते हुए खुद भी एक सड़क हादसे में मारे गए।
आरोपी गिरफ्तार – कानून ने दिखाई अपनी ताकत
पुलिस ने अमृतपाल सिंह ढिल्लों को गिरफ्तार कर लिया है। जिस फॉर्च्यूनर से टक्कर हुई थी, वह भी बरामद कर ली गई है। अब आगे इस केस में कानूनी प्रक्रिया चलेगी, और उम्मीद है कि फौजा सिंह को पूरा इंसाफ मिलेगा।
पुलिस की इस तेज़ कार्रवाई की लोग जमकर तारीफ कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी लोग कह रहे हैं कि “ये केस बताता है कि तकनीक और इरादों की मदद से अपराधियों को सज़ा दिलवाई जा सकती है।”
फौजा सिंह – एक प्रेरणादायक जीवन
फौजा सिंह सिर्फ एक बुज़ुर्ग नहीं थे, वे हिम्मत और ज़िंदगी से प्यार की मिसाल थे। उन्होंने साबित किया था कि उम्र सिर्फ एक नंबर है। वे आज भी लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा हैं। उनकी मौत हम सभी के लिए एक झटका है, लेकिन उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि अगर जज़्बा हो, तो कोई भी उम्र में पीछे नहीं रहता।
हमारी श्रद्धांजलि
फौजा सिंह को हमारी भावभीनी श्रद्धांजलि। उनके परिवार के साथ हम सभी की संवेदनाएं हैं। यह केस सिर्फ एक इंसाफ की शुरुआत है – और उम्मीद है कि फौजा सिंह को पूरा न्याय मिलेगा।