Birsa Munda 150th birth anniversary: जनजातीय गौरव, संघर्ष और सामाजिक चेतना का पर्व
Birsa Munda 150th birth anniversary: भारत में हर साल 15 नवंबर को महान जनजातीय नेता, स्वतंत्रता सेनानी और उपनिवेशवाद-विरोधी योद्धा बिरसा मुंडा की जयंती मनाई जाती है। यह दिन न केवल एक व्यक्तित्व को याद करने का अवसर है, बल्कि यह पूरे देश के लिए आदिवासी गौरव, परंपराओं और अधिकारों के सम्मान का प्रतीक बन चुका है। वर्ष 2024-25, बिरसा मुंडा के जन्म के 150 वर्ष पूरे होने का विशेष अवसर है, जिसे पूरे देश में जनजातीय गौरव वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है।
बिरसा मुंडा कौन थे?
बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को आधुनिक झारखंड क्षेत्र में हुआ था। वे साधारण परिवार में पैदा हुए, लेकिन अपने असाधारण नेतृत्व, गहरी सामाजिक समझ और संघर्ष की भावना के कारण वे जल्द ही आदिवासी समुदाय में सम्मानित व्यक्तित्व बन गए।
उन्होंने अपने समाज के बीच शिक्षा, एकता और अधिकारों की जागरूकता को फैलाया। अंग्रेजों की नीतियों और जंगल-जमीन पर हो रहे अन्याय के खिलाफ उन्होंने आवाज उठाई। उनके नेतृत्व में 1895 से 1900 के बीच ‘उलगुलान’ यानी मुंडा विद्रोह हुआ, जिसने ब्रिटिश शासन को हिलाकर रख दिया।
बिरसा मुंडा को आज भी आदिवासी समुदाय “धरती आबा” (धरती पिता) के नाम से सम्मान देता है। Tribal leader Birsa Munda
जनजातीय गौरव दिवस क्यों मनाया जाता है?
यह दिन सिर्फ एक जयंती नहीं है, बल्कि आदिवासी पहचान और गर्व का उत्सव है। भारत की जनजातीय परंपराओं ने हमेशा प्रकृति संरक्षण, सामूहिक जीवन, समानता और सामाजिक न्याय की सीख दी है। बिरसा मुंडा जयंती इन मूल्यों को फिर से याद करने का अवसर है। इस दिन लोग बिरसा मुंडा के योगदान, त्याग और नेतृत्व को याद करते हैं और आदिवासी समाज की सांस्कृतिक धरोहर को सम्मान देते हैं।
छत्तीसगढ़ में 150वीं जयंती का भव्य आयोजन
छत्तीसगढ़ सरकार ने इस वर्ष बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती को विशेष और ऐतिहासिक तरीके से मनाने की घोषणा की है। राज्य के सभी जिलों में 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस बड़े पैमाने पर मनाया जाएगा।
मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद और विधायक सभी जिला स्तरीय कार्यक्रमों में शामिल होंगे। मुख्य कार्यक्रम बस्तर जिले के जगदलपुर में आयोजित होगा, जहाँ मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और वन मंत्री विशेष रूप से मौजूद रहेंगे। राज्यभर में आयोजित कार्यक्रमों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश डीडी न्यूज़ और यूट्यूब पर लाइव दिखाया जाएगा, जबकि मुख्यमंत्री का संदेश मंच से पढ़ा जाएगा।
इसके साथ-साथ पीएम जनमन, आदि कर्मयोगी और धरती आबा जैसी योजनाओं पर आधारित लघु फिल्में भी प्रदर्शित की जाएंगी।
क्या-क्या होगा जिला स्तरीय कार्यक्रमों में?
हर जिले में आयोजित कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य है—
- आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा देना
- जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान
- बिरसा मुंडा की परंपराओं से युवाओं को जोड़ना
जिलों में मुख्य रूप से निम्न गतिविधियां होंगी—
- जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों का सम्मान
- आदिवासी समुदाय के प्रमुखों का सम्मान
- मेधावी विद्यार्थियों को सम्मान
- आदिवासी कला, संस्कृति, व्यंजन, हस्तशिल्प और परंपरा की प्रदर्शनी
- स्कूलों, आश्रमों और आवासीय विद्यालयों में सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ
- जागरूकता रैलियाँ और लोकनृत्य कार्यक्रम
- सामाजिक कल्याण, वृक्षारोपण और सेवा कार्य
आदिवासी समाज का उत्सव और आस्था
बिरसा मुंडा जयंती आदिवासी समाज के लिए सिर्फ एक जयंती नहीं, बल्कि भावनाओं और आस्था का पर्व है। झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में समुदाय उन्हें “भगवान बिरसा” की उपाधि के साथ पूजता है।
इस दिन मंदिरों, सार्वजनिक स्थलों, जंगलों और गांवों में—
- पूजा-अर्चना
- दीपोत्सव
- श्रद्धांजलि समारोह
आयोजित किए जाते हैं।
युवाओं के लिए यह दिन शिक्षा, साहस और सामाजिक जिम्मेदारी का संदेश देता है।
आज के समय में बिरसा मुंडा के विचारों की जरूरत क्यों?
तेजी से बदलते समय में आदिवासी समाज कई चुनौतियों का सामना कर रहा है—
जमीन के अधिकार, वन कानून, पर्यावरण सुरक्षा, और सांस्कृतिक पहचान को बचाने का संघर्ष।
बिरसा मुंडा का जीवन इस बात का प्रमाण है कि अन्याय और असमानता के खिलाफ सामूहिक जागरूकता और साहसिक नेतृत्व के साथ बड़ा बदलाव संभव है।
उनका संदेश आज भी हर भारतीय के लिए प्रेरणा है—
“जंगल, जमीन, जल—सिर्फ अधिकार नहीं, जीवन का आधार हैं।”
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