Sonam Wangchuk case: की पत्नी की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई, गीतांजलि अंगमो ने हिरासत को बताया अवैध
Sonam Wangchuk case:प्रसिद्ध पर्यावरणविद और लद्दाख के सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी को लेकर आज देश की सर्वोच्च अदालत में महत्वपूर्ण सुनवाई होनी है। वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे अंगमो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर उनके खिलाफ लगाए गए नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) के तहत की गई हिरासत को पूरी तरह अवैध और मनमाना बताया है। उन्होंने कहा कि यह न केवल कानून का गलत इस्तेमाल है, बल्कि उनके पति के मौलिक अधिकारों का भी सीधा उल्लंघन है।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन. वी. अंजारिया की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। बीते 29 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार और लद्दाख प्रशासन को याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा था।
क्यों उठ रहा है हिरासत पर सवाल?
सोनम वांगचुक को 26 सितंबर को NSA के तहत हिरासत में लिया गया था। इससे दो दिन पहले लद्दाख में राज्य का दर्जा और छठे शेड्यूल की मांग को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों में हिंसा भड़क गई थी। इन झड़पों में 4 लोगों की मौत और करीब 90 लोग घायल हुए थे। प्रशासन का आरोप है कि वांगचुक ने बयानबाजी करके माहौल को भड़काया।
लेकिन उनकी पत्नी का दावा है कि वांगचुक का इन घटनाओं से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है। याचिका में कहा गया है कि “पुरानी FIR और अस्पष्ट आरोपों के आधार पर NSA लागू करना कानून का घोर दुरुपयोग है।”
“एक सम्मानित नागरिक को चुप कराने की कोशिश” — याचिका
याचिका में यह भी कहा गया है कि वांगचुक पिछले 30 सालों से शिक्षा, नवाचार और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में निरंतर योगदान देते आए हैं, और राज्य तथा केंद्र सरकार दोनों ही उनके काम को सम्मानित कर चुके हैं। ऐसे व्यक्ति पर राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे कड़े कानून का इस्तेमाल “पूरी तरह दुर्भावनापूर्ण” बताया गया है।
साथ ही याचिका में यह भी उल्लेख है कि—
- चुनावों से ठीक दो महीने पहले
- और ABL, KDA व गृह मंत्रालय के बीच बातचीत के अंतिम दौर से पहले
वांगचुक के खिलाफ अचानक कई कार्रवाइयाँ की गईं—
जमीन का पट्टा रद्द करना, FCRA रद्द करना, CBI जांच की पहल, आयकर नोटिस आदि। याचिका में लिखा है कि इतनी कम अवधि में की गई ये सभी कार्रवाइयाँ यह संकेत देती हैं कि यह कदम सार्वजनिक सुरक्षा से ज्यादा राजनीतिक दबाव या असहमति दबाने की कोशिश जैसा लगता है।
“हिंसा से मेरा कोई संबंध नहीं”
गीतांजलि ने अदालत को बताया कि वांगचुक ने हिंसा के दिन ही अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था कि उन्हें यह घटना बेहद दुखद लगी और वह किसी भी प्रकार की हिंसा के खिलाफ हैं। उन्होंने अपील की थी कि लद्दाख की शांति और पांच सालों से चल रही शांतिपूर्ण लड़ाई इस हिंसा से कमजोर न हो।
याचिका में कहा गया है कि प्रशासन ने न तो उनके इन बयानों को देखा और न ही यह जांचा कि वास्तव में उनकी भूमिका क्या थी। बिना पर्याप्त जांच किए NSA लगा देना “अनुचित और जल्दबाजी” बताई गई है।
NSA detention India: NSA क्या कहता है?
NSA के तहत किसी भी व्यक्ति को ऐसी गतिविधियों के लिए हिरासत में लिया जा सकता है जो—
- भारत की सुरक्षा,
- सार्वजनिक व्यवस्था,
- या आपूर्ति सेवाओं के लिए खतरा हों।
लेकिन कानून यह भी कहता है कि—
हिरासत में लेने वाली अथॉरिटी को 5 दिनों के भीतर (या विशेष स्थिति में 10 दिनों के भीतर) हिरासत के कारणों की पूरी सूची देना जरूरी है। याचिका में दावा किया गया है कि वांगचुक को यह जानकारी समय पर नहीं दी गई, जो कि कानून की सीधी अवहेलना है।
लद्दाख में माहौल तनावपूर्ण
वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद से लद्दाख के कई हिस्सों में तनाव बना हुआ है। क्षेत्र के लोग वर्षों से राज्य का दर्जा और छठे शेड्यूल में शामिल किए जाने की मांग करते रहे हैं। वांगचुक इस आंदोलन का शांतिपूर्ण चेहरा माने जाते हैं। स्थानीय संगठनों का कहना है कि उनकी गिरफ्तारी से भरोसा टूट रहा है और स्थिति और जटिल हो रही है।
आज की सुनवाई क्यों महत्वपूर्ण?
आज सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि वांगचुक की हिरासत कानून के दायरे में आती है या नहीं। अगर अदालत को लगे कि हिरासत अवैध है, तो वह आदेश को रद्द भी कर सकती है।
दूसरी ओर, अगर कोर्ट प्रशासन का पक्ष मजबूत मानती है, तो NSA के तहत हिरासत जारी रह सकती है, जिसकी अवधि अधिकतम 12 महीने तक हो सकती है।
लद्दाख, पर्यावरण से जुड़े संगठन और देशभर में वांगचुक के समर्थक इस सुनवाई पर नजरें जमाए हुए हैं। आज का फैसला सिर्फ एक व्यक्ति की आजादी का मामला नहीं, बल्कि यह भी तय करेगा कि देश में असहमति की आवाज़ों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है।
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