भारत आज अपना 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। राजधानी दिल्ली में कर्तव्य पथ पर भव्य परेड और झांकियों का प्रदर्शन होगा। इस वर्ष का मुख्य विषय है – “स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास”, जो भारतीय संविधान के 75 साल पूरे होने का उत्सव है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत का पहला गणतंत्र दिवस समारोह कर्तव्य पथ (तत्कालीन राजपथ) पर नहीं बल्कि दिल्ली के इरविन एम्फीथियेटर (अब नेशनल स्टेडियम) में आयोजित किया गया था? इस ऐतिहासिक अवसर पर इंडोनेशिया के पहले राष्ट्रपति सukarno मुख्य अतिथि थे।
पहले गणतंत्र दिवस का इतिहास
26 जनवरी 1950 को सुबह 10:18 बजे, डॉ. राजेंद्र प्रसाद को भारत का पहला राष्ट्रपति घोषित किया गया। इसके ठीक छह मिनट बाद उन्होंने राष्ट्रपति पद की शपथ ली। फौजी अखबार (अब सैनिक समाचार) के अनुसार, राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण और गणराज्य की घोषणा के तुरंत बाद 31 तोपों की सलामी दी गई।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने अपने भाषण में कहा था,
“आज पहली बार हमारे लंबे इतिहास में पूरा देश एक संविधान और एक संघ के अंतर्गत आ गया है, जो 32 करोड़ से अधिक नागरिकों की भलाई के लिए जिम्मेदार है।”
पहली परेड का स्थान और भव्यता
पहले गणतंत्र दिवस की परेड दिल्ली के इरविन एम्फीथियेटर में हुई थी। यह स्थल 1930 के दशक में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन के नाम पर बनाया गया था। इस एम्फीथियेटर को बाद में 1951 में नेशनल स्टेडियम का नाम दिया गया।
इस जगह को विशेष रूप से इस अवसर के लिए सजाया गया था। फौजी अखबार के मुताबिक, डॉ. राजेंद्र प्रसाद दोपहर 2:30 बजे एक विशेष बग्घी में राष्ट्रपति भवन (तब का गवर्नमेंट हाउस) से रवाना हुए। यह बग्घी 35 साल पुरानी थी, जिसे इस मौके के लिए खासतौर पर सजाया गया था।
बग्घी को छह मजबूत ऑस्ट्रेलियाई घोड़े खींच रहे थे और राष्ट्रपति के साथ उनकी बॉडीगार्ड भी चल रहे थे। इरविन एम्फीथियेटर पहुंचने पर राष्ट्रपति का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। इस दौरान सड़कों पर “जय” के नारे गूंज रहे थे। लोग पेड़ों, छतों और हर संभव स्थान से इस ऐतिहासिक दृश्य को देखने के लिए उमड़ पड़े थे।
परेड की मुख्य विशेषताएँ
पहली परेड में भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना के 3,000 से अधिक अधिकारी और जवान शामिल हुए थे।
- मंच सजावट: एम्फीथियेटर को भव्य तरीके से सजाया गया था, और लगभग 15,000 लोगों ने इस परेड का आनंद लिया।
- बैंड प्रदर्शन: सात संयुक्त बैंड ने भारतीय सशस्त्र बलों और पुलिस की ओर से शानदार प्रदर्शन किया।
- मिलिट्री मार्च: भारतीय और प्राचीन रेजिमेंट्स ने अपनी उपस्थिति से इस अवसर को ऐतिहासिक बना दिया।
इरविन एम्फीथियेटर का इतिहास
इरविन एम्फीथियेटर का निर्माण 1933 में तत्कालीन महाराजा भिवानी ने 5 लाख रुपये के दान से करवाया था। इसे ब्रिटिश वास्तुकार रॉबर्ट टोर रसेल ने डिज़ाइन किया था, जिन्होंने कनॉट प्लेस का भी निर्माण किया।
1950 के पहले गणतंत्र दिवस से ठीक एक हफ्ते पहले, 19 जनवरी 1950 को, प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस स्थल के नेशनल स्टेडियम बनने की नींव रखी।
आज का गणतंत्र दिवस समारोह
आज, 75 साल बाद, गणतंत्र दिवस परेड दिल्ली के कर्तव्य पथ पर आयोजित होती है, जो इस समारोह का मुख्य स्थल बन चुका है। इस वर्ष इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हो रहे हैं।
1950 में पहली बार भारत को गणराज्य घोषित किया गया था। इसने भारतीय नागरिकों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक बनाया और स्वतंत्रता के संघर्ष को नई पहचान दी।
आज के दिन न केवल भारतीय संविधान की ताकत का जश्न मनाया जाता है, बल्कि उन शहीदों को भी याद किया जाता है जिन्होंने आजादी और गणराज्य के निर्माण में अपनी जान न्योछावर कर दी।
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