
Golden Temple
भारतीय सेना ने Golden Temple की सुरक्षा को लेकर एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। पहली बार इस पवित्र स्थल पर पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइल हमलों से बचाव के लिए एयर डिफेंस सिस्टम यानी एंटी-एयर डिफेंस गन तैनात की गई हैं। खास बात यह है कि इसके लिए स्वर्ण मंदिर के मुख्य ग्रंथी ने औपचारिक रूप से सेना को अनुमति दी है — जो अब तक कभी नहीं हुआ।
सेना को क्यों मिली ये इजाजत?
भारतीय सेना को पहले से यह आशंका थी कि पाकिस्तान की ओर से सैन्य ठिकानों की बजाय भारत के धार्मिक स्थलों और आम नागरिकों को निशाना बनाया जा सकता है। इसी संदर्भ में Golden Temple जैसे ऐतिहासिक और संवेदनशील स्थल की सुरक्षा बेहद जरूरी हो गई थी। इस कदम के पीछे भारतीय सेना की रणनीतिक तैयारी और सुरक्षा को लेकर सतर्कता साफ झलकती है।
एयर डिफेंस कमांड के डायरेक्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी’कुन्हा ने एएनआई को दिए गए इंटरव्यू में बताया कि दुश्मन की साजिश को पहले ही भांप लिया गया था। उनका कहना था, “हम जानते थे कि पाकिस्तान धार्मिक स्थलों को निशाना बना सकता है, इसलिए हमें स्वर्ण मंदिर की सुरक्षा पुख्ता करनी थी।”
हेड ग्रंथी ने भी दिखाई राष्ट्रभक्ति
सबसे उल्लेखनीय बात यह रही कि Golden Temple के मुख्य ग्रंथी ने पहली बार भारतीय सेना को मंदिर परिसर में एयर डिफेंस सिस्टम तैनात करने की स्वीकृति दी। यही नहीं, रात में ड्रोन की पहचान आसानी से हो सके, इसके लिए Golden Temple की रोशनी को भी कुछ समय के लिए बंद किया गया। इस दौरान कई दुश्मन ड्रोन को सफलतापूर्वक निष्क्रिय भी कर दिया गया।
क्यों है ये फैसला ऐतिहासिक?
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पहली बार किसी धार्मिक स्थल पर सेना को रक्षा प्रणाली तैनात करने की औपचारिक अनुमति दी गई है।
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यह निर्णय केवल सैन्य रणनीति के तहत ही नहीं, बल्कि धार्मिक संस्थाओं की राष्ट्रीय सुरक्षा में भागीदारी का भी प्रतीक है।
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यह दिखाता है कि संकट की घड़ी में देश के धार्मिक और सामाजिक संस्थान भी सुरक्षा बलों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।
भारत की एयर डिफेंस क्षमता का नया उदाहरण
इस घटना ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि भारत की एयर डिफेंस प्रणाली तेजी से विकसित हो रही है और अब वह देश के हर कोने और हर प्रकार की चुनौती से निपटने में सक्षम है। चाहे वह सीमाओं की रक्षा हो या आस्था के स्थलों की, भारतीय सेना पूरी तरह से तैयार है।
Golden Temple पर एयर डिफेंस सिस्टम की तैनाती केवल सुरक्षा का विषय नहीं है, यह उस विश्वास और समर्पण की कहानी है जो सेना और देशवासियों के बीच मौजूद है। जब देश के पवित्र स्थल भी राष्ट्र रक्षा में सहयोग दें, तब यह संदेश जाता है कि भारत केवल सीमाओं पर ही नहीं, अपने हर कोने में अटूट रूप से सुरक्षित है।
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