
High Court Judges 2025: दिल्ली हाईकोर्ट में छह नए न्यायाधीशों ने ली शपथ, जस्टिस विवेक चौधरी ने हिंदी में दिलाई नई पहचान
High Court Judges 2025: दिल्ली हाईकोर्ट में सोमवार का दिन ऐतिहासिक रहा। इस दिन छह नए न्यायाधीशों ने अपने पद की शपथ ली, जिससे हाईकोर्ट में अब कुल 40 न्यायाधीश कार्यरत हो गए हैं। हालांकि, अब भी 20 पद खाली हैं क्योंकि दिल्ली हाईकोर्ट में स्वीकृत न्यायाधीशों की कुल संख्या 60 है।
इस शपथ ग्रहण समारोह की खास बात यह रही कि जस्टिस विवेक चौधरी ने हिंदी में शपथ ली, जबकि बाकी पांच न्यायाधीशों ने अंग्रेजी भाषा में शपथ ली। यह एक महत्वपूर्ण संकेत है कि अब न्यायपालिका में भाषाई विविधता को स्वीकार किया जा रहा है और हिंदी जैसी भारतीय भाषाओं को भी सम्मान मिल रहा है।
शपथ ग्रहण समारोह की झलक
शपथ ग्रहण का कार्यक्रम दिल्ली हाईकोर्ट परिसर में आयोजित हुआ। समारोह की अध्यक्षता दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने की। उन्होंने ही सभी छह नए न्यायाधीशों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।
शपथ लेने वाले छह न्यायाधीशों के नाम इस प्रकार हैं:
- जस्टिस वी. कामेश्वर राव
- जस्टिस नितिन वासुदेव साम्ब्रे
- जस्टिस विवेक चौधरी
- जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल
- जस्टिस अरुण कुमार मोंगा
- जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला
इन सभी न्यायाधीशों को भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश पर दूसरे हाईकोर्ट से दिल्ली स्थानांतरित किया है।
हिंदी में शपथ लेकर छाप छोड़ गए जस्टिस विवेक चौधरी
जहां पांच न्यायाधीशों ने अंग्रेजी में शपथ ली, वहीं जस्टिस विवेक चौधरी ने हिंदी भाषा में शपथ लेकर एक नई मिसाल पेश की। यह न केवल भाषाई विविधता का स्वागत है, बल्कि आम लोगों को न्याय प्रक्रिया से जोड़ने का भी एक सकारात्मक प्रयास है।
देश की न्याय व्यवस्था में अधिकतर कामकाज अंग्रेजी में होता है, जिससे आम नागरिकों के लिए न्याय की भाषा को समझना मुश्किल होता है। ऐसे में यदि न्यायाधीश हिंदी जैसी जनभाषा को अपनाते हैं, तो इससे आम जनता का विश्वास भी बढ़ेगा।
न्यायाधीशों की पृष्ठभूमि
इन छह नए न्यायाधीशों की नियुक्ति देश के विभिन्न हिस्सों से हुई है:
- जस्टिस नितिन साम्ब्रे: पहले बंबई हाईकोर्ट में कार्यरत थे।
- जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला: दोनों इलाहाबाद हाईकोर्ट से आए हैं।
- जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में सेवाएं दे चुके हैं।
- जस्टिस अरुण कुमार मोंगा: राजस्थान हाईकोर्ट से स्थानांतरित हुए हैं।
- जस्टिस वी. कामेश्वर राव: कर्नाटक हाईकोर्ट से दिल्ली आए हैं।
इन सभी स्थानांतरणों को भारत सरकार ने 14 जुलाई को मंजूरी दी थी और उसी दिन इसका आधिकारिक नोटिफिकेशन भी जारी हुआ।
हाईकोर्ट कॉलेजियम में बदलाव की तैयारी
इन नई नियुक्तियों के साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट के कॉलेजियम में बदलाव भी तय हो गया है। कॉलेजियम, हाईकोर्ट में वरिष्ठ न्यायाधीशों की एक टीम होती है जो नई नियुक्तियों, स्थानांतरण और पदोन्नति जैसे मामलों पर निर्णय लेती है।
अब तक कॉलेजियम में ये तीन न्यायाधीश शामिल थे:
- मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय
- जस्टिस विभु बाखरू
- जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह
लेकिन अब जस्टिस विभु बाखरू को कर्नाटक हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बना दिया गया है, जिससे कॉलेजियम में एक स्थान रिक्त हो गया है। उन्हें 16 जुलाई को औपचारिक विदाई भी दी गई।
कौन होंगे नए सदस्य?
कॉलेजियम के पुनर्गठन की प्रक्रिया में जस्टिस वी. कामेश्वर राव और जस्टिस नितिन साम्ब्रे को शामिल किए जाने की चर्चा है। दोनों न्यायाधीश जस्टिस प्रतिभा सिंह से वरिष्ठ हैं और उनके अनुभव को देखते हुए इन्हें कॉलेजियम में लाना तय माना जा रहा है।
इस बदलाव से न केवल न्यायिक कार्यों में तेजी आएगी बल्कि लंबित मामलों का निपटारा भी शीघ्रता से हो सकेगा।
क्यों ज़रूरी हैं ये नियुक्तियां?
दिल्ली हाईकोर्ट में मामलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाना समय की मांग थी। नए न्यायाधीशों के आने से अब यह उम्मीद की जा रही है कि मुकदमों के निपटारे में तेजी आएगी, न्याय प्रक्रिया अधिक प्रभावी होगी और आम जनता को भी राहत मिलेगी।
इसके अलावा, हिंदी में शपथ लेने जैसे कदम यह संदेश देते हैं कि हमारी न्याय प्रणाली अब आम लोगों की भाषा और भावनाओं को समझने के लिए भी आगे बढ़ रही है।
दिल्ली हाईकोर्ट में छह नए न्यायाधीशों की नियुक्ति और शपथ ग्रहण केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह न्यायपालिका में बदलाव और नए विचारों का संकेत भी है। जस्टिस विवेक चौधरी द्वारा हिंदी में शपथ लेना एक महत्वपूर्ण पहल है, जो भविष्य में अन्य न्यायालयों के लिए भी उदाहरण बन सकती है।
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