India–US Trade Deal पर किसानों की टेंशन! क्या सस्ते अमेरिकी मक्का से डगमगाएगी भारतीय खेती
India–US Trade Deal की चर्चा जोरों पर है। कहा जा रहा है कि दोनों देशों के बीच जल्द ही एक बड़ा आर्थिक समझौता हो सकता है। लेकिन इस डील को लेकर भारतीय किसानों में बेचैनी बढ़ती जा रही है। खासकर मक्का (Maize) और दुग्ध उत्पाद (Dairy Products) से जुड़े किसान चिंतित हैं कि कहीं ये डील उनकी मेहनत पर पानी न फेर दे।
क्या है India–US Trade Deal की कहानी?
सूत्रों के मुताबिक, India-US Trade Deal को लेकर पिछले कई महीनों से बातचीत जारी है। इस समझौते के तहत अमेरिका भारत को अपने कृषि उत्पादों — जैसे कि मक्का, सोया और डेयरी आइटम — पर टैक्स में राहत देने की मांग कर रहा है। वहीं भारत चाहता है कि अमेरिका उसकी Pharma, Textile और IT Services पर टैरिफ घटाए।
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि इस डील से दोनों देशों के बीच व्यापार संतुलन सुधरेगा। लेकिन किसानों का डर कुछ और है। उनका कहना है कि अगर अमेरिकी मक्का भारत में सस्ते दाम पर आने लगा, तो देसी किसानों के उत्पाद की कीमतें गिर जाएंगी।
किसानों को क्यों है डर?
भारत में मक्का (Maize) की खेती करीब 10 राज्यों में बड़े पैमाने पर होती है — खासकर बिहार, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना और महाराष्ट्र में। इन राज्यों के लाखों किसान मक्का बेचकर ही अपना घर चलाते हैं।
लेकिन अमेरिकी मक्का दुनिया के सबसे सस्ते उत्पादों में गिना जाता है क्योंकि वहाँ सरकार किसानों को भारी Subsidy देती है।
अगर US Maize को भारत में कम टैरिफ पर एंट्री मिल गई, तो बाजार में सस्ते मक्के की बाढ़ आ जाएगी। इसका सीधा असर भारतीय किसानों की आमदनी पर पड़ेगा।
भारतीय किसान यूनियन ने चेतावनी दी है कि अगर यह डील किसानों के हितों के खिलाफ गई, तो देशभर में विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे।
मक्का ही नहीं, डेयरी सेक्टर भी खतरे में
अमेरिका चाहता है कि भारत Dairy Products Import पर भी टैरिफ घटाए। यानी अमेरिकी दूध, मक्खन और चीज़ भारत में सस्ते में बिक सकेंगे।
लेकिन भारत के लाखों छोटे डेयरी किसान पहले ही महंगाई और उत्पादन लागत से जूझ रहे हैं। ऐसे में सस्ते अमेरिकी उत्पाद उनके कारोबार को चौपट कर सकते हैं।
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत का डेयरी सेक्टर छोटे किसानों पर आधारित है। अगर बड़े अमेरिकी ब्रांड भारत में उतर गए, तो छोटे उत्पादक टिक नहीं पाएंगे।
भारत को क्या मिलेगा इस Deal से?
सरकारी सूत्रों का कहना है कि इस India-US Trade Deal से भारत के लिए कई फायदे भी हो सकते हैं।
- भारत को अमेरिकी बाजारों में Textile, Jewellery, और IT Services के लिए ज्यादा एक्सपोर्ट अवसर मिलेंगे।
- Pharma Sector को भी बड़ी राहत मिलेगी क्योंकि अमेरिका जेनेरिक दवाओं के आयात पर कुछ नियम आसान करने को तैयार है।
- निवेश (Investment) और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के क्षेत्र में सहयोग बढ़ेगा।
यानी यह डील भारत के निर्यातकों के लिए वरदान साबित हो सकती है, लेकिन किसानों के लिए चुनौती।
किसानों का तर्क: “Self-reliant Agriculture” खतरे में
किसानों का कहना है कि Atmanirbhar Bharat (आत्मनिर्भर भारत) का नारा तब खोखला लगेगा जब हम अमेरिका से सस्ते कृषि उत्पाद मंगाएंगे।
भारत के कृषि विशेषज्ञ भी चेतावनी दे रहे हैं कि अगर यह डील कृषि क्षेत्र को कमजोर करती है, तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ सकता है।
“भारत को चाहिए कि वह इस डील में अपने किसानों की सुरक्षा के लिए स्पष्ट शर्तें रखे,”
— कृषि अर्थशास्त्री डॉ. अरविंद मिश्रा
अंतरराष्ट्रीय राजनीति का पहलू
अमेरिका और भारत के बीच यह डील केवल व्यापारिक नहीं, बल्कि Geopolitical भी है।
अमेरिका चाहता है कि भारत China के मुकाबले एक मजबूत ट्रेड पार्टनर बने। वहीं भारत भी इस साझेदारी से अपनी वैश्विक स्थिति मजबूत करना चाहता है।
लेकिन किसानों का कहना है कि “देश की ताकत खेतों से आती है, न कि विदेशी डील से।
यह भी पढ़े: थप्पड़ कांड में फंसे SDM Chotulal Sharma: मेहनत से बने अफसर, अब Suspension की मार

