Delhi Excise policy case: दिल्ली सरकार की शराब नीति को लेकर चल रही जांच के बीच, दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वी.के. सक्सेना ने बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा दायर करने की मंजूरी दे दी है। यह कदम दिल्ली की शराब नीति मामले में एक नई करवट को दिखाता है, जो लंबे समय से विवादों और भ्रष्टाचार के आरोपों के घेरे में रही है।
यह घटना दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 से पहले की है, जब विपक्षी पार्टियां और ईडी के खिलाफ आरोपों को लेकर केजरीवाल पर दबाव बढ़ा रहे थे। एलजी के कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, 5 दिसंबर 2024 को प्रवर्तन निदेशालय ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा दायर करने के लिए मंजूरी मांगी थी, और अब एलजी ने इसे स्वीकृति प्रदान की है।
Delhi Excise policy case
दिल्ली सरकार की शराब नीति को लेकर पिछले कुछ महीनों से राजनीति गरमाई हुई है। 2021 में दिल्ली सरकार ने शराब की बिक्री और वितरण के लिए नई नीति लागू की थी, जिसे लेकर विपक्षी दलों ने गंभीर आरोप लगाए थे। आरोप है कि इस नीति के जरिए दिल्ली सरकार ने कुछ व्यापारिक व्यक्तियों को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों में छेड़छाड़ की और शराब के ठेकों से बड़े पैमाने पर रिश्वत ली।
ईडी और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली शराब नीति मामले में कई बार छापेमारी की थी, जिसमें अधिकारियों और व्यापारियों से पूछताछ की गई थी। इस दौरान यह आरोप भी लगाए गए थे कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस नीति को लागू करने में सीधे तौर पर अपनी भूमिका निभाई और कुछ भ्रष्ट व्यापारिक समूहों को लाभ पहुँचाने के लिए जानबूझकर इसे लागू किया।
ईडी की जांच और अरविंद केजरीवाल की भूमिका
ईडी की जांच में यह सामने आया है कि शराब नीति में कथित तौर पर अनियमितताएं की गईं, और इसके परिणामस्वरूप सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ। मामले में कई बड़े नामों का पर्दाफाश हुआ है, जिनमें दिल्ली सरकार के कुछ मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों के नाम भी शामिल हैं।
ईडी ने दावा किया था कि शराब की अवैध बिक्री से जुड़े इस मामले में कई वित्तीय लेन-देन हुए थे, जो भ्रष्टाचार की ओर इशारा करते हैं। जांच में यह भी पाया गया कि एक विशेष समूह को फायदा पहुंचाने के लिए दिल्ली सरकार ने शराब ठेकों के लाइसेंस देने की प्रक्रिया में नियमों का उल्लंघन किया।
अब, एलजी वी.के. सक्सेना ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा दायर करने की मंजूरी दी है। यह फैसला उस समय आया है जब दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान करीब है, और इस फैसले को राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। केजरीवाल पर आरोप है कि उन्होंने इस मामले में अपनी सरकार के तहत भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और आरोप
इस मंजूरी के बाद, विपक्षी पार्टियों ने इसे दिल्ली सरकार के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा है। भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) और कांग्रेस ने अरविंद केजरीवाल को घेरते हुए आरोप लगाया कि उनका सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त है और उन्हें न्यायिक प्रक्रिया का सामना करना चाहिए।
बीजेपी ने कहा, “यह कदम दिल्ली की जनता के लिए एक संदेश है कि कोई भी चाहे वह कितना भी बड़ा क्यों न हो, कानून से ऊपर नहीं है।” वहीं कांग्रेस ने भी इसे दिल्ली सरकार के लिए एक बड़ा झटका करार दिया है और केजरीवाल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
वहीं दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी (AAP) ने एलजी के इस कदम पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि यह कदम पूरी तरह से राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है। आप ने कहा कि अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी पर लग रहे सभी आरोप निराधार हैं और यह सिर्फ उन्हें और उनकी पार्टी को बदनाम करने की एक कोशिश है।
आप के एक प्रवक्ता ने कहा, “यह राजनीति का हिस्सा है और हमें पूरा विश्वास है कि अरविंद केजरीवाल को इस मामले में न्याय मिलेगा। यह सब कुछ दिल्ली की जनता को धोखा देने के लिए किया जा रहा है।”
क्या है आगे की प्रक्रिया?
अब, एलजी से मंजूरी मिलने के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मुकदमा दायर करेगा। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि दिल्ली सरकार ने हमेशा अपनी नीतियों को पारदर्शी और जनहित में बताया है, और केजरीवाल ने भी इस मामले में अपनी संलिप्तता को बार-बार नकारा है।
यह मामला अब अदालत में जाएगा, और यह देखा जाएगा कि क्या ईडी के पास इस मामले को साबित करने के पर्याप्त सबूत हैं। इसके साथ ही, राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जारी रहेगी कि यह मुद्दा दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 पर किस प्रकार का असर डालता है।
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