भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए अपने महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग (स्पैडेक्स) मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। इसके साथ ही प्रक्षेपण वाहन में 24 अन्य प्रयोग भी शामिल थे। यह प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया गया, जिसमें 220 किलोग्राम वजनी दो उपग्रहों को PSLV (ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान) के माध्यम से पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया गया।
इस प्रक्षेपण से पहले, पृथ्वी की कक्षा में अन्य उपग्रहों से टकराव की आशंका को देखते हुए केवल दो मिनट की देरी की गई। इसरो ने इस मिशन के तहत अंतरिक्ष यान की कक्षा में ‘डॉकिंग’ और ‘अनडॉकिंग’ प्रक्रियाओं का प्रदर्शन करने का लक्ष्य रखा है।
स्पैडेक्स मिशन की अहमियत
भारत, स्पैडेक्स मिशन की सफलता के बाद, अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में महारत हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन इस तकनीक को विकसित कर चुके हैं। दो अंतरिक्ष यान, SDX01 (चेजर) और SDX02 (टारगेट), अगले 10 दिनों के भीतर अंतरिक्ष में डॉकिंग प्रक्रिया का प्रदर्शन करेंगे। यह प्रक्रिया 7 जनवरी को पूरी होने की उम्मीद है।
स्पैडेक्स मिशन का उद्देश्य उन्नत डॉकिंग तकनीक का विकास और परीक्षण करना है, जो भारत के भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए बेहद उपयोगी साबित होगी। इन अभियानों में चंद्रमा पर नई खोज, प्रस्तावित भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन, और अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा की सतह पर भेजने जैसे मिशन शामिल हैं।
तकनीकी पहलू और प्रक्रिया
इस मिशन में प्रक्षेपित दोनों अंतरिक्ष यान पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किए गए हैं। प्रारंभ में, ये यान एक-दूसरे से लगभग 10-15 किलोमीटर की दूरी पर होंगे। इसके बाद, उनके बीच की दूरी को नियंत्रित करते हुए डॉकिंग प्रक्रिया शुरू की जाएगी। ऑनबोर्ड सिस्टम्स की जांच पूरी होने के बाद, दोनों यान सफलतापूर्वक डॉकिंग करेंगे।
इसरो का टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (ISTRAC) इस मिशन को प्रबंधित कर रहा है। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इसे भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि यह मिशन भारत को उन देशों की सूची में शामिल करेगा, जो अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में निपुण हैं।
भविष्य की दिशा में एक कदम
स्पैडेक्स मिशन न केवल भारत की तकनीकी क्षमताओं को मजबूत करेगा, बल्कि अंतरिक्ष में नए अवसरों के द्वार भी खोलेगा। चंद्रमा से मिट्टी और चट्टानें लाने, अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने और मानव मिशन को चंद्रमा पर भेजने जैसे उद्देश्यों के लिए यह तकनीक बेहद महत्वपूर्ण है।
इसरो के अधिकारियों ने इस मिशन को भारत के अंतरिक्ष शोध के लिए एक बड़ा कदम बताया। यह तकनीक अंतरिक्ष यान की डॉकिंग और अनडॉकिंग की प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाएगी, जिससे आने वाले अंतरिक्ष अभियानों में और भी प्रगति होगी।
स्पैडेक्स मिशन की सफलता भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए तैयार है।
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