
Maharana Pratap Jayanti: संघर्ष, बलिदान और स्वराज की कहानी
Maharana Pratap Jayanti: जिनका जन्म अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक 9 May 1540 को हुआ था लेकिन हिंदी कैलेंडर के मुताबिक इनका जन्मदिवस आज यानि 29 May को है। महाराणा प्रताप जयंती जी का जन्म मेवाड़ के कुम्भलगढ़ में हुआ था, इनको लोगो द्वारा मुगल के विरुद्ध आज़ादी और अपने भूमि के लिए अटूट संघर्ष किया और मुगलो को को मेवाड़ हतियाने नहीं दिया। इनकी मृत्यु 19 January 1597 को 56 की उम्र में हुई थी, महाराणा प्रताप की मृत्यु शिकार के दौरान लगी चोटों से हुई थी। जब वे शिकार कर रहे थे, तो उनके धनुष की कमान उनकी आंत में लगी, जिससे उन्हें गंभीर चोट आई थी।
महाराणा प्रताप इतिहास
महाराणा प्रताप जी का जन्म 9 may 1540 (अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक) मेवाड़ के कुम्भलगढ़ में हुआ था। इन्हे पिता जी का नाम महाराणा उड़ाई सिंह II था जिन्होंने उदयपुर की खोज की थी और माता जी का नाम महाराणा जैवन्ती बोई था। यह लोग सीसोदिअ राजवंश के थे जो राजपूत थे, इन्होने मेवाड़ पर शाशन किया था। महाराणा प्रताप के पिता जी की मृत्यु के बाद, अपने छोटे भाई जगमाल को ताज पहनाने के प्रयासों के बावजूद, मेवाड़ के सरदारों ने उनकी बहादुरी और नेतृत्व गुणों के कारण प्रताप को शासक चुना।
इन्होने अकबर के विरुद्ध लड़ाइयां लड़ी जो भारत के अपने शासन को बढ़ाना चाहता था लेकिन महाराणा प्रताप के संघार और अपनी भूमि के विरुद्ध अकबर से लगे और मेवाड़ को अकबर के राज में आने से मुक्त किया, उन्होंमे मुग़ल के आगे खुद को समर्पित करने से इंकार कर दिया।
महाराणा प्रताप के युद्ध और तकनीक
हल्दीघाटी का युद्ध जो 18 June 1576 में हुआ था जिस लड़ाई में महाराणा प्रताप की सेना की कम संख्या होने के कारन उन्हें पीछे हटना पड़ा, जहा मुघलो की सेना में 80,000 सैनिक थे लेकिन महाराणा प्रताप की सेना में सिर्फ 15000 सैनिक होने के कारन उन्हें पीछे हटना पड़ा। चेतक जो महाराणा प्रताप का घोडा था जिसने महाराणा प्रताप की रक्षा हेतु अपनी जान की बाज़ी लगा दी लेकिन उनका घोडा वीर गति को प्राप्त हो गया, इनका घोडा अपने मालिक के प्रति वफादारी और प्रेम के भाव दर्शाता है ।
हल्दीघाटी के बाद महाराणा प्रताप ने जंगल और पहाड़ों में छुप कर युद्ध करना शुरू किया, इसके बाद उन्होंने छिप कर भागने की मरने की तकनीक अपनायी जिसमे उन्होंने मुगल फौजियों को बार बार चकमा दिया। उनको स्थानीय लोगो का हमेशा साथ मिलता रहा जिनके साथ उनकी मदद लेके उन्होंने मुगल सेना के कब्ज़े से कुम्भलगढ़, गोगुन्दा, और उदयपुर जैसे काफी क्षेत्र वापस लिए।
चावंड की स्थापना
महाराणा प्रताप हमेशा युद्ध की हालत में रहने के बाद इन्होने चावंड को अपनी राजधानी बनाया, यहाँ इनका अंतिम निवास था और मुगल के खिलाफ आखिरी राण-निति यही बनायीं ।
इनकी लड़ाइयों की विशेषता
महाराणा प्रताप कभी मुगल के आगे झुके नहीं जहा अन्य राजपूत राजा ने मुगल के आगे घुटने टेक दिए। राष्ट्र के सम्मान के लिए सुख-समृद्धि का त्याग कर दिया। अपने लोगो और जनता के प्रति प्रेम और सेवा का भाव और जनता द्वारा भी उन्हें पूर्ण समर्थन मिला।
जयंती पे अवसर पे बैंक हॉलिडे
आज 29 May 2025 यानी महाराणा प्रताप जी की जयंती जो की हिंदी कैलेंडर के मुताबिक आज है और तोह और कई राज्यों के बैंक में आज उनकी जयंती के लिए बैंक बंद रक्खे है। शिमला और हिमाचल की कुछ जगाओ पे बैंक बंद रहेंगे जहा पे फिजिकल बैंकिंग सर्विसेज जैसे ब्रांच विजिट्स, चेक क्लेअरनेस, कॅश डिपाजिट और मैन्युअल लोन प्रोसेसिंग, आदि आज के लिए बंद रहेगी लेकिन वही इंटरनेट बैंकिंग, ऑनलाइन मनी ट्रांसफर और यूपीए पेमेंट जारी रहेगी ।
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