
Narasimha Jayanti 2025: आधा मानव, आधा सिंह, नरसिंह अवतार की चौंका देने वाली कथा!
नरसिंह जयंती 2025 : सनातन धर्म में कई सारे त्यौहार मनाए जाते हैं, उनमें से एक और त्योहार है जो वैशाख मास के 14 दिन मनाया जाता है, जिसे हम “नरसिंह जयंती ” कहते हैं।
Narasimha Jayanti 2025
वैशाख मास के 14 दिन प्रत्येक वर्ष नरसिंह जयंती मनाई जाती है। भगवान विष्णु का अवतार माने जाते हैं नरसिंह देवता। भगवान विष्णु का यह नरसिंह अवतार आधा मानव और आधा शहर के रूप में दिखाई पड़ता है। भगवान विष्णु का यह रूप काफी भयंकर और रुद्र है, जो उन्होंने भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए और अत्याचारी राजा हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए लिया था।
Narasimha Jayanti कैसे मनाई जाती है ?
- नरसिम्हा जयंती पूरे भारतवर्ष में धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन सभी लोग ईमानदारी और भक्ति के साथ इस पर्व को मानते हैं।
- नरसिम्हा जयंती के दिन कई सारे भक्त उपवास भी रखते हैं और विधि विधान से उनकी पूजा करते हैं। सूर्यास्त के बाद भगवान नरसिंह की पूजा और प्रसाद के साथ उनका उपवास तोड़ा जाता है।
- देशभर में ऐसे कई सारे मंदिर है जो भगवान नरसिंह को समर्पित है, खासतौर पर कर्नाटक आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में भगवान के कई सारे मंदिर है जहां लोगों की भीड़ उमड़ जाती है।
- भगवान नरसिंह को गुड और पानी से बना पनकम नाम का एक पारंपरिक प्रसाद चढ़ाया जाता है, जिसे बाद में भक्तजन भी ग्रहण करते हैं।
Narasimha Jayanti की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, हिरण्यकश्यप नाम का एक राक्षस राजा था जिसको भगवान ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त था कि वह ना इंसान के हाथों मर सकता है ना ही जानवर, देवता या रक्षा उसे मार सकता है। इतना ही नहीं बल्कि ना तो अंदर से कोई मार सकता है ना ही बाहर मार सकता है ना दिन में और ना ही रात में। हिरण्यकश्यप को यह भी वरदान था कि ना ही उसकी मृत्यु जमीन पर हो सकती है और ना ही आसमान में और ना ही किसी हथियार से।
ब्रह्मा जी के इस वरदान से हिरण्यकश्यप को लगा कि इस पूरे ब्रह्मांड में अब ऐसा कोई भी नहीं है जो उसकी मृत्यु कर पाए, इसी कारण उसके अंदर अहंकार आ गया। अहंकार में आकर उसे रक्षा राजा ने अपने राज्य में भगवान विष्णु की पूजा पर रोक लगा दी और कहा कि सिर्फ मेरी ही पूजा हो।
हिरण्यकश्यप का एक बेटा था जिसका नाम भक्त प्रहलाद था। भक्त प्रहलाद अपने पिता से एकदम अलग था। वह भगवान विष्णु का सबसे बड़ा भक्त था और हर समय विष्णु नाम जपता रहता था। राजा को अपने पुत्र की यह हरकत कभी भी पसंद नहीं आई और उसने अपने ही पुत्र को करने के लिए कई सारे प्रयत्न करें, लेकिन जितनी बार राजा अपने पुत्र को मारने की कोशिश करता इतनी बार भगवान विष्णु भक्त प्रहलाद की रक्षा करते।
एक बार भक्ति प्रहलाद से भगवान विष्णु की उपस्थिति के बारे में पूछा गया तो प्रह्लाद ने कहा कि भगवान हर जगह निवास करते हैं।
अपने पुत्र की यह बात सुनकर उसका पिता अत्यंत क्रुद्ध में आया और उसने कहा कि मुझे इस बात का सबूत दो कि भगवान हर जगह है, और अपने बेटे पर उसे क्रूर पिता ने खंभे से प्रहार किया।
उसके तुरंत बाद एक ऐसा रूप प्रकट हुआ जो ना जानवर था और ना ही इंसान, वह रूप नहीं देवता की तरह प्रतीत हो रहा था और ना ही रक्षा की तरह।
शाम के समय महल की दहलीज पर नर्सिंग ने हिरने कश्यप को अपनी गोद में बिठाया और अपने पंजों से उसे फाड़ डाला। इसके बाद हिरण्यकश्यप का संघार हो गया।
वह रूप और किसी का नहीं बल्कि भगवान विष्णु का नरसिंह अवतार था, जो ना ही जानवर था और ना ही मनुष्य, वह अवतार ना ही देवता की तरह था और ना ही असर की तरह। भगवान के नरसिंह अवतार में दिए गए वरदान की शर्तों के तहत ही राजा का वध किया।
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