
National Statistics Day 2025: प्रसांत चंद्र महालनोबिस को श्रद्धांजलि, जब आंकड़े बनते हैं विकास की नींव
National Statistics Day 2025: हर साल 29 जून को राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस मनाया जाता है। यह दिन सिर्फ एक तारीख नहीं है, बल्कि यह भारत के आधुनिक विकास में आंकड़ों की भूमिका को समझने और महान वैज्ञानिक प्रसांत चंद्र महालनोबिस को श्रद्धांजलि देने का अवसर है। वे भारतीय सांख्यिकी के जनक माने जाते हैं। इस दिन को मनाने का उद्देश्य यह भी है कि आम लोगों, छात्रों और नीतिनिर्माताओं को बताया जाए कि डेटा और आंकड़े कैसे हमारे जीवन और देश के भविष्य को आकार देते हैं।
कब और क्यों मनाया जाता है?
राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस 2025 इस बार शनिवार, 29 जून को मनाया जाएगा। यह दिन महालनोबिस की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जिनका जन्म 29 जून 1893 को हुआ था। भारत सरकार ने 2007 में इस दिन को आधिकारिक रूप से “राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस” घोषित किया।
इस वर्ष की थीम है:
“निर्णय लेने के लिए आंकड़ों का उपयोग ” यह विषय इस बात को दर्शाता है कि आज के डिजिटल दौर में, कोई भी नीति या योजना बिना सही आंकड़ों के सफल नहीं हो सकती। सरकार से लेकर कंपनियों तक, स्कूलों से लेकर अस्पतालों तक, हर जगह आंकड़े ही सही फैसलों की नींव हैं।
कौन थे प्रसांत चंद्र महालनोबिस?
प्रसांत चंद्र महालनोबिस सिर्फ एक वैज्ञानिक नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी योजनाकार थे। उन्होंने भारत में सांख्यिकी के क्षेत्र की नींव रखी और यह बताया कि आंकड़ों के बिना कोई भी योजना अधूरी है।
उनके कुछ प्रमुख योगदान:
महालनोबिस दूरी (Mahalanobis Distance): एक सांख्यिकीय तकनीक जो आज pattern recognition और machine learning में भी इस्तेमाल होती है।
- भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI) की स्थापना 1931 में की।
- वे योजना आयोग के सदस्य रहे और भारत की द्वितीय पंचवर्षीय योजना में औद्योगीकरण को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई।
- भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया।
- उनका सपना था कि भारत एक ऐसा देश बने जो अपने फैसलों के लिए वैज्ञानिक आंकड़ों और विश्लेषण पर भरोसा करे – और आज यह सपना हकीकत बनता जा रहा है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस का महत्व
इस दिन का महत्व सिर्फ महालनोबिस की उपलब्धियों को याद करने तक सीमित नहीं है। यह दिन एक राष्ट्रीय संदेश भी है – कि आंकड़े हमारी सबसे बड़ी शक्ति हैं।
इस दिन के मुख्य उद्देश्य:
सांख्यिकी साक्षरता बढ़ाना: छात्रों, शिक्षकों और आम लोगों को आंकड़ों की समझ देना।
डेटा साइंस में करियर: युवाओं को इस क्षेत्र में करियर के लिए प्रेरित करना।
नीति निर्माण में योगदान: सरकार और संस्थाओं को डेटा पर आधारित निर्णय लेने के लिए जागरूक करना।
सांख्यिकी का भारत में योगदान
हमारे देश की नीतियों से लेकर हर योजना में आंकड़ों का बहुत बड़ा योगदान होता है।
आर्थिक नीतियां: GDP, बेरोजगारी दर, महंगाई जैसे आंकड़े सरकार को नीति बनाने में मदद करते हैं।
स्वास्थ्य और शिक्षा: NFHS जैसे सर्वे से देश में बच्चों की पोषण स्थिति, शिक्षा स्तर, महिलाओं की स्थिति आदि की जानकारी मिलती है।
सामाजिक योजनाएं: गरीबों के लिए बनाई गई योजनाएं, वृद्धावस्था पेंशन, बाल विकास, सब आंकड़ों पर ही आधारित हैं।
कृषि और ग्रामीण विकास: फसल उत्पादन, बारिश, खाद्य मूल्य जैसी जानकारियां किसानों तक पहुंचाना भी सांख्यिकी की ही देन है।
2025 में कैसे मनाया जाएगा यह दिन?
इस वर्ष सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) इस दिन को पूरे देश में विभिन्न गतिविधियों के जरिए मनाएगा।
प्रमुख वैज्ञानिकों के व्याख्यान
थीम आधारित सेमिनार और वेबिनार
छात्रों के लिए निबंध और पोस्टर प्रतियोगिता
सांख्यिकी में उत्कृष्टता के लिए पुरस्कार
ऑनलाइन चर्चाएं और डिबेट
निष्कर्ष
राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस सिर्फ एक जयंती नहीं, बल्कि यह याद दिलाने का दिन है कि “बिना आंकड़ों के, कोई भी योजना सिर्फ एक विचार रह जाती है।” प्रसांत चंद्र महालनोबिस जैसे वैज्ञानिकों की सोच और मेहनत के कारण ही आज भारत डेटा-सक्षम राष्ट्र बन रहा है।
आइए, इस दिन हम सब यह संकल्प लें कि हम आंकड़ों को समझेंगे, उसका सही उपयोग करेंगे, और देश की प्रगति में अपनी भूमिका निभाएंगे। क्योंकि आंकड़े सिर्फ नंबर नहीं, बल्कि भविष्य की दिशा होते हैं।
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