
यहां देश-विदेश से लोग शाही स्नान के लिए आ रहे हैं।
महाकुंभ 2025 में अभी तक करोड़ों लोगों ने संगम में डुबकी लगा ली है। वही Shahi Snaan पर यहां जबरदस्त भीड़ उमड़ती है। यहां देश-विदेश से लोग शाही स्नान के लिए आ रहे हैं। ऐसे में आगामी शाही स्नान जो की मौनी अमावस्या है उसके लिए श्रद्धालुओं की भीड़ अभी से उमड़नी शुरू हो गई है। प्रयागराज आने जाने का किराया भी काफी महंगा हो गया है। हवाई किराया तो मानो आसमान छूं रहा है। प्रति व्यक्ति का किराया ₹50 हज़ार पार कर गया है।
कुल कितने Shahi Snaan?
महाकुंभ में कुल 6 Shahi Snaanहोते हैं। जिनमें से दो बीत चुके हैं। आगामी शाही स्नान 29 जनवरी को है इस दिन मौनी अमावस्या है ,जबकि चौथा शाही स्नान 3 फरवरी को वसंत पंचमी पर, पांचवा शाही स्नान 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा पर और छठा और अंतिम शाही स्नान 26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर होगा इसके बाद महाकुंभ मेले का समापन हो जाएगा। शाही स्नान के दौरान महाकुंभ के संगम में पवित्र डुबकी लगाने के लिए जबर्दस्त भीड़ उमड़ती है। वही आने वाले शाही स्नान के लिए अभी से संगम तट पर भीड़ लगनी शुरू हो चुकी है। पहले शाही स्नान के दिन 1.65 करोड़ लोगों ने संगम में डुबकी लगाई थी । हीं दूसरा शाही स्नान जो की 14 फरवरी को मकर संक्रांति के दिन था उस दिन 3.60 करोड़ लोगों ने संगम में लगाई थी। अब अगले शाही स्नान पर जन सैलाब देखने को मिलेगा।
Shahi Snaan के कारण टिकट हुई महंगी
शाही स्नान के कारण महाकुंभ जाने की टिकट महंगी हो गई है। अब चाहे ट्रेन की टिकट हो यह हवाई टिकट। बात करें 29 जनवरी की तो मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज आने-जाने की टिकट ₹50,000 से ज्यादा तक की हो गई है। वही अलग-अलग ट्रैवल पोर्टल के मुताबिक किराए में थोड़ा बहुत अंतर भी आ रहा है। मौनी अमावस्या के दिन दिल्ली से प्रयागराज का किराया प्रति यात्री 18,028 से 28,739 रुपए के बीच है। यह किराया मेक माय ट्रिप वेबसाइट के अनुसार है। वहीं दूसरी ओर इस दिन प्रयागराज से दिल्ली वापस आने का किराया 14,152 रुपए से ₹29,324 के बीच में।
अन्य राज्यों की स्थिति
दिल्ली मुंबई की अतिरिक्त देश के सभी अन्य शहरों से भी प्रयागराज से आने जाने का किराए में बढ़ोतरी देखी गई है। बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई से प्रयागराज जाने के लिए हवाई किराया भी इतना ही है। Shahi Snaan के दिन प्रयागराज जाने का किराया 40,000 रूपए के पार पहुंच गया है।
मौनी अमावस्या का पौराणिक महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार मौनी अमावस्या की अलग-अलग मान्यताएं हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इस दिन देवताओं ने गंगा में स्नान किया और मौन व्रत धारण किया इसलिए मौनी अमावस्या मनाई जाती है तो कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि इस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया था। और असुरों को अमृत पान करने से रोका था। वही एक और मान्यता यह भी है कि इस दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी और पहली बार ‘ओम’ का उच्चारण किया था । इसलिए इस दिन को ध्यान और योग की दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है।
मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान का महत्व
मौनी अमावस्या पर गंगा स्नान करने का एक अलग महत्व माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यदि आप मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान कर लेते हैं तो आपके सभी पापों का नाश हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन प्रयागराज संगम जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती है यहां पर स्नान करने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। वही इस बार महाकुंभ 2025 में मौनी अमावस्या को तीसरा Shahi Snaan है। इस दिन करोड़ की संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज संगम में डुबकी लगाएंगे। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से न केवल शरीर पवित्र होता है बल्कि मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा भी मिलती है।
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