
27 जनवरी को उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी UCC लागू होने जा रहा है
आज यानी 27 जनवरी को उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी UCC लागू होने जा रहा है। उत्तराखंड देश का पहला राज्य होगा जहां UCC लागू किया जाएगा। इस कानून के लागू होने के बाद शादी के रजिस्ट्रेशन से लेकर तलाक तक सभी धर्म के लोगों के लिए एक समान कानून हो जाएंगे। ढाई साल की सभी तैयारी के बाद अंततः आज उत्तराखंड में यूनिफार्म सिविल कोड लागू होने जा रहा है। यह कानून उन लोगों के लिए भी है जो उत्तराखंड वासी है लेकिन उत्तराखंड से बाहर रहते हैं।
CM धामी पूरी तरह से तैयार
आज राज्य सचिवालय में UCC पोर्टल का उद्घाटन किया जाएगा। जिसकी अगुवाई उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी करेंगे। 26 जनवरी को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने कहा था कि UCC धर्म, लिंग, जाती या समुदाय के आधार पर सभी भेदभाव से मुक्त एक सामंजस्य पूर्ण समाज स्थापित करेगी। उन्होंने आगे कहा कि हम अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा कर रहे हैं जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाना इसका एक प्रत्यक्ष उदाहरण है। राज्य ने अपना काम पूरा कर लिया है और जनवरी 2025 से पूरे राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड कानून को लागू किया जाएगा।
पुष्कर सिंह धामी ने कहा
मुख्यमंत्री धामी ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमने राज्य के लोगों से 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले UCC लाने का वादा किया था। सरकार बनने के बाद हमने इसे प्राथमिकता से किया। हम इस वादे को पूरी तरह और औपचारिक रूप से पूर्ण करने जा रहे हैं। यह प्रधानमंत्री के सामंजस्य से पूर्ण भारत के निर्माण की रिपोर्ट के अनुरूप होगा। जहां किसी भी धर्म, लिंग, जाति या समुदाय के खिलाफ कोई भेदभाव नहीं होगा।
गोवा में पहले से लागू है यूनिफॉर्म सिविल कोड
भारतीय संविधान के अनुसार गोवा एक विशेष राज्य है इसके साथ ही संसद में कानून बनाकर गोवा को पुर्तगाली सिविल कोड लागू करने का अधिकार दिया गया था। इसी कारण गोवा एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां पर UCC आजादी के पहले ही लागू हो चुका था। लेकिन अब उत्तराखंड पहला ऐसा राज्य बनेगा जहां आजादी के बाद UCC लागू होने वाला है।
क्या है UCC
यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी UCC का उद्देश्य है देश में रहने वाले सभी धर्म, मजहब के नागरिकों को एक ही कानून का पालन करना होगा। यदि किसी राज्य में UCC लागू है तो विवाह, तलाक समेत बच्चा गोद लेना और संपत्ति बंटवारे के साथ-साथ लिव इन रिलेशनशिप जैसे सभी विषयों में हर नागरिक के लिए एक समान कानून होगा। UCC लागू होने के बाद शादी के साथ-साथ लिव इन रिलेशनशिप कपल्स को भी रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है।
इन देशों की सिविल कोड का किया गया अध्ययन
सऊदी, तुर्की, इंडोनेशिया, नेपाल, फ्रांस, अज़रबैजान, जर्मनी, जापान और कनाडा।
UCC का भारत में सफर
12 फरवरी 2022 को विधानसभा चुनाव के दौरान CM पुष्कर सिंह धामी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड का ऐलान किया था।
मुख्यमंत्री के पद पर विराजमान होने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में UCC लाने का फैसला लिया गया।
मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में विशेषज्ञ की समिति बनाई गई।
इस समिति ने 20 लाख ऑनलाइन और ऑफलाइन सुझाव हासिल किया।
ढाई लाख लोगों से समिति ने डायरेक्ट वार्ता की।
2 फरवरी 2024 को विशेषज्ञों की समिति ने ड्राफ्ट रिपोर्ट मुख्यमंत्री धामी को सौंपी।
6 फरवरी 2024 को विधानसभा में UCC विधेयक को पेश किया गया।
7 फरवरी को विधेयक को विधानसभा में मंजूरी मिली।
राज भवन में विधेयक को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति को भेजा।
11 मार्च को राष्ट्रपति ने यूनिफॉर्म सिविल कोड विधेयक पर मुहर लगाई।
UCC कानून के नियम बनाने के लिए एक समिति का गठन किया गया।
18 अक्टूबर 2024 को राज्य सरकार को नियमावली सौपी गई।
20 जनवरी 2025 को नियमावली को कैबिनेट की मंजूरी प्राप्त हुई।
आज 27 जनवरी 2025 को UCC लागू होने जा रहा है।
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