13 दिसंबर 2024 को कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने लोकसभा में अपने पहले भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान केवल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का विधान नहीं है और प्रधानमंत्री मोदी को यह समझना चाहिए कि संविधान देश के सभी नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों का मार्गदर्शन करने वाला दस्तावेज़ है, न कि किसी विशेष संगठन का शासकीय नियमावली। यह उनका पहला भाषण था और उन्होंने इसे भारतीय संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर रखा, जब संसद में संविधान और लोकतंत्र पर व्यापक चर्चा हो रही थी।
प्रियंका गांधी ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह समझना चाहिए कि यह भारत का संविधान है, न कि संघ का विधान।” उनका यह बयान उस समय आया जब बीजेपी और संघ परिवार की नीतियों और उनके संविधान को लेकर किए गए दावों पर विवाद खड़ा हो गया है। प्रियंका गांधी का यह भाषण भारतीय राजनीति और संविधान के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
संविधान पर बीजेपी का कथित हमला
प्रियंका गांधी ने अपने भाषण में यह आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी ने संविधान में बदलाव करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि इस संविधान को बदलने की बीजेपी की कोशिशें देश के लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा, “संविधान ने हमें धर्मनिरपेक्षता, समानता, और नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा दी है। बीजेपी की कोशिश इस पर हमले करने की है, जो देश के भविष्य के लिए खतरनाक हो सकता है।”
प्रियंका गांधी का यह बयान उस समय सामने आया जब भारतीय जनता पार्टी के कई नेता संघ के एजेंडे को समर्थन दे रहे हैं, जो हिंदू राष्ट्र की स्थापना की बात करता है। प्रियंका गांधी ने कहा कि संघ का “विधान” और भारतीय संविधान में अंतर है, और इसका सम्मान करना प्रधानमंत्री मोदी की जिम्मेदारी है।
राष्ट्रीय संसाधनों की निजीकरण पर चिंता
प्रियंका गांधी ने भारत सरकार के आर्थिक फैसलों को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार राष्ट्रीय संसाधनों को कुछ व्यापारिक समूहों को सौंपने की योजना बना रही है, जो न केवल भारत की संपत्ति का निजीकरण है, बल्कि इससे आम जनता को भी बड़ा नुकसान हो सकता है। उन्होंने इसे “व्यापारिक घरानों को देश की धरोहर सौंपने की साजिश” करार दिया और कहा कि यह देश के गरीब और मिडिल क्लास वर्ग के हितों के खिलाफ है।
प्रियंका गांधी ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार ने पहले ही सार्वजनिक क्षेत्र की कई कंपनियों का निजीकरण किया है, जिससे सरकार का यह इरादा स्पष्ट हो गया है कि वे बड़े व्यापारिक घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए देश के संसाधनों का सौदा करना चाहते हैं।
महिलाओं के खिलाफ अत्याचार और यूपी में हिंसा पर चिंता
प्रियंका गांधी ने अपने भाषण में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार की बढ़ती घटनाओं पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार महिलाओं की सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रही है। साथ ही, उन्होंने उत्तर प्रदेश के सम्भल जिले और मणिपुर में हो रही हिंसा पर भी सरकार को कटघरे में खड़ा किया।
प्रियंका गांधी ने कहा, “मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार की घटनाएं बढ़ रही हैं और उत्तर प्रदेश में भी कानून-व्यवस्था की स्थिति गंभीर है। प्रधानमंत्री को इस पर ध्यान देने की जरूरत है।” उनका यह बयान राज्य सरकारों की जिम्मेदारी की ओर इशारा करता है और सवाल उठाता है कि क्या सरकार इस तरह की हिंसा को नियंत्रित करने में सक्षम है।
सामाजिक न्याय की बात और जाति जनगणना की आवश्यकता
लोकसभा में अपनी बात रखते हुए प्रियंका गांधी ने सामाजिक न्याय पर भी जोर दिया। उन्होंने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के द्वारा किए गए जाति जनगणना की मांग का समर्थन किया। प्रियंका गांधी ने कहा कि जाति आधारित जनगणना बेहद जरूरी है, ताकि सरकार यह जान सके कि समाज के विभिन्न वर्गों तक विकास की योजनाएं पहुंच रही हैं या नहीं। उन्होंने कहा, “जाति जनगणना से हमें यह समझने में मदद मिलेगी कि समाज के कौन से वर्ग अभी भी हाशिए पर हैं और उन्हें सशक्त बनाने के लिए कौन से कदम उठाए जा सकते हैं।”
प्रियंका गांधी का पहला भाषण: क्या है संदेश?
प्रियंका गांधी का यह भाषण न केवल उनके लिए, बल्कि कांग्रेस पार्टी के लिए भी एक महत्वपूर्ण मोड़ है। उन्होंने लोकसभा में अपने पहले भाषण में न केवल बीजेपी की नीतियों की आलोचना की, बल्कि सरकार के आर्थिक फैसलों और समाज में बढ़ते असंतोष पर भी अपनी चिंताएं व्यक्त की। प्रियंका गांधी का यह भाषण सत्ता और विपक्ष के बीच की राजनीति में एक नया आयाम जोड़ता है, और इसके जरिए उन्होंने भारतीय संविधान की सुरक्षा और समावेशी विकास की आवश्यकता को प्रमुखता दी।
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