
Tehrik-e-Taliban Pakistan Attack: पाक सेना को करारा झटका – मेजर की मौत!
Tehrik-e-Taliban Pakistan Attack: पाकिस्तानी सेना को मंगलवार को एक बड़ा झटका लगा जब दक्षिणी वजीरिस्तान में आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के हमले में मेजर मोइज अब्बास की मौत हो गई। इस हमले में पाक सेना के दो और जवान भी मारे गए। यह मुठभेड़ उस वक्त हुई जब पाक सेना एक सीक्रेट ऑपरेशन को अंजाम दे रही थी।
पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, मोइज अब्बास इस ऑपरेशन को लीड कर रहे थे। तभी आतंकियों ने घात लगाकर सेना के दल पर हमला किया। जवाबी कार्रवाई में पाक सेना ने TTP के 11 आतंकियों को मार गिराने का दावा किया है।
कौन थे मेजर मोइज अब्बास?
मेजर मोइज अब्बास का नाम 2019 की बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद भारतीय मीडिया में भी चर्चा में आया था। भारतीय वायुसेना के पायलट विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान को पकड़ने का दावा इन्हीं मोइज अब्बास ने किया था।
बताया गया था कि जब अभिनंदन का मिग-21 विमान पाक अधिकृत कश्मीर में क्रैश हुआ था, तब सबसे पहले मोइज अब्बास ही मौके पर पहुंचे थे और उन्होंने ही अभिनंदन को हिरासत में लिया था। बाद में उन्होंने कई इंटरव्यू में बताया था कि कैसे उनका सामना भारतीय पायलट से हुआ और कैसे स्थिति को कंट्रोल किया गया।
TTP: पाकिस्तान के लिए बढ़ती चिंता
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) पाकिस्तान का सबसे खतरनाक आतंकी संगठन माना जाता है। इसकी स्थापना 2007 में बेतुल्लाह मेहसूद ने की थी। इस संगठन में कई छोटे-बड़े आतंकी गुटों को मिलाया गया था, जिनका सीधा मकसद पाकिस्तान सरकार और सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ना था।
TTP की जड़ें उन क्षेत्रों में फैली हैं जहां पाकिस्तानी सरकार की पकड़ कमजोर है, खासकर पाक-अफगान सीमा के कबायली इलाके। ये संगठन लंबे समय से पाकिस्तानी सेना और सुरक्षा बलों पर घातक हमले करता आ रहा है।
2001 में अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान पर हमले के बाद कई आतंकी गुट पाकिस्तान के कबायली इलाकों में छिप गए थे। वहीं से TTP की नींव मजबूत होती गई।
तालिबान की वापसी और TTP का बढ़ता असर
2021 में अफगानिस्तान से अमेरिका की वापसी और तालिबान की सत्ता में दोबारा वापसी के बाद TTP को भी नई ताकत मिली है।
नवंबर 2022 में TTP ने पाकिस्तान के साथ किया गया सीजफायर तोड़ दिया और इसके बाद से उसने हमलों की रफ्तार बढ़ा दी।
TTP के निशाने पर खासकर पाक सेना, पुलिस और सुरक्षा प्रतिष्ठान हैं। पिछले एक साल में सैकड़ों जवान मारे जा चुके हैं।
पाकिस्तान बार-बार अफगानिस्तान पर आरोप लगाता है कि TTP वहां की जमीन से ऑपरेट करता है, लेकिन अफगान सरकार इन आरोपों को खारिज करती रही है।
BLA के भी बढ़े हमले
TTP के साथ-साथ बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) भी पाकिस्तान के लिए बड़ी चुनौती बन गई है।
9 मई को BLA ने बलूचिस्तान के पंजगुर जिले में पाकिस्तानी सेना के काफिले पर हमला किया था जिसमें 14 सैनिक मारे गए थे।
BLA ने इस हमले का वीडियो भी जारी किया और अपने हमलों को “ऑपरेशन हेरोफ” नाम दिया है।
बलूचिस्तान लंबे समय से पाकिस्तान में अलगाववाद और सैन्य दमन का केंद्र रहा है। यहां BLA जैसे संगठनों का समर्थन बढ़ता जा रहा है।
क्या खतरे में हैं पाकिस्तान के एटमी हथियार?
अमेरिका ने हाल ही में पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि यदि आतंकी संगठनों का प्रभाव इसी तरह बढ़ता रहा, तो TTP जैसे संगठन पाकिस्तान के न्यूक्लियर हथियारों तक भी पहुंच सकते हैं।
यह चेतावनी पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाती है।
पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी
मेजर मोइज अब्बास की मौत पाकिस्तान के लिए सिर्फ एक सैन्य नुकसान नहीं, बल्कि यह संकेत है कि देश की आंतरिक सुरक्षा कितनी कमजोर हो चुकी है।
एक समय जो अधिकारी भारत के पायलट को पकड़ने का दावा करता था, अब अपने ही देश में आतंकी हमले में मारा गया।
TTP और BLA जैसे संगठनों की बढ़ती ताकत पाकिस्तान के लिए आने वाले दिनों में और भी खतरनाक साबित हो सकती है।
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