
हिम्मत है तो अकेले फरिया ले भाजपा
Tejashwi Yadav Statement आप तो जानते ही हैं की सत्ता के लिए साम, दाम, दंड, भेद सब चीज का उपयोग करना जायज माना गया है। सत्ता हासिल करने के लिए सब कुछ जायज करार दिया जाता है। अब भले ही खेल राजनीति का हो और उसके आधार वोटर हो। बिहार की राजनीति में सियासी हलचल लगातार बनी हुई है। तेजस्वी यादव ने एक माइंड गेम खेलते हुए सदन में भाजपा को अकेले चुनाव लड़ने की चुनौती दे डाली है। आईये समझेंगे कि आखिर तेजस्वी यादव का बिहार की राजनीति में असल प्लान क्या है?
Tejashwi Yadav Statement: वोट परसेंटेज का गेम?
जब तक नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में सक्रिय रूप से बने हुए हैं तब तक ही बिहार में गठबंधन के जरिए सत्ता हासिल की जा सकती है। और इस बात से भली भांति वाकिफ है “भाजपा और राजद”। बिहार की सत्ता में आना बिना जदयू के संभव नहीं है। नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में क्या मायने रखते ये सभी जानते हैं खासकर की राजद। यदि बिहार में जीतना है तो बिहार की प्रमुख पार्टिया अगर विधानसभा का चुनाव अकेले लड़ते हैं तो सत्ता की कुर्सी का झुकाव राजद की ओर हो सकता है हलाकि ऐसा मानना है तेजस्वी यादव क। तेजस्वी यादव जाति जनगणना के समीकरण पर भरोसा रखते हैं और उसी के सहारे हैं। हालांकि यह भी सच है कि बिहार के विधानसभा चुनाव में जाति ही एकमात्र ऐसा सच है जिसे कोई भी झुठला नहीं सकता है। तो कुल मिलाकर यहां बात जाति समीकरण से पैदा हो रहे वोट समीकरण पर आकर रूकती है।
Tejashwi Yadav Statement: आरजेडी का वोट बैंक जानिए
दरअसल अगर राष्ट्रीय जनता दल की बात करें तो इनका आधार वोट माय यानी मुस्लिम और यादव वोट बैंक है। तत्कालीन जातीय जनगणना के परिपेक्ष्य की बात करें तो यादवों की जनसंख्या बिहार में 14% है और मुसलमानों की जनसंख्या 17% है यानी की कुल मिलाकर 31% वोट है। इनमें से कुछ अन्य जातियां भी शामिल हैं जिन्हें तेजस्वी यादव किसी भी कीमत पर अपने हाथ से नहीं निकलने देना चाहते।
Tejashwi Yadav Statement: भाजपा-जदयू का वोट बैंक समझए
अब बात करते हैं भाजपा के आधार वोट की। दरअसल भाजपा बिहार में मूल रूप से स्वर्ण और वैश्य वोट पर निर्भर करती है। मतलब करीब 20% वोट। इसके अतिरिक्त 5% वोट मिसलेनियस मत भी साथ ले सकते हैं । जबकि जदयू की बात करें तो इनके आधार वोट लव और कुश है यानी मूल रूप से कुर्मी, कुशवाहा, धानुक जैसे जाति के वोट जदयू के खेमे में जा सकते हैं। अभी तक जदयू को जो वोट प्रतिशत प्राप्त हुआ है वह 16 से 22% तक रहा है। JDU का इतिहास है कि जब वह 2014 के लोकसभा में चुनाव अकेले लड़ी थी तो मात्र दो सीट ही मिली थी वह भी 38 लोकसभा सीटों पर लड़ने के बाद और इस बार के चुनाव में जातियों को 16% वोट मिले थे। उसके बाद गठबंधन की सरकार भाजपा ने बनाई थी।
Tejashwi Yadav Statement: अन्य वोटों का खेल जानिए
बिहार में पार्टी के आधार पर वोट बैंक के अतिरिक्त अन्य वोटो का गणित भी अनोखा है। महागठबंधन में जब नीतीश साथ रहते हैं तो अधिकतम वोट महागठबंधन को प्राप्त होते हैं। जब नीतीश कुमार एनडीए में रहे तो ज्यादातर वोट एनडीए के पक्ष में प्राप्त हुए। यह कई इलेक्शन में साफ-साफ दिखा है। लेकिन मान लीजिए कि बिहार विधानसभा की चुनावी जंग अकेले-अकेले लड़नी पड़ जाए तो राजद का पलड़ा भारी हो सकता है। ऐसे में राजद को ज्यादा से ज्यादा सीट लड़ने को मिल सकती है।
Tejashwi Yadav Statement: तेजस्वी यादव का क्या है मास्टर प्लान?
सत्ता हासिल करने के लिए तेजस्वी यादव ने यूं तो बहुत सी चाल चली है लेकिन उनके द्वारा खेले गए दो मास्टर प्लान सत्ता की कुर्सी का राज छुपाए बैठी है। पहले प्लान तो तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार को सीधे-सीधे महागठबंधन में आने का न्योता दिया और फिर लालू यादव ने एक नहीं बल्कि दो बार नीतीश कुमार को महागठबंधन में शामिल होने को कहा। पहली बार यह कहकर कि नीतीश के लिए दरवाजा हमेशा खुला हुआ है और दूसरी बार होली के संदेश के बहाने। राबड़ी देवी और सांसद निशा भारती ने भी अपने तरीके से नीतीश कुमार को महागठबंधन में वापस आने को कहा। जबकि दूसरा माइंड गेम ये है की “हिम्मत है तो भाजपा अकेले ही फरिया ले!” ऐसे में राजद को लगता है कि वह भाजपा नहीं बल्कि सभी पार्टियों पर अपना दबदबा बना लेगी। हालांकि बिहार की राजनीति में अभी बहुत कुछ उलट फेर होना बाकी है। विधानसभा चुनाव तो अक्टूबर या नवंबर में होने को है लेकिन सियासी घमासान अभी से बिहार में देखने को मिल रही है।
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