
Vaishakh Amavasya 2025: पुण्य, तर्पण और दीप दान का शुभ दिन
Vaishakh Amavasya 2025: सनातन धर्म में जिस तरह पूर्णिमा तिथि की विशेष महत्वता है, इस तरह अमावस्या तिथि की भी हमारे शास्त्रों में विशेष महत्वता बताई गई है। वैशाख मास अमावस्या तिथि को दान पुण्य के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इस बार अमावस्या तिथि को लेकर लोगों में काफी असमंजस बनी हुई है। तो चलिए आपको बताते हैं अमावस्या की तिथि, शुभ मुहूर्त और स्नान का सबसे अच्छा समय।
वैशाख अमावस्या 2025
सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। वैशाख मास में जो अमावस्या आती है उसे वैशाख अमावस्या कहा जाता है। यह दिन दान पूर्ण के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
वैशाख अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण और पिंडदान किया जाता है।
वैशाख अमावस्या का महत्व
वैशाख अमावस्या के दिन जो भी व्यक्ति नियम अनुसार पवित्र नदी में स्नान करता है, वह दान पुण्य करता है उसको पुण्य की प्राप्ति होती है। अगर कोई व्यक्ति पितृ दोष से ग्रस्त है तो इस दिन अगर वह दान पुण्य करता है तो पितृ दोष के सभी दूर प्रभाव कम होने लगते हैं। मान्यता है कि वैशाख अमावस्या के दिन जो भी व्यक्ति गाय, कुत्ते, और कौवे को भोजन करवाता है तो उसके जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
वैशाख अमावस्या शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग की माने तो, वैशाख कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरुआत इस बार 27 अप्रैल को सुबह 4:28 से शुरू होगी और इसका समापन 27 अप्रैल रात 1:02 पर होगा। इसके अनुसार वैशाख अमावस्या 27 अप्रैल को ही मनाई जाएगी।
ब्रह्म मुहूर्त की बात करें तो, 27 अप्रैल को सुबह 4:10 से 4:52 तक ब्रह्म मुहूर्त रहेगा। ब्रह्म मुहूर्त सबसे सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:11 से शुरू होगा और इसका समापन 1:02 पर होगा।
अमावस्या के दिन स्नान करना काफी शुभ माना जाता है। अगर आप शुभ मुहूर्त पर स्नान करते हैं तो आपके लिए काफी फलदाई होगा।
स्नान का मुहूर्त
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो भी व्यक्ति वैशाख अमावस्या के दिन शुभ मुहूर्त अनुसार स्नान करता है तो उसको पुण्य की प्राप्ति जरूर होती है। स्नान करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त का समय सबसे सर्वोच्च माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन अगर कोई भी ब्रह्म मुहूर्त में किसी भी पवित्र नदी में डुबकी लगाता है तो उसके सारे पाप धुल जाते हैं। स्नान के बाद दान पूर्ण करने की मान्यता है।
वैशाख अमावस्या के दिन दीपक जरूर जलाएं!
- सूर्य अस्त होने के बाद घर के दक्षिण दिशा में एक साफ जगह पर जमीन पर सफेद कपड़ा बेचकर पीपल, तांबे या मिट्टी का दिया जरूर जलाएं।
- अगर आप तिल के तेल का दीपक जलते हैं तो आपके लिए अत्यंत शुभ रहेगा, क्योंकि तिल के तेल से दीप जलाने से पितृ दोष काम होता है और शांति बनी रहती है।
- दीपक में हुई की बाटी बनाकर दक्षिण की ओर मुख कर कर जलाएं।
- दक्षिण की तरफ पितरों के नाम का उच्चारण करें और श्रद्धा से उन्हें प्रणाम करते हुए सुख शांति तथा उनकी आत्मा की शांति के बारे में सोचे।
पितरों के लिए दिया जलाने का लाभ!
- मान्यता है की अमावस्या की रात सभी पितृ पृथ्वी पर वापस लौटते हैं, जब वह घर में दीपक जले हुए देखते हैं तो उनका मन प्रसन्न होता है, और वह सभी को आशीर्वाद देते हैं।
- अगर आप अमावस्या के दिन दीप का दान भी करते हैं, तो इससे आपके घर में शांति बनी रहती है और पृथ्वी से खुश होते हैं।
- अगर आपके जीवन में कई सारी कठिनाई व रुकावट आ रही है तो पितरों के नाम का दीप जलाने से समस्याएं दूर होती है।
पितरों के लिए करें मंत्र जाप
पितृ तर्पण मंत्र
ॐ नमः पितृभ्यः स्वधा नमः ||
यह मंत्र पितरों के प्रति सम्मान और श्रद्धा व्यक्त करता है। इसके जाप से पितरों को तृप्ति मिलती है।
पितृ दोष शांति मंत्र
ॐ पितृदेभ्यः स्वाहा ||
इस मंत्र के जाप से पितृ दोष शांत होता है और पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
सम्पूर्ण पितृ तर्पण मंत्र
ॐ अकाशात् पतितं तर्पयामि, पृथिव्यां तर्पयामि, आकाशच देव्यां तर्पयामि।
यह मंत्र पितरों को सभी आकाशीय, पृथ्वी और देवताओं से संबंधित तर्पण अर्पित करता है, जिससे सभी पितर संतुष्ट होते हैं।