
Yamuna Chhath 2025: आज भारतवर्ष में यमुना छठ का त्यौहार मनाया जाएगा। यमुना छठ को यमुना जयंती के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि आज ही के दिन यमुना नदी का निर्माण हुआ था, इसीलिए इसे यमुना के जन्म उत्सव के रूप में मनाया जाता है। सनातन धर्म में यमुना छठ का त्योहार चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष के आठवें दिन मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन यमुना नदी का आगमन पृथ्वी पर हुआ था। कहा जाता है कि यमुना नदी में स्नान करने से सभी पाप ऑन का नाश होता है।
यमुना छठ के मौके पर, सभी श्रद्धालु यमुना नदी की पूजा करते हैं और साथ ही भगवान कृष्ण जी की भी पूजा आराधना करते हैं । गंगा मैया के साथ कृष्ण भगवान की पूजा आराधना करने की मान्यता इसीलिए है क्योंकि, भगवान श्री कृष्ण यमुना नदी के पास खेला करते थे, और वही उन्होंने अपना बचपन बिताया था। मान्यता यह भी है कि जो भी झटका व्रत रखता है और यमुना माता की पूजा करता है उसको यमराज और शनि देव से डरने की जरूरत नहीं होती।
Yamuna Chhath 2025: यमुना छठ का शुभ मुहूर्त
मान्यता है की चैत्र मां के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर ही यमुना छठ जयंती मनाई जाती है। 2025 में यह तिथि 2 अप्रैल बुधवार के के दिन रात 11:49 से शुरू होगी, और स्थिति का समापन 3 अप्रैल को गुरुवार रात 9:41 पर होगा।
सनातन धर्म में व्रत की शुरुआत सूर्य उदय के साथ की जाती है, इसीलिए 3 अप्रैल के दिन ही व्रत रखा जाएगा और यमुना मां की पूजा की जाएगी।
शुभ मुहूर्त: बात करें शुभ मुहूर्त की तो यमुना स्नान करने का शुभ मुहूर्त सुबह 4:48 से शुरू होगा और 5:147 मिनट तक यह शुभ मुहूर्त रहेगा, हालांकि इसके बाद भी आप स्नान कर सकते हैं, लेकिन दिए गए शुभ मुहूर्त विशेष रूप से फलदाई हो माना जाता है।
Yamuna Chhath 2025: यमुना छठ की पूजा विधि
- यमुना छठ के मौके पर सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करें।
- ध्यान रहे आपको यमुना नदी में स्नान जरूर करना है, इसके बाद यमुना नदी के साथ भगवान कृष्ण जी की पूजा आराधना करें।
- पूजा के दौरान भगवान को फूल, फल और मिठाई चढ़ाई जाती है।
- इसके बाद पूरे दिन का व्रत रखें और अंत में भगवान से क्षमा याचना जरूर करें।
Yamuna Chhath 2025: यमुना छठ का महत्व
यमुना छठ की पूजा ज्यादातर भारत के उत्तरी राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश हरियाणा दिल्ली जैसे इलाकों में किया जाता है। यह त्यौहार पूरी तरीके से यमुना मां को समर्पित है क्योंकि मानता है कि इसी दिन यमुना नदी पृथ्वी पर आई थी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण और फलदाई माना जाता है। यमुना नदी के दैनिक भगवान कृष्ण की भी पूजा आराधना की जाती है, क्योंकि मानता है कि भगवान श्री कृष्ण यमुना नदी के पास खेलते खेलते बड़े हुए हैं। यह भी कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति यमुना नदी में स्नान करें और विधि विधान से व्रत रखें तो यह और शनि से भाई की मुक्ति मिलती है। यमुना नदी को गंगा के समान पवित्र माना जाता है, कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इसमें स्नान कर तो उसके आत्मा की शुद्धि होती है सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है तथा सभी नकारात्मक ऊर्जा दूर भाग चली जाती है।
Yamuna Chhath 2025: यमुना का ‘कालिंदी’ नाम कैसे ?
जब यमुना जी सुमेरगिरी के शिखर पर बड़े वेग से गिरीं और अनेक शैल-श्रृंगों को लांघकर बड़ी-बड़ी चट्टानों के तटों का भेदन करतीं हुई मेरुपर्वत से दक्षिण दिशा की ओर जाने को उद्यत हुईं, तब यमुना जी गंगा से अलग हो गयीं । महानदी गंगा तो हिमवान पर्वत पर चली गईं किंतु कृष्णा (श्याम सलिला) यमुना ‘कलिंद शिखर’ पर जा पहुंची। वहां जाकर उस कलिंद पर्वत से प्रकट होने के कारण उनका नाम ‘कालिंदी’ हो गया । कलिंदगिरी के शिखरों से टूटकर जो बड़ी-बड़ी चट्टानें पड़ी थीं, उनके सुदृढ़ तटों को तोड़ती-फोड़ती हुई वेगवती कृष्णा कालिंदी अनेक प्रदेशों को पवित्र करती हुई खांडववन (इंद्रप्रस्थ) जा पहुंची।
Yamuna Chhath 2025: यमुना पूजा मंत्र
- यमस्वसर्नमस्तेऽसु यमुने लोकपूजिते। वरदा भव मे नित्यं सूर्यपुत्रि नमोऽस्तु ते॥
- ॐ ॐ जय यमुना माता, हरि ॐ जय यमुना माता॥
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