
Wakf Amendment Bill passed: कल लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पेश हुआ था जिसे कल देर रात लोकसभा में पास भी किया गया। पक्ष में 288 वोट पड़े तथा विपक्ष में 232 वोट पड़े थे। बीती रात लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान AIMIM के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने बिल की कॉपी फाड़ कर अपना विरोध दर्शाया। उनके इस कृत्य को संसदीय मर्यादा और नियमों के उल्लंघन के सवाल से जोड़ा जा रहा है।
ओवैसी ने लोकसभा में अपने भाषण के समय इस बिल को असंवैधानिक बताया और कहां की मैं गांधी की तरह इस बिल को फाड़ता हूं। यह बिल मुसलमानों के साथ अन्याय करने का बिल है। हालांकि उनके इस कृत्य के बाद सवाल यह उठता है कि क्या यह तरीका संसद के नियमों के खिलाफ है और क्या उनके खिलाफ कोई कार्यवाही होगी?
Wakf Amendment Bill passed: पहले भी संसद में फाड़ी गई है बिल की कॉपी
हालांकि संसद में और विधानसभा में किसी बिल की कॉपी फाड़ने की यह पहली घटना नहीं थी। संसद के इतिहास में कई बार ऐसा हुआ है और इसके कई उदाहरण भी मौजूद हैं। जब सांसदों ने अपने विरोध को दर्शाते हुए विधेयकों की कॉपी फाड़ी है। 16 दिसंबर 2019 को (CAA) यानी नागरिकता संशोधन बिल पर चर्चा करने के दौरान भी ओवैसी ने ही बिल की कॉपी फाड़ी थी।
उन्होंने कहा था कि यह विधेयक भारत के संविधान के बुनियादी ढांचे के खिलाफ है। इससे पहले भी साल 2011 में लोकपाल विधेयक पर चर्चा के समय राज्यसभा में राजद के सांसद राजनीति प्रसाद ने कॉपी फाड़कर सरकार के खिलाफ अपना विरोध जाहिर किया था और इससे पहले 2001 में भी तत्कालीन सांसद शरद यादव ने महिला आरक्षण विधेयक के विरोध में इसकी कॉपी फाड़कर अपनी नाराजगी दिखाई थी। इन सभी उदाहरणों से पता चलता है कि संसद में इस तरह का विरोध होता आया है। हालांकि, यह हमेशा एक विवाद का विषय बना है।
Wakf Amendment Bill passed: ओवैसी का क्या था तर्क
असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ संशोधन विधेयक को मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हमला करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि यह बिल संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन करता है। जो कि धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है। इस बिल में जिन बदलावों का प्रावधान है जैसे – गैर मुस्लिम सदस्यों को वक्फ बोर्ड में शामिल करना और संपत्ति विवादों में हाई कोर्ट तथा उच्च न्यायालय की भूमिका को बढ़ाना मुस्लिम धार्मिक संस्थाओं की स्वायत्तता को कमजोर बनाना है।
Wakf Amendment Bill passed: राहुल गांधी ने भी फाड़ा था बिल
ओवैसी की ही तरह राहुल गांधी ने भी संसद में बिल फाड़ कर अपना विरोध दर्ज किया है। उन्होंने 27 अगस्त 2010 में लोकसभा में एक बिल की कॉपी फाड़ी थी। यह घटना तब हुई जब संसद में परमाणु ऊर्जा दायित्व विधेयक पर चर्चा हो रही थी। इस विधेयक का उद्देश्य परमाणु दुर्घटना की स्थिति में मुआवजे और जिम्मेदारी तय करना था। विशेष रूप से 1984 के भोपाल गैस त्रासदी जैसे दुर्घटनाओं के संदर्भ में।
उस समय कांग्रेस के युवा नेता और सांसद राहुल गांधी ने इस बिल का विरोध करते हुए गुस्से में उसे फाड़ दिया था। उन्होंने यह तर्क दिया कि यह विधेयक जनता के हितों के खिलाफ है और परमाणु आपूर्तिकर्ताओं को अनुचित संरक्षण देता है। उन्होंने कहा कि इस बिल में मुआवजे की सीमा बहुत कम है और यह विदेशी कंपनियां विशेष कर, अमेरिकी फॉर्म को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से बनाया गया था।
Wakf Amendment Bill passed: विधेयक की कॉपी फाड़ना असंवैधनिक
ओवैसी की बिल फाड़ने वाली हरकत पर वक्फ बोर्ड पर बनी जेपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल का कहना है कि ओवैसी ने विधेयक को फाड़कर असंवैधानिक तरीके से काम किया। बिल सीधे पास भी करवाया जा सकता था। सरकार के पास दोनों सदनों में बहुमत है। लेकिन हमने सहमति लेना ही उचित समझा था। वक्फ संशोधन पर जेपीसी की 38 बैठक की हुई है और सब की राय भी ली गई है। जेपीसी अध्यक्ष होने के नाते मैंने प्रत्येक सदस्य को अपनी बात रखने के लिए सदस्य को अपनी बात रखने का अवसर दिया।
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