Overconfident kid KBC: 10 साल का ईशित बना ‘भारत का सबसे नापसंद बच्चा’? जानिए असली वजह!
Overconfident kid KBC: कौन बनेगा करोड़पति (KBC) के हालिया एपिसोड में आए 10 साल के ईशित भट्ट इन दिनों सोशल मीडिया पर चर्चा का सबसे गर्म मुद्दा बने हुए हैं। गुजरात का यह बच्चा जिस आत्मविश्वास के साथ अमिताभ बच्चन के सामने बैठा, वह शुरुआत में तो सभी को प्यारा और होशियार लगा, लेकिन कुछ ही मिनटों में उसके व्यवहार ने इंटरनेट को दो हिस्सों में बाँट दिया।
कई लोग उसे “ओवरकॉन्फिडेंट किड” कह रहे हैं, तो कुछ ने उसके रवैये को “बतमीज़ी” तक कह डाला। वहीं कुछ मनोवैज्ञानिक और एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह मामला “Six Pocket Syndrome” या “Influencer Syndrome” जैसा है — यानी बच्चों में पैदा हो रही वह मानसिकता जहाँ ज़्यादा लाड़-प्यार और सुविधा उन्हें धैर्यहीन, आत्मकेंद्रित और असंवेदनशील बना देती है।
क्या हुआ था शो में?
KBC के इस एपिसोड में ईशित भट्ट बतौर चाइल्ड कंटेस्टेंट शामिल हुआ था। वह तेज़ दिमाग वाला, आत्मविश्वासी और बोलने में काफी फुर्तीला था। लेकिन इसी आत्मविश्वास में उसने अमिताभ बच्चन से कहा कि उन्हें नियम दोहराने की ज़रूरत नहीं है, वह सब जानता है — बस सीधे सवाल शुरू करें।
फिर सवालों के दौरान भी उसने कहा, “जल्दी ऑप्शन दिखाइए।” यह बात कई दर्शकों को खटक गई। लोगों को लगा कि बच्चे में विनम्रता और सम्मान की कमी दिखी।
हालांकि, शो के अंत में जब वह सवाल का गलत जवाब देकर खाली हाथ लौटा, तो इंटरनेट पर कुछ लोगों ने तंज कसते हुए लिखा — “बहुत सुकून भरा अंत था।”
कुछ ने कहा — “बच्चे की गलती नहीं, परवरिश की है। जब हर बात में ‘हाँ’ और हर चीज़ तुरंत मिलती है, तो बच्चे ऐसे ही बन जाते हैं।”
क्या है ‘Six Pocket Syndrome’?
यह शब्द चीन की “वन चाइल्ड पॉलिसी” के समय सामने आया था। इसका मतलब है — एक बच्चा और उसके छह कमाने वाले बड़े — दो माता-पिता, दो दादा-दादी, दो नाना-नानी।
इस तरह का बच्चा पूरे परिवार का केंद्र बन जाता है। उसकी हर मांग पूरी की जाती है, हर इच्छा पर तुरंत “हाँ” मिलती है। नतीजा — बच्चे में धैर्य खत्म, विनम्रता गायब और ओवरकॉन्फिडेंस बढ़ जाता है।
इसी को कुछ लोग “Little Emperor Syndrome” यानी “छोटे सम्राट वाला सिंड्रोम” भी कहते हैं। ऐसे बच्चे ‘ना’ सुनने के आदी नहीं होते और जब कोई उनके हिसाब से बात न करे, तो वे चिढ़ या गुस्से में आ जाते हैं।
भारत में भी बढ़ रहा है यह ट्रेंड
भारत में भी अब शहरी परिवारों में एक या दो बच्चे ही होते हैं। दादा-दादी और माता-पिता सारा ध्यान एक ही बच्चे पर केंद्रित कर देते हैं। बच्चे को हर वक्त “स्पेशल” फील कराया जाता है — नई चीज़ें, गैजेट्स, ट्रीट्स, और सोशल मीडिया पर एक्सपोज़र तक।
ऐसे में कई बार बच्चे यह मान लेते हैं कि दुनिया उनके हिसाब से ही चलेगी। यही सोच धीरे-धीरे उन्हें वास्तविक दुनिया से काट देती है, जहाँ हर बात पर ताली नहीं बजती।
‘Influencer Syndrome’
कई एक्सपर्ट्स मानते हैं कि आजकल के बच्चे लगातार रील्स, यूट्यूबर्स और इन्फ्लुएंसर्स को देखकर यह मान बैठते हैं कि उन्हें हर वक्त “परफेक्ट”, “कूल” और “कॉन्फिडेंट” दिखना चाहिए।
नतीजा — असली और नकली आत्मविश्वास की लाइन धुंधली हो जाती है।
ईशित भट्ट का मामला शायद इसी ट्रेंड की झलक है — जहाँ बच्चा आत्मविश्वासी तो है, लेकिन सामाजिक व्यवहार के बुनियादी सलीके और विनम्रता की कमी दिखाई देती है।
किसकी गलती ?
ईशित भट्ट एक बच्चा है — गलती उसका नहीं, उस माहौल का है जिसमें आज के बच्चे पल रहे हैं। जहाँ प्यार के साथ धैर्य और अनुशासन की कमी दिख रही है।
सोशल मीडिया पर चाहे जितनी आलोचना हो, लेकिन यह वाकया हमें सोचने पर मजबूर करता है कि – क्या हम बच्चों को स्मार्ट बनाने की दौड़ में उन्हें संवेदनशील बनाना भूल रहे हैं?
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