ट्रंप का दावा या कूटनीति का दबाव?
India Russia oil trade: भारत का रूस से तेल खरीदना डोनाल्ड ट्रंप की आंखों में खटक रहा था। इस मामले को लेकर पहले भी काफी विवाद हुआ है और अब इस मामले ने फिर से तूल पकड़ लिया है। बुधवार को डोनाल्ड ट्रंप ने वाइट हाउस में एक कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से बातचीत की और कहा की कि “यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए रूस पर आर्थिक दबाव बनाना जरूरी है और उससे तेल खरीदने वाले देश अप्रत्यक्ष रूप से युद्ध में रूस की सहायता कर रहे हैं।” अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि “भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस से तेल खरीदना बंद करने पर सहमति जताई है।”
India Russia oil trade: ट्रंप का दवा “भारत ने रूस से तेल ना खरीदने पर जताई सहमति”
दरअसल बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में एक कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से बातचीत की और कहा कि “यूक्रेन युद्ध एक ऐसी जंग थी जो रूस एक हफ्ते में जीत सकता था। लेकिन इसको 4 साल हो चुके हैं। मैं यह युद्ध खत्म होते हुए देखना चाहता हूं। मैं रूस से भारत के तेल खरीदने से ना खुश था। आज भारत ने मुझे आश्वासन दिया है कि वह रूस से तेल नहीं खरीदेगा। यह एक बड़ा कदम है।”
हालांकि वॉशिंगटन डीसी में भारतीय दूतावास की प्रवक्ता ने इस बात पर टिप्पणी देने से इनकार किया।
India Russia oil trade: अमेरिका बना रहा है दबाव!
आपको बता दे की रूस कच्चे तेल और गैस का बड़े पैमाने पर निर्यात करता है और इसके मुख्य खरीदार है चीन, भारत और तुर्की है। अपनी ओवन ऑफिस में ट्रंप ने बुधवार को कहा कि “अब मुझे चीन को भी ऐसा करने के लिए मानना है।” उन्होंने एक सवाल के जवाब में भारत के बारे में कहा “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेरे मित्र हैं। हमारे बीच बहुत अच्छे संबंध है। मैं इस बात से ना खुश था कि भारत रूस से तेल खरीद रहा है और उन्होंने आज मुझे आश्वासन दिया कि रूस से तेल नहीं खरीदेंगे।”
आपको बता दे की ट्रंप रूस से तेल की खरीद बंद करवाने का दबाव बना रहे हैं जिससे रूस की कमाई पर रोक लगाई जा सके या उसे मंद किया जा सके।
India Russia oil trade: भारत का रुख क्या है ?
प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले कुछ महीनो से अपना रुख स्पष्ट रखा है और कहां है कि भारत रूस-यूक्रेन युद्ध में निष्पक्ष है। जबकि भारत और रूस के बीच पुराने और घनिष्ठ संबंध रहे हैं। भारतीय अधिकारियों ने ट्रंप प्रशासन के इस आरोप को “दोहरा मानदंड” बताया है कि भारत रूस के युद्ध से मुनाफा कमा रहा है। हालांकि भारत का यह कहना है कि अमेरिका और यूरोप भी रूस के साथ व्यापार जारी रखे हुए हैं तो यह दबाव सिर्फ भारत पर ही क्यों ?
भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत अपने आर्थिक हितों के लिए कम दाम पर रूस से कच्चा तेल खरीदता आ रहा है। रूस से तेल खरीद का हवाला देकर भारत पर टैरिफ लगाने के अमेरिकी फैसले के जवाब में भारत के विदेश मंत्रालय ने प्रतिक्रिया दी कि यह कार्रवाई अनुचित, अकारण और तर्कहीन हैं।
India Russia oil trade: भारत की प्रतिक्रिया क्या थी?
भारत ने स्पष्ट कहा था कि हाल के दिनों में अमेरिका ने रूस से भारत के तेल आयात को निशाना बनाया है। हम इन मुद्दों पर पहले ही अपना स्पष्ट रूख रख चुके हैं। जिसमें यह तथ्य भी शामिल है कि हमारा आयात बाजार की परिस्थितियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य भारत की 140 करोड़ की आबादी की ऊर्जा सुरक्षित सुनिश्चित करना है।
India Russia oil trade: रूस और भारत का तेल कारोबार
आपको बता दें कि ट्रंप के द्वारा भारत पर टैरिफ लगाने के बावजूद भी भारत ने रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रखा है। एक यूरोपियन थिंक टैंक सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर की रिपोर्ट के अनुसार पिछले महीने भारत ने रस से 2.5 अरब यूरो यानी 2.91 अरब डॉलर के कच्चे तेल खरीदें। भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता देश है। सितंबर में चीन के बाद भारत रूसी तेल का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार बना रहा। आपको बता दे की रूस से तेल खरीदने पर अमेरिका ने भारत पर 25% अधिक टैरिफ लगाया था।
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