Srinagar blast: नौगाम पुलिस स्टेशन धमाका कैसे हुआ हादसा! और क्यों बढ़ रही है अमोनियम नाइट्रेट को लेकर चिंता?
Srinagar blast: जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के नौगाम (Nowgam) पुलिस स्टेशन में शुक्रवार देर रात एक ऐसा धमाका हुआ जिसने पूरे इलाके को हिला दिया। इस भयानक विस्फोट में 9 लोगों की मौत हो गई और 27 से ज़्यादा लोग घायल हो गए। मृतकों में पुलिसकर्मी, फॉरेंसिक टीम (FSL) के अधिकारी और प्रशासन के नायब तहसीलदार शामिल हैं। हादसा उस समय हुआ जब पुलिस और फोरेंसिक टीम हरियाणा के फरीदाबाद से जब्त किए गए अमोनियम नाइट्रेट का सैम्पल ले रही थी।
धमाके ने पुलिस स्टेशन को खंडहर में बदल दिया
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक रात करीब 11:20 बजे इतना तेज धमाका हुआ कि 5 किलोमीटर दूर तक कंपन महसूस किए गए। आस-पास के घरों के दरवाजे–खिड़कियां टूट गए, कई वाहनों में आग लग गई और पूरे पुलिस स्टेशन परिसर में मलबा व धुआं छा गया।
धमाके की ताकत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 300 मीटर दूर स्थित घरों तक शवों के अंग बिखर गए। फायर ब्रिगेड और SDRF की कई टीमें रात भर बचाव कार्य में लगी रहीं।
सैंपलिंग के दौरान हुआ हादसा: DGP
जम्मू-कश्मीर के DGP नलिन प्रभात ने साफ किया कि यह कोई आतंकी साजिश नहीं, बल्कि सैंपलिंग के दौरान हुआ हादसा था। उनके अनुसार, फरीदाबाद से जब्त किए गए विस्फोटक को नौगाम थाने के खुले क्षेत्र में सुरक्षित रखा गया था। फॉरेंसिक टीम दो दिन से इस सामग्री का परीक्षण कर रही थी। सैंपल निकालते समय अचानक विस्फोट हो गया।
फरीदाबाद कनेक्शन: 2900 किलो अमोनियम नाइट्रेट बरामद
पिछले महीने फरीदाबाद में पुलिस ने आतंकी मॉड्यूल का खुलासा किया था, जो जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा बताया जा रहा था। इस मॉड्यूल के सदस्य highly educated ‘white-collar’ आतंकी थे।
इनसे करीब 2900 किलो अमोनियम नाइट्रेट बरामद हुआ था, जिसे जांच के लिए श्रीनगर लाया गया था। इसी केस में कई डॉक्टरों को भी गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से एक डॉक्टर अदील अहमद ‘लाल किला विस्फोट’ में भी शामिल बताया गया था।
मृतकों में दर्जी भी शामिल
धमाके में सिर्फ अधिकारी ही नहीं, बल्कि आम नागरिक भी मारे गए। स्थानीय दर्जी मोहम्मद शफी पारी भी इस दर्दनाक हादसे में अपनी जान गंवा बैठे। उनके परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है। शफी अपने शांत स्वभाव और मेहनत के लिए जाने जाते थे।
Ammonium nitrate: क्यों है सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती?
यह हादसा एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि अमोनियम नाइट्रेट इतना आसानी से उपलब्ध क्यों है, जबकि इसका इस्तेमाल कई बड़े धमाकों में होता रहा है।
अमोनियम नाइट्रेट—जो एक सामान्य रासायनिक खाद है—भारत में दो कामों में इस्तेमाल होता है:
- खेती-बाड़ी में खाद के रूप में
- खनन में पत्थर तोड़ने के लिए
सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह रसायन खाद विक्रेताओं के पास आसानी से मिल जाता है, और अक्सर कोई कठोर जांच या रिकॉर्ड यह नहीं बताता कि इसे कहाँ और किसे बेचा गया।
कृषि विभाग भी नहीं रखता पूरा रिकॉर्ड
खाद बेचने का लाइसेंस कृषि विभाग जारी करता है, लेकिन अमोनियम नाइट्रेट की खरीद-बिक्री का रिकॉर्ड विभाग के पास नहीं होता। डीलर को ही यह रिकॉर्ड अपने पास रखना होता है—कि किससे खरीदा और किसे बेचा। ज्यादातर डीलर यह नियम ठीक से पालन नहीं करते।
नूंह और राजस्थान में बड़ी मात्रा में उपलब्ध
नूंह और राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्रों में खनन का काम ज्यादा होता है। हालांकि नूंह में खनन पर 2002 से पाबंदी है, लेकिन अवैध खनन आज भी होता है और अमोनियम नाइट्रेट वहां आसानी से मिल जाता है। यही वजह है कि यह रसायन गलत हाथों में पहुंच जाता है और सुरक्षा एजेंसियों के सामने चुनौती बढ़ जाती है।
क्या है आगे की कार्रवाई?
धमाके के बाद इलाके की घेराबंदी कर दी गई है। NIA, पुलिस और फॉरेंसिक टीमें मिलकर यह जांच कर रही हैं कि क्या सैंपलिंग के दौरान कोई लापरवाही हुई। घायलों का इलाज श्रीनगर के SMHS अस्पताल, SKIMS और 92 बेस अस्पताल में चल रहा है। स्थानीय प्रशासन ने मृतकों के परिवारों के लिए सहायता की घोषणा भी की है।
यह भी पढ़े
