बिहार में नई सरकार के गठन की प्रक्रिया तेज हो गई है और इसी कड़ी में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने जेडीयू के सीनियर नेता Narendra Narayan Yadav को बिहार विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर पद की शपथ दिलाई।
बिहार में नई सरकार के गठन की प्रक्रिया तेज हो गई है और इसी कड़ी में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने जेडीयू के सीनियर नेता Narendra Narayan Yadav को बिहार विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर पद की शपथ दिलाई। उनके जिम्मे अब नव निर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाने का अहम कार्य है। आलमनगर सीट से आठवीं बार विजयी हुए यादव को जेडीयू के सबसे अनुभवी और विश्वसनीय नेताओं में गिना जाता है।
कौन हैं Narendra Narayan Yadav?
Narendra Narayan Yadav ने इस बार आलमनगर विधानसभा सीट से वीआईपी प्रत्याशी नबीन कुमार को 55,465 वोटों के विशाल अंतर से हराया।
उन्हें 1,38,401 वोट मिले जबकि नबीन कुमार को 82,936 वोट तीसरे स्थान पर जन सुराज के सुबोध कुमार सुमन रहे, जिन्हें 8,934 वोट मिले।
यादव को नीतीश कुमार के बेहद करीबी नेताओं में माना जाता है। वह बिहार सरकार में मंत्री रह चुके हैं और संगठन से लेकर सरकार तक उनकी पकड़ मजबूत मानी जाती है। पहली बार वह 1995 में विधायक चुने गए थे, और उसके बाद से आलमनगर सीट पर लगातार विजय हासिल कर रहे हैं। इस लंबे राजनीतिक सफर ने उन्हें इस क्षेत्र की राजनीति का केंद्रीय चेहरा बना दिया है।
प्रोटेम स्पीकर की क्या भूमिका होती है?
प्रोटेम स्पीकर विधानसभा के अस्थायी अध्यक्ष होते हैं।
उनकी मुख्य ज़िम्मेदारियाँ
नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाना
पहली बैठक में विधानसभा का संचालन
स्थायी स्पीकर के चुने जाने तक कार्यवाही को आगे बढ़ाना।
यह पद भले अस्थायी हो, लेकिन लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के सुचारू संचालन में इसकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है। इसलिए इस जिम्मेदारी का निर्वहन हमेशा किसी अनुभवी और वरिष्ठ नेता को ही सौंपा जाता है।
आलमनगर सीट क्यों अहम है
आलमनगर विधानसभा क्षेत्र बिहार के मधेपुरा जिले में स्थित एक सामान्य श्रेणी की सीट है। यह मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है और भौगोलिक रूप से कई जिलों से जुड़ी है जिसमे सहरसा, खगड़िया, भागलपुर, नवगछिया, कटिहार और पूर्णिया शामिल है।
इन क्षेत्रों की निकटता इस सीट को राजनीति और समाज दोनों स्तर पर खास बनाती है। यहां का सामाजिक ताना-बाना विविधता से भरा है।
जातीय समीकरण
इस क्षेत्र में जो जातियां चुनावी नतीजों में निर्णायक भूमिका निभाती हैं, वे हैं यादव और मुस्लिम। इसके अलावा बड़ी संख्या में राजपूत, ब्राह्मण, कोइरी, कुर्मी, रविदास और पासवान समुदाय के मतदाता भी मौजूद हैं। यही वजह है कि यह सीट हमेशा से बहुस्तरीय सामाजिक समीकरणों का केंद्र रही है।
1952 से अब तक आलमनगर का राजनीतिक इतिहास
आलमनगर सीट का चुनावी इतिहास काफी रोचक रहा है। 1952 में पहले चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी के तनुक लाल यादव विजयी हुए थे। 1957 से 1972 तक यहां कांग्रेस का दबदबा रहा, जब यदुनंदन झा और विद्याकर कवि ने पांच बार जीत दर्ज की। 1977 से 1990 तक बीरेन्द्र कुमार सिंह ने जनता पार्टी, लोकदल और जनता दल के टिकट पर लगातार चार बार जीत हासिल की।
इसके बाद 1995 में इस क्षेत्र की राजनीति ने एक नया मोड़ लिया। नरेंद्र नारायण यादव पहली बार यहां से जीते और समय के साथ इस सीट के निर्विवाद नेता बनकर उभरे।
जेडीयू और इससे पहले जनता दल के टिकट पर वह लगातार सात बार विधायक चुने गए। यह रिकॉर्ड उन्हें बिहार के सबसे मजबूत और लगातार जन-समर्थन पाने वाले नेताओं में शुमार करता है।
यादव की जीत का राजनीतिक संदेश
उनकी लगातार जीत यह भी बताती है कि क्षेत्र में उनका मजबूत जनाधार है। संगठन में उनकी स्वीकार्यता स्पष्ट है। जातीय समीकरणों को साधने की उनकी क्षमता प्रभावी है। विकास कार्यों और स्थानीय जुड़ाव ने उन्हें विश्वसनीय नेता के रूप में स्थापित किया है। प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने को उनके अनुभव और राजनीतिक परिपक्वता का सम्मान माना जा रहा है।
आगे की राह
जैसे ही नए विधायक शपथ लेंगे, बिहार में स्थायी स्पीकर का चुनाव होगा और नई सरकार के गठन की प्रक्रिया औपचारिक रूप से पूरी होगी। इस बीच नरेंद्र नारायण यादव की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी, क्योंकि विधानसभा की शुरुआती कार्यवाही को सुचारू ढंग से आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर है।
