
पहलगाम आतंकी हमले के बाद उठे सियासी सवाल, "Shubham Dwivedi" को लेकर "Akhilesh Yadav" पर BJP का हमला
Pahalgam Terror Attack के बाद देशभर में गुस्सा और दुख का माहौल है। इस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत हो गई, जिनमें उत्तर प्रदेश के “Kanpur” के रहने वाले शुभम द्विवेदी (Shubham Dwivedi) भी शामिल थे। शुभम की मौत ने पूरे कानपुर शहर को शोक में डुबो दिया है।
UP CM Yogi Adityanath और विधानसभा अध्यक्ष Satish Mahana सहित कई बड़े नेता शुभम के परिवार से मिलने पहुंचे और उन्हें सांत्वना दी। इस बीच, सियासत उस वक्त गरमा गई जब मीडिया ने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के राष्ट्रीय अध्यक्ष Akhilesh Yadav से पूछा कि क्या वह भी शुभम के परिवार से मिलने जाएंगे?
अखिलेश यादव ने इस सवाल के जवाब में कहा,
“मेरे शुभम के परिवार से निजी संबंध नहीं हैं, इसलिए मैं नहीं गया।”
बस, अखिलेश यादव का यही बयान विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (BJP) के निशाने पर आ गया। खासकर BJP Yuva Morcha के नेता Amit Tripathi ने लखनऊ में एक विवादास्पद Poster जारी किया, जिस पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा गया:
“Sharm Karo Akhilesh Yadav!“
पोस्टर में अखिलेश यादव से तीखे सवाल पूछे गए:
- “Mukhtar Ansari की मौत पर संवेदना, लेकिन Shubham Dwivedi के परिवार से मिलने में संवेदना कहां गायब हो गई?“
- “क्या आतंकियों से रिश्ता खास है?“
- “क्या हिंदुओं से इतनी नफरत है?“
यह पोस्टर तेजी से सोशल मीडिया (Social Media) पर वायरल हो गया और राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया।
संवेदनशीलता बनाम राजनीति
पहलगाम आतंकी हमला (Pahalgam Terrorist Attack) एक राष्ट्रीय त्रासदी है, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया। लेकिन इस घटना पर भी राजनीति होना कई लोगों को चौंका रहा है। एक तरफ परिवार अपनों को खोने के गम में डूबा है, वहीं दूसरी तरफ नेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं।
यह पहला मौका नहीं है जब उत्तर प्रदेश की राजनीति (UP Politics) में Poster War देखने को मिला हो। 2022 के चुनावों के समय भी समाजवादी पार्टी और भाजपा ने पोस्टरों के जरिए एक-दूसरे पर हमला बोला था। लेकिन इस बार मामला एक शहीद की शहादत और जनता की भावनाओं से जुड़ा है।
Akhilesh Yadav की चुप्पी पर सवाल
Akhilesh Yadav की तरफ से अब तक इस पूरे मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। सवाल उठ रहे हैं कि एक राष्ट्रीय पार्टी के नेता होने के नाते, क्या उन्हें निजी संबंधों की परवाह किए बिना, अपने राज्य के एक मृतक नागरिक के प्रति संवेदना व्यक्त नहीं करनी चाहिए थी?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि संवेदना व्यक्तिगत नहीं होती, यह एक मानवीय भावना है। खासकर तब, जब देश आतंकवाद (Terrorism in India) जैसी गंभीर समस्या से जूझ रहा हो।
BJP का पलटवार
भाजपा नेताओं ने इस मुद्दे को और ज्यादा तूल देते हुए कहा कि, “जो नेता आतंकवाद पर सख्त रुख अपनाने की बात करते हैं, वही आज आतंक के शिकार हुए एक परिवार से मिलने से पीछे हट रहे हैं।“
BJP Social Media Cell ने भी इस मुद्दे को ज़ोर-शोर से उठाया है।
जनता का मूड
चुनाव भले ही अभी दूर हैं, लेकिन जनता हर नेता का बर्ताव नोट कर रही है। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने अखिलेश यादव की आलोचना करते हुए कहा कि,
“संवेदनशीलता दिखाना एक नेता का फर्ज होता है, चाहे वो किसी भी पार्टी का हो।”
कई लोगों ने BJP के पोस्टर को भी चुनावी स्टंट बताते हुए कहा कि दुख की घड़ी में राजनीति से परहेज करना चाहिए।
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