
Delhi Old Vehicle Ban : दिल्ली में राहत! अब पुरानी गाड़ियों पर नहीं होगी जब्ती, सरकार ने हटवाया ईंधन बैन
Delhi Old Vehicle Ban: दिल्ली में पुरानी गाड़ियों के मालिकों को बड़ी राहत राजधानी में अब पुरानी डीज़ल और पेट्रोल वाहनों की जब्ती पर रोक लगा दी गई है। दिल्ली सरकार ने इस मुद्दे पर केंद्र को पत्र लिखते हुए ईंधन प्रतिबंध हटाने की मांग की है। यह फैसला उन लाखों लोगों के लिए उम्मीद की किरण बनकर आया है, जिनकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी पुरानी गाड़ियों से जुड़ी है।
सरकार ने पुराने वाहनों पर लगे ईंधन प्रतिबंध को हटाने के लिए तकनीकी चुनौतियां एवं जटिल प्रणालियों का हवाला देते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को पत्र लिखा है। पुराने वाहनों की जब्ती के अभियान को लेकर करना पड़ा दिल्ली सरकार को यू-टर्न।
पुरानी गाड़ियों पर बैन हटाने की दिशा में सरकार का बड़ा कदम
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने भरोसा दिलाया है कि दिल्ली में उम्र पूरी कर चुके वाहनों पर लगे प्रतिबंध को हटाने के लिए सरकार हर जरूरी कदम उठाएगी। सीएम की इस घोषणा के बाद, पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण निकाय (CAQM) को पत्र लिखकर पुराने वाहनों की जब्ती के आदेश पर पुनर्विचार करने की अपील की है। उन्होंने पत्र में यह भी बताया कि ऑटोमैटिक नंबर प्लेट पहचान प्रणाली (ANPR) में तकनीकी खामियां हैं, जिससे निर्दोष वाहन चालकों को परेशानी हो रही है। यह तो पूरे एनसीआर में लागू भी नहीं है। ऐसे में ईंधन प्रतिबंध का आदेश लागू करना जल्दबाजी है।
वही पर सिरसा ने मीडिया से कहा, की अभियान को लेकर नागरिकों में बहुत ज्यादा गुस्सा का माहौल बना हुआ है, पर सरकार उनके साथ खड़ी है। सिरसा ने पत्र में कहा, की शिकायतें मिली हैं कि पेट्रोल पंपों पर कैमरे ठीक से काम नहीं कर रहे। उनमें तकनीकी दिक्कतें आ रही हैं। और वाहनों पर कार्रवाई उनके प्रदूषण स्तर को देखकर की जानी चाहिए न की उनकी उम्र देख करे।
बता दें कि एक जुलाई से लेकर अब तक दिल्ली सरकार ने 15 साल से ज्यादा पुराने पेट्रोल और 10 साल से ज्यादा पुराने डीजल वाहनों के ईंधन लेने पर प्रतिबंध लागू किया था।
संतुलन जरूरी…दिल्ली सरकार वायु प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार स्वच्छ, टिकाऊ परिवहन के लिए दीर्घकालिक समाधान पर कार्य कर रही है। किसी निर्णय को लागू करते समय नागरिकों की जरूरतों के साथ संतुलन भी जरूरी है। सीएक्यूएम का निर्णय लाखों परिवारों की रोजमर्रा की जिंदगी और आजीविका को प्रभावित कर रहा है।
मुख्यमंत्री के इस रुख के बाद, पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को पत्र लिखकर अपील की है कि “पुरानी गाड़ियों की जब्ती के आदेश पर पुनर्विचार किया जाए”। पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि ANPR (Automatic Number Plate Recognition) सिस्टम में तकनीकी खामियां हैं। इस प्रणाली की गड़बड़ियों के कारण कई बार ऐसे वाहन भी कार्रवाई की चपेट में आ जाते हैं, जो कानूनी रूप से फिट हैं या प्रतिबंध की श्रेणी में नहीं आते। यही कारण है कि सरकार ने फिलहाल जब्ती पर रोक लगाने का फैसला किया है, ताकि निर्दोष वाहन मालिकों को बेवजह परेशान न किया जाए। दिल्ली सरकार आयोग के उद्देश्य के अनुरूप है कि धीरे-धीरे प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को हटाया जाए। इसके लिए व्यापक वायु प्रदूषण शमन कार्य योजना भी लागू की गई है। -मनजिंदर सिंह सिरसा, पर्यावरण मंत्री
क्यों था यह प्रतिबंध?
दरअसल, दिल्ली में 15 साल से ज्यादा पुराने पेट्रोल वाहन और 10 साल से ज्यादा पुराने डीज़ल वाहन सड़कों पर चलाने पर रोक थी। यह प्रतिबंध वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के मकसद से लगाया गया था। हालांकि, ज़मीन पर इसके क्रियान्वयन में कई खामियां सामने आईं है जैसे की वाहन नंबरों की पहचान में गलती, या ऑटोमेटिक सिस्टम द्वारा गलत अलर्ट भेजे जाना।
- स्वचालित नंबर प्लेट पहचान सिस्टम में तकनीकी खामियां, एएनपीआर कैमरे अधिकांश स्थानों पर स्थापित किए गए हैं, लेकिन इससे अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहे हैं।
- कैमरा प्लेसमेंट सेंसर और स्पीकर का काम न करना जैसी समस्याएं हैं। जटिल प्रणाली और पड़ोसी राज्यों से एकीकरण की कमी।
- एएनपीआर प्रणाली पड़ोसी राज्यों में लागू नहीं की गई है। पड़ोसी जिलों में ईंधन स्टेशनों पर एएनपीआर कैमरे स्थापित नहीं किए गए हैं। इसकी वजह से लोगों में असंतोष।
आम लोगों पर असर
इस फैसले से उन लाखों लोगों को राहत मिली है , जो अपनी पुरानी गाड़ियों पर निर्भर हैं । जैसे की टैक्सी चालक, छोटे व्यापारियों, डिलीवरी वर्कर्स और सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार। जब्ती की कार्रवाई से न केवल उनकी रोज़ी-रोटी पर असर पड़ रहा था, बल्कि बिना किसी विकल्प के गाड़ी छिन जाना लोगों के लिए भावनात्मक और आर्थिक दोनों ही रूपों में झटका था।
आगे क्या?
अब सबकी नजर CAQM के जवाब और केंद्र सरकार के अगले फैसले पर टिकी है। अगर केंद्र सरकार भी दिल्ली सरकार के रुख से सहमत होती है, तो आने वाले दिनों में राजधानी में पुरानी गाड़ियों पर लगे ईंधन प्रतिबंध में और ढील मिल सकती है। जिसकी फिर से इन्ही समस्या का समना करना पड़ेगा । इस बीच, दिल्ली सरकार का रुख यह संकेत जरूर देता है कि आने वाले समय में तकनीक आधारित गड़बड़ियों को सुधारा जाएगा, और जनहित को प्राथमिकता दी जाएगी।
दिल्ली में पुरानी गाड़ियों पर लगे बैन को लेकर जो तनाव और अनिश्चितता थी, उसमें सरकार के इस फैसले ने राहत दी है। जहां एक ओर प्रदूषण नियंत्रण ज़रूरी है, वहीं दूसरी ओर तकनीकी त्रुटियों और आम जनता की समस्याओं को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। फिलहाल, यह कदम संतुलित नीति की ओर इशारा करता है जिसमें विकास, पर्यावरण और जनकल्याण तीनों की भूमिका अहम है।
कानूनी आदेशों की वजह से लगा था प्रतिबंध
दिल्ली में पुराने वाहनों पर जो बैन लगा है, वह कोई नया फैसला नहीं था। इसकी नींव सुप्रीम कोर्ट के 2018 के आदेश में रखी गई थी, जिसमें 10 साल से पुराने डीज़ल और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों के चलने पर रोक लगा दी गई थी। इसके अलावा, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने 2014 में आदेश दिया था कि ऐसे पुराने वाहनों को सार्वजनिक स्थानों पर पार्क भी नहीं किया जा सकता। इन नियमों का मकसद राजधानी की वायु गुणवत्ता में सुधार लाना था।
बैन के समय जनता में था गुस्सा और घबराहट
जब दिल्ली में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर प्रतिबंध लागू हुआ, और जब्ती की कार्रवाई शुरू हुई, तो आम लोगों में गहरा गुस्सा और चिंता देखने को मिली।
कई लोगों ने शिकायत की थी कि उन्हें कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई, और उनकी गाड़ियां घर के बाहर से ही उठा ली गईं।”गाड़ी हमारी रोज़ी-रोटी है, न कोई नोटिस मिला, न सुनवाई का मौका। ये सरासर अन्याय है,” — ऐसा कहना था एक ऑटो चालक का। और वही मध्यम वर्गीय परिवारवालों ने भी कहा था कि नई गाड़ी खरीदना हर किसी के बस की बात नहीं, और पुरानी गाड़ी को चलाना उनकी मजबूरी होती है। और अब तो ये भी ऑप्शन नहीं बचा हमारे पास तो । “मेरी गाड़ी फिट है, पॉल्यूशन भी पास है — फिर भी जब्त कर ली गई। ये कैसा सिस्टम है?”, कई लोगों की यही आवाज़ थी।
ANPR सिस्टम की गड़बड़ियों को लेकर भी जनता में काफी नाराजगी थी। लोग कह रहे थे कि गलत नंबर पढ़कर सही गाड़ियों को भी उठा लिया जा रहा है, जिससे की ईमानदार नागरिक भी परेशान हो रहे हैं।
इस नीति ने हजारों गाड़ियों को सीधे तौर पर प्रभावित किया है, जिससे लोग मजबूरी में अपनी कारें बेचने या बेहद कम कीमतों पर नष्ट करने को मजबूर हो रहे थे । खासकर लक्जरी कारों के मालिकों को बड़ा घाटा उठाना पड़ रहा थी । दिल्ली में उन वाहनों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी गई थी ,जो नए नियमों का पालन नहीं कर रहे थे । अगर कोई चार पहिया वाहन चालक इन निर्देशों की अवहेलना करता पाया जा रहा था , तो उस पर ₹10,000 का जुर्माना लगाया गया । इसी तरह, दोपहिया वाहन चालकों के लिए यह जुर्माना ₹5,000 निर्धारित किया गया था। पर अभी तो सब लोग कभी खुश और संतुस्ट नजर आरहे है की ये न्य नियम हटा दिया गया है ।
क्या वापस मिल पाएंगी जब्त हुईं गाड़ियां?
अब सवाल उठ रहे हैं कि पिछले दो दिनों में दिल्ली के अंदर जिन एंड ऑफ़ लाइफ गाड़ियों को सीज किया गया, उसका अब क्या होगा। क्या उन मालिकों को यह गाड़ियां वपस मिलेंगी ? जानकारों की मानें तो दिल्ली सरकार का एक सर्कुलर है, जिसमें दिल्ली की गाड़ियों को दूसरे राज्य में ले जाने का नियम बताया गया है। इस सर्कुलर के मुताबिक, लोगों को एक एफिडेविट देनी होगी, जिसमें वाहन मालिक बताएंगे कि वो इस गाड़ी को दिल्ली से बाहर दूसरे राज्य में ले जाएंगे। इसके साथ ही 10 हजार का चालान कटवाना पड़ेगा । इसके अलावा वाहन को सीज करने में ट्रांसपोर्ट विभाग द्वारा लगा खर्च भी देना पड़ेगा। इसके बाद सीज की गई पुरानी गाड़ी वाहन मालिक को मिल सकेगी लेकिन इस वाहन को दिल्ली में नहीं चला सकते है।
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