Mahakumbh: प्रयागराज में इस वक्त महाकुंभ का अद्वितीय आयोजन हुआ है। जिसमें 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। यह आयोजन इतना भव्य है कि देश-विदेश के श्रद्धालुओं के मन को भी इसने अपनी ओर आकर्षित किया और सभी इसकी भव्यता देखकर चौंक रहे हैं। माना जाता है कि समुद्र मंथन के समय जो संयोग बना था वही संयोग 144 साल बाद इस महाकुंभ के दौरान बन रहा है। यह घटना इसे और भी खास बनाती है। गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती के तट पर आयोजित ये भव्य मेला धार्मिक आस्था और भारतीय संस्कृति का भव्य समागम है।
Mahakumbh: कैसे तय हुए महाकुंभ के चार स्थान
महाकुंभ मेला भारत के तीर्थ स्थलों पर आयोजित किया जाता है। मान्यता है कि समुद्र मंथन के समय जब अमृत निकला था तो राक्षसों से बचाने के लिए भगवान विष्णु अमृत को लेकर वहां से जा रहे थे तभी इस अमृत की कुछ बूंदे धरती पर पड़ी और वह स्थान थे प्रयागराज, हरिद्वार नासिक और उज्जैन। इसी कारण इन्ही चारों तीर्थ स्थलों पर महाकुंभ का आयोजन किया जाता है।
Mahakumbh: कब, कहा होता है महाकुंभ का आयोजन
माना जाता है कि विष्णु पुराण में इस बात का उल्लेख है कि जब गुरु कुंभ राशि में प्रवेश करता है और सूर्य मेष राशि में तब कुंभ हरिद्वार में आयोजित किया जाता है। ठीक इसी प्रकार जब सूर्य और गुरु सिंह राशि में होते हैं तो नासिक में कुंभ आयोजन होता है। जब गुरु कुंभ राशि में प्रवेश करता है तब उज्जैन में कुंभ लगता है और वही प्रयागराज में माघ अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्रमा मकर राशि में प्रवेश करते हैं और गुरु मेष राशि में प्रवेश करता है।
Mahakumbh: अर्ध कुंभ क्या है
अर्थकुंभ का आयोजन हर 6 साल में हरिद्वार और प्रयागराज में किया जाता है। यह धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है। जिसे गंगा, जमुना सरस्वती के संगम पर किया जाता है। इसे धार्मिक दृष्टि से बहुत पवित्र माना जाता है। अर्धकुम्भ को इसलिए महत्वता दी जाती है क्योंकि इसे कुंभ मेले का आधा चक्र भी कहा जाता है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु स्नान करने के लिए आते हैं। क्योंकि मान्यता है कि इस दौरान संगम स्नान करने से सभी पापों का सर्वनाश हो जाता है और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। जब बृहस्पति वृश्चिक राशि में और सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तब अर्ध कुंभ मनाया जाता है।
Mahakumbh: कुंभ क्या है
दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव माना जाता है जो हर 12 साल में चारों स्थल हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में मनाया जाता है। इसे भारतीय संस्कृति और आस्था का प्रतीक माना गया है । इस आयोजन का प्रमुख आकर्षण पवित्र नदियों में स्नान करना है जिसे अमृत स्नान माना गया है।
Mahakumbh: पूर्ण कुंभ मेला
पूर्ण कुम्भ मेला हर 12 साल में प्रयागराज में ही आयोजित होता है इसे कुंभ का पूर्ण रूप माना गया है और उसका महत्व अन्य सभी कुंभ मेला से अधिक माना जाता है। इसमें पवित्र नदियां गंगा, यमुना, सरस्वती के संगम पर होने वाले इस आयोजन का प्रमुख उद्देश्य आत्मा की शुद्धि और मोक्ष को प्राप्त करना है।
Mahakumbh: महाकुंभ मेला
महाकुंभ भारतीय संस्कृति की दृष्टिकोण से सबसे बड़ा पर्व है जो हर 144 साल में केवल प्रयागराज में ही आयोजित होता है इसे कुंभ मेले का सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण अंश माना गया है। धार्मिक ग्रंथो और शास्त्रों के अनुसार इस मेले में संगम पर स्नान करना आत्मा को पवित्र और पाप को नष्ट करके मोक्ष की प्राप्ति करना है।
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