PM Modi ने 29 दिसंबर को ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 117वें संस्करण में कई अहम विषयों पर चर्चा की। इस बार के संबोधन में उन्होंने भारतीय संविधान, महाकुंभ की विशालता और बस्तर ओलंपिक जैसी महत्वपूर्ण घटनाओं पर अपने विचार साझा किए। उनके संबोधन में एक बात साफ थी कि भारत की विविधता में ही एकता है, और यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। प्रधानमंत्री ने संविधान से लेकर बस्तर ओलंपिक तक की चर्चा करते हुए भारतीय समाज की संकल्प शक्ति और सामाजिक एकता की महत्वता पर जोर दिया।
PM Modi ने संविधान की 75वीं वर्षगांठ और उसकी अहमियत
प्रधानमंत्री मोदी ने इस बार के संबोधन में भारतीय संविधान के बारे में कई अहम बातें कहीं। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने जो संविधान हमें सौंपा, वह समय की हर कसौटी पर खरा उतरा है। उन्होंने याद दिलाया कि 2025 में 26 जनवरी को भारतीय संविधान को लागू हुए 75 साल हो जाएंगे। यह एक ऐतिहासिक और गौरवपूर्ण अवसर है, जब हम अपने संविधान की गरिमा को और सम्मानित करेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि संविधान के महत्व को समझने और उसे आम नागरिकों के बीच लोकप्रिय बनाने के लिए एक विशेष वेबसाइट लॉन्च की गई है, जिसका नाम constitution75.com है। इस वेबसाइट पर लोग संविधान की प्रस्तावना पढ़ सकते हैं, अपना वीडियो अपलोड कर सकते हैं और संविधान के विभिन्न पहलुओं पर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। पीएम मोदी ने इस वेबसाइट को विद्यार्थियों, कॉलेजों के छात्रों और आम नागरिकों से जुड़ने की अपील की। यह वेबसाइट भारतीय नागरिकों को संविधान की विरासत से जोड़ने का एक बेहतरीन प्रयास है।
महाकुंभ: विविधता में एकता का प्रतीक
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में महाकुंभ के महत्व और इसकी तैयारी के बारे में भी बात की। वह हाल ही में प्रयागराज गए थे, जहां उन्होंने महाकुंभ की विशेषताओं पर प्रकाश डाला। पीएम मोदी ने कहा, “महाकुंभ की विशेषता सिर्फ उसकी विशालता में नहीं है, बल्कि उसकी विविधता में भी है। इस आयोजन में करोड़ों लोग एक साथ जुटते हैं। लाखों संत, हजारों परंपराएं, सैकड़ों संप्रदाय, अनेकों अखाड़े—हर कोई इस आयोजन का हिस्सा बनता है। यहां कोई भेदभाव नहीं होता, कोई बड़ा नहीं होता, कोई छोटा नहीं होता।”
उन्होंने महाकुंभ को भारत की सांस्कृतिक धरोहर और उसकी असली ताकत के रूप में प्रस्तुत किया। महाकुंभ में भारत की विविधता और एकता का अद्भुत सामंजस्य देखने को मिलता है, जो दुनिया के अन्य हिस्सों में कहीं और देखने को नहीं मिलता। यह भारत की सांस्कृतिक समृद्धि और सामाजिक एकता का एक बेहतरीन उदाहरण है।
बस्तर ओलंपिक: नई क्रांति का आगाज
प्रधानमंत्री मोदी ने बस्तर ओलंपिक का भी जिक्र किया, जिसे उन्होंने एक नई क्रांति के रूप में प्रस्तुत किया। बस्तर में पहली बार ओलंपिक का आयोजन हुआ और इसमें सात जिलों के एक लाख 65 हजार खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। पीएम मोदी ने कहा कि यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि यह हमारे युवाओं के संकल्प और मेहनत की गाथा है। बस्तर ओलंपिक का आयोजन बस्तर क्षेत्र में एक नई ऊर्जा का संचार कर रहा है और वहां के युवा अपने स्वास्थ्य और खेल गतिविधियों को लेकर अब ज्यादा जागरूक हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने बस्तर ओलंपिक को एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा, जिससे ना केवल खेलों में रुचि बढ़ी है, बल्कि बस्तर के ग्रामीण इलाकों में भी एक नई सोच का विकास हुआ है। उन्होंने कहा कि इस तरह की पहल से समाज में सकारात्मक बदलाव आता है और युवाओं को अपने सपनों को पूरा करने का अवसर मिलता है।
मलेरिया और स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने मलेरिया को लेकर भारत में हुई प्रगति पर भी बात की। उन्होंने कहा, “डब्ल्यूएचओ के अनुसार मलेरिया के मामलों में भारत में भारी कमी आई है। मलेरिया की रोकथाम में भारत ने काफी सफलता हासिल की है।” यह स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार और सरकार की नीतियों की सफलता का प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी बताया कि भारत में मलेरिया के मामलों में लगातार गिरावट आई है, जो यह दर्शाता है कि सरकार द्वारा किए गए उपायों और जनता की जागरूकता के परिणामस्वरूप स्वास्थ्य में सुधार हुआ है।
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