
Jawaharlal Nehru Death Anniversary: पंडित नेहरू की आख़िरी रात: एक रहस्य या लापरवाही?
Jawaharlal Nehru Death Anniversary: पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री है। जवाहरलाल नेहरू जी ने भारत की स्वतंत्रता के लिए कई सारे योगदान दिए थे। आज यानी 27 मई के दिन उनकी मृत्यु हो गई थी। गांधी जी के नेतृत्व में उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपनी प्रतिभा भली बात ही दिखाई।
जवाहरलाल नेहरू पुण्यतिथि
आज देश भर में भारत के पहले प्रधानमंत्री की पुण्यतिथि मनाई जा रही है। आज के दिन सभी पंडित जवाहरलाल नेहरू को श्रद्धांजलि दे रहे हैं और उनके योगदान को याद कर रहे हैं। उनका निधन 27 मई 1964 को हुआ।
जीवन परिचय
पंडित जवाहरलाल नेहरू जी का जन्म 14 नवंबर 1889 में इलाहाबाद में हुआ था। उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था और उनकी माता का नाम स्वरूप रानी था।
जवाहरलाल नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू एक जाने माने वकील और स्वतंत्रता आंदोलन के एक वरिष्ठ नेता भी थे।
जवाहरलाल नेहरू ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने घर से ही प्राप्त करी, और उसके बाद वह इंग्लैंड चले गए जहां से उन्होंने हीरों स्कूल और कैंब्रिज विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई जारी रखी।
पुनः भारत लौटने के बाद नेहरू जी ने भारतीय राष्ट्र कांग्रेस को अपना साथी बना लिया। 1912 में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए और राजनीति में अपने कदम पसारने शुरू किया।
तकरीबन 1928 में वह कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए और 1930 और 1940 के दशक में स्वतंत्रता आंदोलन में उन्होंने अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
1947 में जब हमारा भारत आजाद हो गया था, पंडित जवाहरलाल नेहरू जी को देश का प्रथम प्रधानमंत्री चुना गया। 1964 तक पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के पद पर बने रहे।
नेहरू जी के निधन पर कई सवाल!
पंडित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद जनता में कई सारे सवाल घूमने लगे, जैसे सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि निधन के कई घंटे बाद तक उनके निधन की खबर को सबसे छुपा कर रखा गया। आपको बता दे की निधन के वक्त पंडित जी का शरीर बाथरूम में ही मिला था, क्या इतने बड़े नेता की देखभाल के लिए कोई मौजूद नहीं था?
मृत्यु से एक दिन पहले देहरादून से लौटे थे!
आपको बता दे की अपनी मृत्यु से एक दिन पहले वह शाम देहरादून से वापस दिल्ली लौटे थे। सूत्रों के अनुसार बताया जा रहा है कि निधन शेख कुछ समय पहले ही उनकी तबीयत खराब थी, इसी कारण चार दिनों तक वह छुट्टी पर थे, हालांकि छुट्टियों के बाद भी मैं सुधार नहीं आया।
दरअसल जनवरी 1964 के समय में नेहरू जी को एक गंभीर हार्ट अटैक आया था, इसके बाद उनकी हालत दिन प्रतिदिन बिगड़ती गई। तबीयत खराब के दौरान नेहरू जी का ज्यादातर कमकश का काम लाल बहादुर शास्त्री जी ही संभाल करते थे। सूत्रों के अनुसार यह भी पता चला है कि जब भी नेहरू जी चला करते थे तो उनके बाएं पैर में काफी दर्द रहता था।
हार्ट अटैक के बाद गंभीर हालत!
जनवरी में आए हार्ट अटैक के बाद से पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की तबीयत खराब रहने लगी थी। इसके बाद 26 में की रात तकरीबन 8:00 बजे वह अपनी बेटी इंदिरा गांधी के साथ हेलीकॉप्टर में सवार होकर दिल्ली पहुंचे। तबीयत और सफल से थके हुए नेहरू जी की सेवा उनका सेवक नाथूराम किया करता था।
बाथरूम में हुआ निधन
एक मशहूर लेखक जिनका नाम कुलदीप नैय ने अपनी लिखी हुई किताब “बिहाइंड थे लाइंस” मैं साफ-साफ लिखा कि 27 मई 1964 की रात पंडित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु उन्हीं के बाथरूम में हुई थी। पंडित जवाहरलाल नेहरू के डॉक्टर ने सावधान किया था कि जवाहरलाल नेहरू जी को अकेले बिल्कुल भी ना छोड़ा जाए, फिर भी उनके बाथरूम के पास कोई भी सेवक मौजूद नहीं था। लेखक कुलदीप की किताब में यह भी लिखा गया कि डॉक्टर विग इस बात की सूचना दी की बाथरूम में गिरने के तकरीबन 1 घंटे बाद तक जवाहरलाल नेहरू इस अवस्था में जमीन पर पड़े रहे।
कुछ तो उनकी तबीयत खराब थी और कुछ लापरवाही से देश के प्रधानमंत्री को हमसे छीन लिया गया।
आपको बता दे लेकिन प्रशासन के द्वारा नेहरू जी के निधन की वजह जो बताई गई है वह इससे बिल्कुल अलग है। अखबारों में कोई और ही बात छुपी हुई थी।
क्या छापा खबरों में?
पंडित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद “द गार्जियन” अखबार में यह लिखा गया कि, सुबह 6:30 बजे नेहरू जी को पैरालिटिक अटैक आया, और उसके तुरंत बाद हार्ट अटैक से उनकी मृत्यु हो गई। उन्होंने यह भी बताया कि तुरंत नेहरू जी को अस्पताल ले जाया गया किंतु उनका आधा शरीर कोमा में जा चुका था। शरीर में कुछ रिस्पांस ना मिलने के बाद कुछ घंटे पश्चात ही डॉक्टर ने उन्हें मृत्यु घोषित कर दिया।
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