
Jyeshtha Amavasya 2025: पितृ कृपा और शनि शांति का महासंयोग
Jyeshtha Amavasya 2025: सनातन धर्म में ज्येष्ठ अमावस्या की काफी मानता है। ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि जयंती और वट सावित्री व्रत भी रखा जाता है। ज्येष्ठ मास झुलस्ती हुई गर्मी और दान पुण्य का महीना भी माना जाता है। ज्येष्ठ अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान, ध्यान और दान पुण्य का विशेष महत्व होता है। हिंदू पंचांग की माने तो ज्येष्ठ अमावस्या 26 और 27 तारीख दोनों को है, ऐसे में अमावस्या किस दिन मनाई जाएगी? और ज्येष्ठ अमावस्या का महत्व क्या है आईए जानते हैं।
Jyeshtha Amavasya 2025
हिंदू धर्म में ज्येष्ठ अमावस्या की काफी मानता है। ज्येष्ठ अमावस्या को लेकर काफी सारी मान्यताएं हैं, कहां जाता है कि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन पितर पृथ्वी पर आते हैं। इतना ही नहीं बल्कि ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि जयंती और वट सावित्री व्रत भी मनाया जाता है।
Jyeshtha Amavasya कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ अमावस्या की शुरुआत 26 मई दोपहर 12:12 से शुरू होगी और इसका समापन अगले दिन यानी 27 मई सुबह 8:32 पर होगी। ऐसे में ज्येष्ठ अमावस्या 26 मई को मनाई जाएगी। 26 मई को सोमवार होने के कारण ज्येष्ठ अमावस्या को सोमवती अमावस्या भी कहा जाएगा।
Jyeshtha Amavasya का महत्व
सनातन धर्म में ऐसी मान्यता है कि, जेष्ठ अमावस्या के दिन पितर पृथ्वी लोक पर आते हैं, और अपने परिवार वालों को आशीर्वाद देते हैं। जिन लोगों पर पितृ दोष लगा रहता है या पितृदोष की शांति के लिए उपाय करने के लिए यह दिन सबसे उत्तम माना गया है। गिप्ट अमावस्या के दिन “शनि जयंती” भी मनाई जाएगी, और वट सावित्री व्रत भी रखा जाएगा। अगर कोई व्यक्ति जिस पर शनि का प्रकोप तेज है या कोई व्यक्ति शनि की साडेसाती से ग्रस्त है, वह इस दिन शनि देव को सरसों का तेल और काले तिल का तेल चढ़ाना चाहिए। ज्येष्ठ अमावस्या का दिन, दान पुण्य और ज्ञान के लिए सबसे शुभ माना गया है।
Jyeshtha Amavasya पूजा विधि
- ज्येष्ठ अमावस्या के दिन अगर आप कोई भी विधि करते हैं वह अत्यंत फलदाई मानी जाती है।
- ज्येष्ठ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए।
- अगर आप किसी पवित्र नदी में स्नान करने नहीं जा सकते हैं तो, अपने घर के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- सूर्य देव को गंगाजल मिलकर अर्ध अर्पित करें।
- इसके बाद अपनी पितरों की शांति के लिए पिंडदान करें या दान पूर्ण करें।
- जो भी व्यक्ति इस दिन तीर्थ स्नान करता है उनको अक्षय पूर्ण की प्राप्ति होती है और पितृ दोष से मुक्ति भी मिलती है।
- इसके बाद पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं, अक्षत सिंदूर आदि अर्पित करें।
- पीपल के पेड़ पर तेल का दीपक जलाएं और पेड़ की परिक्रमा भी करें।
- ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि देव की पूजा जरूर करें। जो भी व्यक्ति इस दिन शनि देव की पूजा करता है और तिल का तेल या सरसों का तेल दान करता है शनि देव उनसे अत्यंत प्रसन्न होते हैं।
Jyeshtha Amavasya के दिन क्या करें?
- ज्येष्ठ अमावस्या के दिन गौ माता, कुत्ते और कौवे को खाना जरुर खिलाना चाहिए।
- ज्येष्ठ अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ में जल जरुर चढ़ाएं, पेड़ के समक्ष दीप जरूर जलाएं।
- पीपल के पेड़ पर सूत जरूर बात ना चाहिए, और अगर कच्चा दूध चढ़ाया तो अत्यंत शुभ माना जाता है।
- मंदिरों में दिए का दान जरूर करना चाहिए।
- शनि देव के मंदिर में काले तिल का दान करना चाहिए।
- ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शाम के समय अपने घर के चारों दिशाओं में दिए जरूर जलाने चाहिए।
- घर के दक्षिण दिशा में पितरों के नाम का दिया जरूर जलाएं। और मुख्य द्वार पर भी जलाएं
यह भी पढ़े
Shani Jayanti 2025: कर्मफल दाता शनिदेव को प्रसन्न करने का दिव्य दिन
Vat Savitri Vrat 2025: वटवृक्ष का आशीर्वाद, बरगद की छांव और सुहाग की अटूट कामना