
क्यों पाकिस्तान ने Donald Trump को Nobel Peace Prize के लिए नामांकित किया Shehbaz Sharif का बड़ा बयान
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री Shehbaz Sharif ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक ऐसा बयान दिया है, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींच लिया है। Sharif ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump की सराहना करते हुए कहा कि पाकिस्तान ने उन्हें Nobel Peace Prize के लिए नामांकित किया है, क्योंकि उनकी मध्यस्थता ने भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को युद्ध में बदलने से रोका।
भारत–पाक तनाव और ट्रंप की भूमिका
Sharif का दावा है कि वर्ष 2025 की शुरुआत में जब भारत और पाकिस्तान के बीच हालात बेहद तनावपूर्ण हो गए थे, तब Donald Trump ने व्यक्तिगत पहल कर दोनों देशों को बातचीत की ओर मोड़ा। उनके अनुसार, यदि यह हस्तक्षेप न होता तो दक्षिण एशिया में “भयंकर युद्ध” छिड़ सकता था, जिससे लाखों लोगों की जान खतरे में पड़ती।
Sharif ने कहा –
“Donald Trump ने समय रहते दोनों देशों को बातचीत की राह दिखाई। यही वजह है कि पाकिस्तान ने उन्हें Nobel Peace Prize के लिए नामांकित किया है। यह हमारी ओर से आभार व्यक्त करने का तरीका है।”
संयुक्त राष्ट्र महासभा में ट्रंप की प्रशंसा
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में भाषण के दौरान भी Shehbaz Sharif ने Trump की तारीफ की। उन्होंने उन्हें “a man of peace” यानी शांति का दूत बताया।
Sharif के अनुसार, ट्रंप का यह प्रयास केवल भारत–पाक तक सीमित नहीं था। उन्होंने इथियोपिया–इजिप्ट और यूक्रेन संकट पर भी मध्यस्थता की कोशिशें कीं। हालांकि इन प्रयासों की सफलता पर सवाल उठाए जाते रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान मानता है कि Donald Trump ने दक्षिण एशिया को बड़े खतरे से बचाया।
पाकिस्तान की सिफारिश क्यों बनी चर्चा का विषय?
Nobel Peace Prize के लिए Donald Trump का नाम पाकिस्तान की ओर से आगे बढ़ाना कई वजहों से चर्चा में है।
- अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर असर – पाकिस्तान और अमेरिका के संबंध पिछले कुछ सालों से उतार–चढ़ाव में रहे हैं। ऐसे में यह नामांकन दोनों देशों के रिश्तों को नया मोड़ दे सकता है।
- भारत की प्रतिक्रिया – भारत ने हमेशा यह कहा है कि उसके द्विपक्षीय विवादों में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की ज़रूरत नहीं है। इसलिए पाकिस्तान का यह कदम भारत–अमेरिका–पाक रिश्तों में नई बहस को जन्म दे सकता है।
- आंतरिक आलोचना – पाकिस्तान के भीतर विपक्षी नेताओं ने इस नामांकन को “राजनयिक चापलूसी” कहा और सवाल उठाया कि क्या वास्तव में Trump की कोशिशें इतनी महत्वपूर्ण थीं कि उन्हें Nobel Peace Prize के योग्य माना जाए।
Nobel Peace Prize और विवादों का इतिहास
यह पहला मौका नहीं है जब Nobel Peace Prize को लेकर विवाद हुआ हो। अतीत में कई बार राजनीतिक कारणों से नामांकन हुए और आलोचना भी हुई। पाकिस्तान का यह निर्णय भी उसी सिलसिले को आगे बढ़ाता है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि Nobel Peace Prize केवल कूटनीतिक हस्तक्षेप पर नहीं, बल्कि दीर्घकालिक शांति प्रयासों पर दिया जाता है। ऐसे में Donald Trump को पुरस्कार मिलना अभी अनिश्चित है, लेकिन पाकिस्तान का यह समर्थन निश्चित ही उनकी छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नया आयाम देता है।
पाक–अमेरिकी संबंधों पर असर
Shehbaz Sharif ने हाल ही में कहा कि उनका अमेरिका दौरा बेहद सफल रहा। पाकिस्तान चाहता है कि अमेरिकी निवेश देश में बढ़े और दोनों देशों के बीच व्यापारिक साझेदारी मजबूत हो। Trump के नामांकन को कुछ विश्लेषक इसी रणनीति का हिस्सा मानते हैं।
यदि भविष्य में अमेरिका और पाकिस्तान के बीच सहयोग बढ़ता है, तो यह नामांकन “कूटनीतिक पुल” की तरह काम कर सकता है।
आलोचना और समर्थन दोनों
Donald Trump के लिए Nobel Peace Prize की सिफारिश जहां पाकिस्तान सरकार के लिए गर्व की बात बताई जा रही है, वहीं इसकी आलोचना भी हो रही है।
- भारत ने किसी भी तरह की तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को खारिज कर दिया है।
- पाकिस्तान के विपक्षी दलों ने इस कदम को “राजनीतिक नौटंकी” करार दिया।
- वहीं कुछ विश्लेषक मानते हैं कि Trump को इस नामांकन से अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नई मजबूती मिलेगी।
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