कांग्रेस सांसद Shashi Tharoor ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पहले संशोधन पर की गई आलोचनाओं का जबरदस्त जवाब दिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने पहले संशोधन को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने वाला बताते हुए नेहरू-गांधी परिवार पर कई आरोप लगाए थे। इसके जवाब में शशि थरूर ने एक सीधा सवाल उठाया, अगर पहला संशोधन इतना बुरा था, तो बीजेपी ने अपनी पहली दो सरकारों में इसे खत्म करने के लिए अपनी विशाल बहुमत का इस्तेमाल क्यों नहीं किया?
This is accurate. The Amendment was driven by entirely laudable considerations, and reflected Sardar Patel’s concerns as Home Minister arising from the crises of that time. But the language on press freedom as drafted was far too broad and could easily be misused. It took a… https://t.co/XtuhBOY987
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) December 16, 2024
पहले संशोधन का ऐतिहासिक महत्व
पहला संशोधन भारतीय संविधान में किया गया एक महत्वपूर्ण संशोधन था, जो खासतौर पर प्रेस की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ था। यह संशोधन पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के कार्यकाल में किया गया था और इसका उद्देश्य राष्ट्रीय संकटों के दौरान राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था को बनाए रखना था। शशि थरूर ने इसे उस समय की सामाजिक और राजनीतिक स्थिति के अनुरूप बताया और कहा कि यह संशोधन सरदार पटेल की चिंताओं से प्रेरित था, जो गृह मंत्री के रूप में उस वक्त देश में व्याप्त संकटों को लेकर चिंतित थे।
Shashi Tharoor का तर्क: बीजेपी का दोहरा रवैया
Shashi Tharoor ने यह भी बताया कि यदि प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी पहले संशोधन को इतना खराब मानते हैं, तो उन्हें अपनी सरकारों के दौरान इसे खत्म करने का प्रयास करना चाहिए था। थरूर ने कहा, “यदि यह वास्तव में इतना गलत था, तो बीजेपी ने अपनी विशाल बहुमत का उपयोग करके इसे क्यों नहीं खत्म किया?” उनका यह सवाल बीजेपी के दोहरे रवैये को सामने लाता है, जो पहले संशोधन की आलोचना तो करता है, लेकिन इसे अपनी सत्ता में न तो रद्द करता है और न ही इसका विरोध करता है।
जयराम रमेश का ऐतिहासिक संदर्भ
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी पहले संशोधन का ऐतिहासिक संदर्भ देते हुए बताया कि यह संशोधन क्यों किया गया था। उन्होंने इसे तीन प्रमुख कारणों से जोड़ा:
संवेदनशील समय में सांप्रदायिक प्रचार पर नियंत्रण,
जमींदारी उन्मूलन कानूनों को सुरक्षा देना,
अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण की सुरक्षा करना।
रमेश ने यह भी बताया कि इस संशोधन को लागू करने से पहले, एक चयन समिति ने इस विधेयक की समीक्षा की थी, जिसमें नेहरू, राजगोपालाचारी और डॉ. अंबेडकर जैसे नेताओं ने भाग लिया। इसके बाद, नेहरू ने अपने आलोचकों को सुना और संशोधन को और भी सटीक बनाया।
पीएम मोदी की आलोचनाएँ और उनका ऐतिहासिक दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने लोकसभा संबोधन में नेहरू-गांधी परिवार को आक्रामक रूप से निशाना बनाया था। उन्होंने दावा किया कि पहला संशोधन प्रेस की स्वतंत्रता पर कड़ा प्रतिबंध लगाता है, इंदिरा गांधी ने आपातकाल लागू किया और राजीव गांधी ने संविधान में संशोधन किया। मोदी ने कहा, “इस दौरान देश को एक जेल में तब्दील कर दिया गया था और न्यायपालिका को दबा दिया गया था।”
पहला संशोधन: एक महत्वपूर्ण कानूनी बदलाव
पहला संशोधन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को नियंत्रित करने के उद्देश्य से किया गया था। यह संशोधन सरकार को “समाज में शांति बनाए रखने” और “राज्य की सुरक्षा” जैसे कारणों से अभिव्यक्ति पर उचित प्रतिबंध लगाने का अधिकार देता है। इसका उद्देश्य उस समय की स्थिति को ध्यान में रखते हुए संविधान के सिद्धांतों का उल्लंघन होने से बचाना था, जबकि लोकतांत्रिक स्वतंत्रता को बनाए रखना था।
Shashi TharoorShashi Tharoor का सवाल: बीजेपी का दृष्टिकोण
Shashi Tharoor ने सवाल किया कि यदि पहला संशोधन इतना बुरा था, तो बीजेपी ने इसे समाप्त करने के लिए क्यों नहीं प्रयास किया? उनका यह सवाल बीजेपी के आलोचना करने के बावजूद, संशोधन के बारे में ठोस कदम उठाने की विफलता को दर्शाता है।
निष्कर्ष
पहला संशोधन एक ऐतिहासिक निर्णय था, जिसे उस समय की राष्ट्रीय परिस्थितियों और संकटों के मद्देनजर लागू किया गया था। शशि थरूर और जयराम रमेश ने इसका संदर्भ समझाया और यह बताया कि कैसे यह संशोधन समाज में शांति और न्याय की सुरक्षा के लिए किया गया था। इसके विपरीत, प्रधानमंत्री मोदी की आलोचनाएँ इस मुद्दे की पूरी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को नजरअंदाज करती हैं। शशि थरूर का सवाल महत्वपूर्ण है: “अगर यह इतना बुरा था, तो क्यों बीजेपी ने इसे खत्म नहीं किया?
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