
UP DGP Retirement: प्रशांत कुमार की विदाई या सेवा विस्तार? दलजीत चौधरी का नाम चर्चा में
UP DGP Retirement: उत्तर प्रदेश सरकार के वर्तमान कार्यवाहक DGP प्रशांत कुमार आज, यानी 31 मई 2025 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इसी दौरान शुक्रवार को IPS अधिकारी दलजीत चौधरी ने दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की है। इस बीच, प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार मिलने की भी अफवाहें चल रही हैं, हालांकि अभी तक इस बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। फिलहाल सभी की नजरें दिल्ली की ओर टिकी हुई हैं।
उत्तर प्रदेश पुलिस के कार्यवाहक DGP प्रशांत कुमार का कार्यकाल आज, यानी 31 मई 2025 को समाप्त हो रहा है। उनके रिटायर होने के साथ ही अब यह सवाल उठ रहा है कि राज्य का अगला DGP कौन होगा। इसको लेकर सरकार और प्रशासन के स्तर पर विचार-विमर्श शुरू हो गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मुद्दे को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की है। माना जा रहा है कि नए DGP की नियुक्ति को लेकर जल्द ही निर्णय लिया जा सकता है।
इसी बीच एक अहम मुलाकात ने सबका ध्यान खींचा है। शुक्रवार को सीनियर IPS अधिकारी दलजीत चौधरी ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या दलजीत चौधरी को यूपी का अगला DGP बनाया जा सकता है।
दलजीत चौधरी को अमित शाह का करीबी माना जाता है और फिलहाल वे सीमा सुरक्षा बल (BSF) में DG के पद पर कार्यरत हैं। वे उत्तर प्रदेश कैडर के IPS अधिकारी हैं और अखिलेश यादव सरकार के दौरान ADG (कानून-व्यवस्था) जैसे अहम पद पर काम कर चुके हैं। यह भी चर्चा है कि प्रशांत कुमार को रिटायरमेंट के बाद सेवा विस्तार (extension) दिया जा सकता है। इस पर अभी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।
फिलहाल पूरे प्रदेश की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि यूपी सरकार किसे अगला DGP नियुक्त करती है—प्रशांत कुमार को कुछ और समय देती है या दलजीत चौधरी जैसे किसी नए चेहरे को मौका देती है।
UP DGP Retirement: क्या प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार मिलेगा?
प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार मिलने के मौके बढ़ गए हैं। फिलहाल इस बारे में कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन खबरें और चर्चाएं तेज़ी से चल रही हैं। कहा जा रहा है कि सभी की नजरें दिल्ली की ओर टिकी हुई हैं, जहां से इस सेवा विस्तार के लिए मंजूरी मिलनी बाकी है।
अगर केंद्र सरकार से मंजूरी मिल जाती है, तो यह एक खास और नया मामला होगा क्योंकि यूपी के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा जब किसी कार्यवाहक DGP को सेवा विस्तार दिया जाएगा। यह सेवा विस्तार प्रशांत कुमार को कुछ और समय तक इस महत्वपूर्ण पद पर बने रहने का मौका देगा।
सूत्रों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार को एक आधिकारिक पत्र भी भेजा है, जिसमें प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार देने की सिफारिश की गई है। अब यह देखना होगा कि केंद्र सरकार इस पर क्या निर्णय लेती है और कब तक इस मामले में कोई अंतिम फैसला आता है।
UP DGP Retirement: DGP का चयन कैसे होता है?
उत्तर प्रदेश में DGP (Director General of Police) का चयन एक निर्धारित प्रक्रिया के तहत किया जाता है। इस प्रक्रिया में कई कदम होते हैं, ताकि सबसे योग्य और अनुभवी अफसर को यह जिम्मेदारी दी जा सके।
सबसे पहले, यूपी सरकार Union Public Service Commission (UPSC) को उन सभी अफसरों के नाम भेजती है जो DGP पद के लिए उपयुक्त माने जाते हैं। लेकिन इससे पहले, केंद्र सरकार का एक विभाग जिसे Department of Personnel and Training (DoPT) कहा जाता है, वह इन अफसरों में से तीन सबसे वरिष्ठ और योग्य अफसरों का एक पैनल बनाता है।
इन तीन अफसरों को चुना जाता है इस आधार पर कि उनका पदभार संभालने का अनुभव कम से कम दो साल का हो। अगर किसी अफसर का कार्यकाल सिर्फ छह महीने से कम बचा हो, तो उसके नाम को इस सूची में शामिल नहीं किया जाता।
फिर यह तीनों अफसरों के नाम UPSC को भेजे जाते हैं, जो इनमें से सबसे उपयुक्त अफसर को DGP के पद पर नियुक्त करने की सिफारिश करता है।
इस पूरी प्रक्रिया का मकसद यह है कि पुलिस की सबसे महत्वपूर्ण इस पोस्ट पर अनुभवी, योग्य और लम्बे समय तक सेवा दे सकने वाले अफसर को ही चुना जाए।
इस तरह से DGP का चयन पारदर्शिता और योग्यता के साथ होता है।
UP DGP Retirement: UP सरकार ने क्या बदलाव किए DGP चयन में?
उत्तर प्रदेश सरकार ने DGP (Director General of Police) के चयन के नियमों में बड़ा बदलाव किया है। अब DGP के चयन की जिम्मेदारी एक नई कमेटी के हाथों होगी, जिसकी अध्यक्षता एक रिटायर्ड हाईकोर्ट जज करेंगे।
इस कमेटी में कुल मिलाकर कई महत्वपूर्ण लोग शामिल होंगे, ताकि DGP के चयन में निष्पक्षता और पारदर्शिता बनी रहे। इस कमेटी के सदस्य इस प्रकार होंगे:
- एक रिटायर्ड हाईकोर्ट जज, जो कमेटी के अध्यक्ष होंगे।
- उत्तर प्रदेश के Chief Secretary, जो राज्य सरकार के सबसे वरिष्ठ अधिकारी होते हैं।
- Union Public Service Commission (UPSC) द्वारा नामित एक सदस्य।
- Uttar Pradesh Public Service Commission के अध्यक्ष या उनकी ओर से नामित कोई व्यक्ति।
- Home Department के Principal Secretary।
- एक रिटायर्ड DGP, जो पहले उत्तर प्रदेश पुलिस में कार्यरत रहे हों।
यह कमेटी मिलकर तय करेगी कि स्थायी DGP कौन होगा। यानी अब DGP के लिए चयन प्रक्रिया ज्यादा संगठित और पारदर्शी होगी।
इसके अलावा, कैबिनेट के पास इस नए नियम को मंजूरी दी गई है, जिसके अनुसार अब जो DGP चुना जाएगा उसका कार्यकाल दो साल का होगा। इसका मतलब है कि नया DGP कम से कम दो साल तक इस महत्वपूर्ण पद पर बने रहेगा।
यह नई व्यवस्था इसलिए बनाई गई है ताकि DGP के चयन में राजनीतिक दबाव कम हो और सबसे योग्य और अनुभवी अधिकारी को ही यह जिम्मेदारी मिल सके। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जा सके कि पुलिस प्रशासन की स्थिरता बनी रहे और काम में निरंतरता आए।
इस प्रकार, उत्तर प्रदेश में DGP के चयन का तरीका अब पहले से ज्यादा व्यवस्थित और मजबूत हो गया है।