
10th Ayurveda Day: क्यों खास है इसका आयोजन और क्या है इस बार की थीम?
10th Ayurveda Day: भारत की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद आज न केवल देश में बल्कि पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना रही है। 23 सितंबर 2025 को देशभर में 10वां आयुर्वेद दिवस मनाया जा रहा है। इस बार की थीम है – “लोगों के लिए आयुर्वेद, ग्रह के लिए आयुर्वेद”। यह थीम स्पष्ट रूप से बताती है कि आयुर्वेद सिर्फ व्यक्ति की सेहत तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका सीधा संबंध धरती, पर्यावरण और पूरे पारिस्थितिकी तंत्र से है।
क्यों मनाया जाता है आयुर्वेद दिवस?
आयुर्वेद दिवस की शुरुआत वर्ष 2016 में हुई थी। शुरुआत में इसे हर साल धन त्रयोदशी के दिन मनाया जाता था। लेकिन चूंकि धन त्रयोदशी की तारीख हर साल बदलती रहती है, इसलिए अब इसे एक स्थायी तारीख यानी 23 सितंबर को मनाने का निर्णय लिया गया है।
यह बदलाव इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 23 सितंबर को दिन और रात लगभग बराबर होते हैं, जिसे मौसम और प्रकृति के संतुलन का प्रतीक माना जाता है। आयुर्वेद का मूल दर्शन भी इसी संतुलन पर आधारित है – संतुलन ही स्वास्थ्य है और असंतुलन ही रोग।
इस बार खास क्या है?
इस वर्ष का मुख्य आयोजन गोवा में किया जा रहा है। यहां एक भव्य कार्यक्रम होगा जिसमें केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रताप राव जाधव सहित कई गणमान्य लोग शामिल होंगे।
इस अवसर पर राष्ट्रीय धन्वन्तरि आयुर्वेद पुरस्कार 2025 भी प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा, आयुर्वेद से जुड़े नए अभियानों, शोध योजनाओं और जन-जागरूकता कार्यक्रमों का ऐलान भी किया जाएगा।
आयुर्वेद: दुनिया को क्यों आकर्षित कर रहा है?
बीते कुछ वर्षों में आयुर्वेद की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है।
- 2017 में जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयुर्वेद दिवस मनाने की शुरुआत हुई, तब इसमें केवल 24 देश शामिल हुए थे।
- लेकिन 2024 तक यह संख्या बढ़कर 150 से अधिक देशों तक पहुंच गई।
दुनिया भर के लोग अब यह समझने लगे हैं कि केवल आधुनिक दवाओं पर निर्भर रहकर दीर्घकालिक सेहत पाना संभव नहीं है। तनाव, अव्यवस्थित जीवनशैली, और गैर-संचारी रोग (जैसे डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, मोटापा) तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में आयुर्वेद एक प्राकृतिक और टिकाऊ विकल्प बनकर सामने आया है।
आयुर्वेद का महत्व: केवल इलाज नहीं, जीवन जीने की कला
आयुर्वेद केवल रोगों का इलाज करने की विधा नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने का विज्ञान है।
- यह हमें दैनिक दिनचर्या (दिनचर्या) और ऋतुचर्या (मौसम के अनुसार जीवनशैली) का ज्ञान कराता है।
- आयुर्वेद का मानना है कि रोग को रोकना ही सबसे बड़ी चिकित्सा है।
- सही खानपान, नींद, व्यायाम और मानसिक संतुलन से हम बीमारियों से बच सकते हैं।
आयुर्वेद में शरीर, मन और आत्मा – तीनों के संतुलन पर जोर दिया जाता है। यही कारण है कि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग इससे जुड़ाव महसूस कर रहे हैं।
आयुष मंत्रालय और आयुर्वेद दिवस
आयुष मंत्रालय का गठन वर्ष 2014 में किया गया। इसका उद्देश्य था – देश में मौजूद पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों जैसे आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध, होम्योपैथी और प्राकृतिक चिकित्सा को बढ़ावा देना।
2016 से लगातार आयुर्वेद दिवस मनाने की परंपरा शुरू हुई और हर साल इसे और ज्यादा अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलती गई।
क्यों खास है 23 सितंबर की तारीख?
23 सितंबर को ही आयुर्वेद दिवस मनाने के पीछे गहरा तर्क है। इस दिन को शरद विषुव (Autumn Equinox) भी कहा जाता है, जब दिन और रात का समय लगभग समान होता है।
यह संतुलन आयुर्वेद के दर्शन से सीधा जुड़ा है। आयुर्वेद कहता है –
- जब प्रकृति संतुलन में होती है, तभी इंसान भी स्वस्थ रहता है।
- अगर यह संतुलन बिगड़ जाए, तो बीमारियां जन्म लेती हैं।
दुनिया में बढ़ती आयुर्वेद की मांग
आयुर्वेद आज केवल भारत तक सीमित नहीं है। अमेरिका, यूरोप और खाड़ी देशों में भी आयुर्वेदिक दवाओं, योग और पंचकर्म की मांग लगातार बढ़ रही है।
- WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) ने भी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देने पर जोर दिया है।
- भारत सरकार भी आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।
लोगों और ग्रह दोनों के लिए क्यों जरूरी है आयुर्वेद?
इस बार की थीम “लोगों के लिए आयुर्वेद, ग्रह के लिए आयुर्वेद” बेहद सार्थक है।
- आयुर्वेद न केवल शरीर को स्वस्थ रखता है, बल्कि यह हमें प्राकृतिक संसाधनों का संतुलित उपयोग करना भी सिखाता है।
- जड़ी-बूटियों और प्राकृतिक उपचार विधियों का इस्तेमाल पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचाता।
- आज जब पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण जैसी समस्याओं से जूझ रही है, ऐसे समय में आयुर्वेद एक टिकाऊ और पर्यावरण-मित्र समाधान प्रदान करता है।
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