
महाराष्ट्र में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) का प्रकोप: मुंबई में पहला मामला, पुणे में 180 तक पहुंचा आंकड़ा
महाराष्ट्र में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है। पुणे में अब तक 180 संदिग्ध मामलों की पुष्टि हो चुकी है, जबकि मुंबई में इस बीमारी का पहला मामला दर्ज किया गया है। अधिकारियों के अनुसार, मुंबई की एक 64 वर्षीय महिला को GBS से पीड़ित पाया गया है, जिससे राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गए हैं।
पुणे में हालात गंभीर, 58 मरीज ICU में भर्ती
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, पुणे में अब तक 180 संदिग्ध मामलों में से 146 को GBS से ग्रसित पाया गया है। इनमें से 79 मरीजों को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई है, जबकि 58 मरीज गहन चिकित्सा इकाई (ICU) में भर्ती हैं और 22 मरीजों को वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत पड़ रही है।
राज्य सरकार के अनुसार, पुणे क्षेत्र में अब तक छह मरीजों की मौत हो चुकी है।
मुंबई में पहला मामला, 64 वर्षीय महिला ICU में भर्ती
मुंबई में शुक्रवार को GBS का पहला मामला सामने आया। बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) के अधिकारियों ने बताया कि अंधेरी (पूर्व) की रहने वाली 64 वर्षीय महिला को इस दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल बीमारी से पीड़ित पाया गया है।
BMC कमिश्नर और राज्य-नियुक्त प्रशासक भूषण गगरानी ने बताया कि महिला को 21 जनवरी को बुखार और डायरिया की समस्या के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तीन दिनों के भीतर उन्हें पैरों में कमजोरी और चलने में कठिनाई होने लगी।
डॉक्टरों ने प्रारंभिक जांच के आधार पर Acute Inflammatory Demyelinating Polyneuropathy (AIDP), जो GBS का एक प्रकार है, का निदान किया। फिलहाल, महिला की हालत मध्यम बताई जा रही है और उनका ICU में इलाज जारी है।
GBS क्या है? कैसे फैलता है?
गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जिसमें शरीर की इम्यून सिस्टम गलती से परिधीय तंत्रिकाओं (nerves) पर हमला करने लगती है। इससे मरीज को मांसपेशियों में कमजोरी, हाथ-पैरों में झुनझुनी, सुन्नपन, सांस लेने में दिक्कत, निगलने में परेशानी और गंभीर मामलों में लकवे (paralysis) का खतरा रहता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, GBS किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है, लेकिन यह अधिकतर वयस्कों और पुरुषों में पाया जाता है।
GBS का प्रकोप क्यों फैला? राज्य सरकार ने बताया कारण
महाराष्ट्र सरकार ने शुक्रवार को पुष्टि की कि GBS मामलों का मुख्य कारण जलजनित बैक्टीरिया (Waterborne Bacteria) है।
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश अभितकर ने कहा,
“अब यह स्पष्ट हो गया है कि दूषित पानी के कारण ही GBS के मामले बढ़े हैं। जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होगी।”
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जल प्रदूषण रोकने के लिए एक नया कानून लाने पर विचार कर रही है, जिसमें जलस्रोतों को दूषित करने वाले व्यक्तियों और संस्थानों पर जुर्माना लगाया जाएगा।
पुणे में दूषित जल संकट, नांदेड़ गांव पर नजर
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि पुणे के नांदेड़ गांव में GBS के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। इस क्षेत्र में जलशुद्धिकरण और क्लोरीनेशन की प्रक्रिया को तेज करने के निर्देश दिए गए हैं।
पानी के नमूनों की जांच के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और केंद्र सरकार की विशेषज्ञ टीमों को बुलाया गया है।
सरकार ने यह भी आशंका जताई है कि खड़कवासला डैम के ऊपरी इलाके में मौजूद पोल्ट्री फार्म और रिसॉर्ट्स द्वारा छोड़ा गया दूषित पानी भी GBS के प्रसार का कारण हो सकता है।
राज्य सरकार के उठाए गए कदम
- सभी प्रभावित इलाकों में जल आपूर्ति की जांच
- जल स्रोतों के नियमित परीक्षण के निर्देश
- WHO और केंद्रीय स्वास्थ्य एजेंसियों के साथ समन्वय
- नया जल सुरक्षा कानून लाने की योजना
GBS से बचाव के लिए क्या करें?
विशेषज्ञों के अनुसार, GBS से बचने के लिए साफ और सुरक्षित पेयजल का उपयोग बेहद जरूरी है। इसके अलावा:
- उबला हुआ या फ़िल्टर किया हुआ पानी पिएं
- जलस्रोतों को दूषित न करें
- साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें
- किसी भी अज्ञात संक्रमण के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें