
Marathi language controversy: महाराष्ट्र में भाषा विवाद, MNS की रैली, गिरफ्तारी और राजनीतिक तनाव
Marathi language controversy: महाराष्ट्र में भाषा विवाद ने तूल पकड़ लिया है। मराठी न बोलने पर एक फूड स्टॉल मालिक की पिटाई से विवाद शुरू हुआ, जिसके बाद व्यापारी संगठनों और MNS के बीच टकराव बढ़ा। रैली, गिरफ्तारी, राजनीतिक बयानबाज़ी और पुलिस कार्रवाई ने माहौल को तनावपूर्ण बना दिया है।
Marathi language controversy: महाराष्ट्र में भाषा को लेकर विवाद
महाराष्ट्र में भाषा को लेकर विवाद अब काफी बढ़ गया है। राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस के कार्यकर्ता इस मुद्दे पर सड़कों पर उतर आए हैं। कुछ दिन पहले पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं ने एक फूड स्टॉल मालिक की पिटाई कर दी थी क्योंकि वह मराठी नहीं बोल रहा था। इस घटना के विरोध में व्यापारी संगठनों ने प्रदर्शन किया। अब इसके जवाब में एमएनएस कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को रैली निकाली, जिस पर पुलिस ने सख्ती दिखाई और कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया।
Marathi language controversy: रैली बिना पुलिस की इजाजत के निकाली गई
बताया जा रहा है कि यह रैली बिना पुलिस की इजाजत के निकाली गई थी, जिसकी वजह से ठाणे जिले में काफी ट्रैफिक जाम और तनावपूर्ण माहौल पैदा हो गया। रैली शुरू होने से पहले ही पुलिस ने कार्रवाई करते हुए एमएनएस के ठाणे और पालघर प्रमुख अविनाश जाधव समेत कई अहम नेताओं को सुबह 3:30 बजे ही हिरासत में ले लिया।
Marathi language controversy: MNS नेता संदीप देशपांडे सरकार की कार्रवाई पर बोले
MNS नेता संदीप देशपांडे ने सरकार की कार्रवाई पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि हालात ऐसे बना दिए गए हैं जैसे राज्य में आपातकाल लग गया हो। उन्होंने कहा कि हमारे नेताओं को तड़के ही गिरफ्तार कर लिया गया, जबकि गुजराती व्यापारियों की रैली को पूरी इज़्ज़त और अनुमति दी गई। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या ये महाराष्ट्र की सरकार है या गुजरात की? साथ ही उन्होंने यह भी साफ कहा कि सरकार रोकने की कितनी भी कोशिश करे, मराठी लोगों की यह रैली जरूर निकलेगी।
Marathi language controversy: रैली तय और मंजूर किए गए रास्ते पर नहीं निकाली गई
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने MNS के विरोध प्रदर्शन को लेकर अपनी बात रखते हुए कहा कि जो रैली निकाली गई थी, वह तय और मंजूर किए गए रास्ते पर नहीं निकाली गई। इसके चलते पुलिस को बीच में दखल देना पड़ा और कार्रवाई करनी पड़ी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि महाराष्ट्र एक लोकतंत्र है, और यहां हर किसी को अपनी बात कहने और शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने का अधिकार है। लेकिन इसके लिए कुछ नियम-कायदों का पालन करना जरूरी होता है। अगर कोई बिना अनुमति के या तय नियमों को तोड़कर प्रदर्शन करता है, तो प्रशासन को कानून के तहत कदम उठाने पड़ते हैं।
Marathi language controversy: घटना कैमरे में कैद सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गई
इस पूरे विवाद की जड़ एक घटना है जो महीने की शुरुआत में मीरा-भायंदर इलाके में हुई। वहां एक फूड स्टॉल चलाने वाले व्यक्ति को सिर्फ इसलिए कुछ MNS कार्यकर्ताओं ने पीट दिया क्योंकि वह मराठी भाषा में बात नहीं कर रहा था। यह पूरी घटना कैमरे में कैद हो गई और सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गई। इसके बाद व्यापारी समुदाय में काफी गुस्सा फैल गया और उन्होंने इस हमले के खिलाफ शांतिपूर्ण रैली निकालने का फैसला किया। लेकिन MNS ने इसे मराठी स्वाभिमान और अस्मिता का मुद्दा बताते हुए व्यापारियों की रैली का विरोध किया और खुद एक जवाबी रैली का आयोजन किया।
Marathi language controversy: पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने मामले पर नाराजगी जताई
इस विवाद पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने अपनी नाराजगी जताते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि अगर कोई राजनीतिक पार्टी सिर्फ इसलिए किसी को पीटती है क्योंकि वह मराठी नहीं बोलता, तो इसका समर्थन नहीं किया जा सकता। उन्होंने इस तरह की घटनाओं की कड़ी निंदा करते हुए सवाल उठाया कि अगर मराठी लोग दूसरे राज्यों में रह रहे हों, तो क्या वहां उन्हें भी ऐसे ही मारा जाएगा? चव्हाण ने मुख्यमंत्री से अपील की कि जो भी कानून अपने हाथ में लेता है, उसके खिलाफ सख्त और निष्पक्ष कार्रवाई की जाए, चाहे वह कोई भी हो।
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