Margashirsha Purnima 2024 जानें तारीख, महत्त्व और पूजा विधि दिसंबर को मनाई जाएगी, जो भगवान चंद्र की पूजा और आध्यात्मिक उन्नति का दिन है। इस दिन भक्तगण पवित्र नदियों में स्नान कर, भगवान विष्णु और दत्तात्रेय की पूजा करते हैं। यह दिन आत्म-चिंतन और दिव्यता के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
पूजा विधि में ब्रह्म मुहूर्त में उठकर व्रत करना, सूर्य को अर्घ्य देना, विशुद्ध वस्त्र पहनना और उपवास करना शामिल है। दत्तात्र
Margashirsha Purnima 2024 का महत्त्व: आध्यात्मिक उन्नति का दिन
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2024 हिंदू पंचांग में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे भगवान चंद्र की पूजा के साथ मनाया जाता है। इस दिन को आध्यात्मिक उन्नति के लिए विशेष माना जाता है, जिसमें भक्तगण पवित्र नदियों में स्नान कर, भगवान विष्णु और दत्तात्रेय की आराधना करते हैं। मार्गशीर्ष माह को पुराणों में अत्यंत शुभ बताया गया है, जो दिव्यता और आत्म-साक्षात्कार के लिए आदर्श समय होता है।
कब है Margashirsha Purnima 2024? जानें तिथि और समय
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2024 15 दिसंबर को मनाई जाएगी। पूर्णिमा तिथि 14 दिसंबर 2024 को शाम 4:58 बजे से शुरू होकर 15 दिसंबर 2024 को दोपहर 2:31 बजे समाप्त होगी।
Margashirsha Purnima 2024 की पूजा विधि: जानें कैसे करें पूजा और अनुष्ठान
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2024 के पवित्र दिन को “दिव्यता का दिन” माना जाता है, जब चंद्रमा का ग्रह के तत्वों पर पूर्ण नियंत्रण होता है। यह दिन हिंदू कैलेंडर के सबसे पवित्र महीने का अंत भी करता है, जो आध्यात्मिक उन्नति और आत्म-चिंतन के लिए आदर्श समय होता है।
पूजा विधि:
- ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करें: इस दिन की शुरुआत ब्रह्म मुहूर्त में उठकर व्रत करने और तुलसी के पत्तों के साथ पवित्र स्नान करने से होती है।
- सूर्य को अर्घ्य दें: स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य दें और मंत्रों का उच्चारण करें।
- विशुद्ध वस्त्र धारण करें: स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करें।
- दान और अर्घ्य करें: जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करें। रात को चंद्रमा को अर्घ्य देना भी महत्वपूर्ण होता है।
- उपवास करें: इस दिन उपवास करना चंद्र देवता को प्रसन्न करने और मानसिक शांति प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है।
दत्तात्रेय जयंती का महत्त्व: त्रिमूर्ति के अवतार की पूजा
दत्तात्रेय जयंती, जिसे दत्ता जयंती भी कहा जाता है, मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इस दिन भगवान दत्तात्रेय, जो त्रिमूर्ति के अवतार हैं, की पूजा की जाती है।
पूजा विधि:
- सात दिनों का श्री गुरुचरित्र पाठ: प्रमुख मंदिरों में सात दिनों का श्री गुरुचरित्र पाठ किया जाता है।
- निराहार व्रत रखें: भक्तगण इस दिन मांस, प्याज और लहसुन जैसे तामसिक खाद्य पदार्थों से परहेज करते हैं और केवल फल और दूध जैसे सात्विक खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं।
- पूजा सामग्री तैयार करें: भगवान दत्तात्रेय की मूर्ति या चित्र के सामने शंख, चक्र, गदा, त्रिशूल, कमंडल और भिक्षा पात्र रखकर पूजा करें।
- भजन और मंत्रों का आयोजन करें: मंदिरों में विशेष भजन और मंत्रों का आयोजन होता है।
शुभकामनाएँ: मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2024 और दत्तात्रेय जयंती पर पाएं भगवान का आशीर्वाद
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2024 और दत्तात्रेय जयंती के इस पावन अवसर पर भगवान दत्तात्रेय की शिक्षाओं का पालन करते हुए हम सभी अपने जीवन को करुणा, ज्ञान और विनम्रता से परिपूर्ण करें। उनके आशीर्वाद से हम सभी चुनौतियों को पार कर, अपनी आध्यात्मिकता को मजबूत कर, आंतरिक शांति प्राप्त कर सकें।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2024 और दत्तात्रेय जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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