
चर्च की ज़मीन पर मिले पुराने हिंदू मंदिर के अवशेष, चर्च ने दी पूजा की इजाज़त
केरल के पलाई में एक चर्च की ज़मीन पर खुदाई के दौरान एक पुराने हिंदू मंदिर के अवशेष मिले हैं। इन अवशेषों में शिवलिंग भी शामिल है। धार्मिक सद्भाव को ध्यान में रखते हुए चर्च प्रशासन ने हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार पूजा करने की अनुमति दे दी है।
मंदिर के अवशेष कैसे मिले?
खबरों के मुताबिक, यह ज़मीन वेल्लप्पाडु में श्री वनदुर्गा भगवती मंदिर से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 4 फरवरी को जब इस क्षेत्र में खेती से जुड़े कार्यों के लिए खुदाई की जा रही थी, तब यह मंदिर के अवशेष सामने आए। इसके बाद स्थानीय हिंदू समुदाय को इस बारे में जानकारी मिली और कुछ लोगों ने वहां दीप जलाकर प्रार्थना की।
चर्च प्रशासन का सकारात्मक रुख
वनदुर्गा भगवती मंदिर कमिटी के सदस्य विनोद ने बताया कि जब उन्हें इस बारे में जानकारी मिली, तो उन्होंने चर्च प्रशासन से संपर्क किया। चर्च के पादरियों और मंदिर समिति के सदस्यों के बीच बातचीत हुई और दोनों पक्षों ने इसे सकारात्मक रूप में लिया। इसके बाद चर्च ने वहां पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठान करने की अनुमति दी।
पलाई के चांसलर फादर जोसेफ कुट्टियानकल ने पुष्टि की कि खुदाई के दौरान एक मंदिर के अवशेष मिले हैं। उन्होंने कहा, “पलाई में हिंदू समुदाय के साथ हमारे बहुत अच्छे संबंध हैं और हम इस सद्भाव को बनाए रखना चाहते हैं। उनकी मांगों को सकारात्मक रूप से लिया गया है।”
स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया
मीनाचिल (पलाई) में हिंदू महा संघम के अध्यक्ष एडवोकेट राजेश पल्लट ने चर्च प्रशासन के इस फैसले की सराहना की। उन्होंने कहा कि उनके पूर्वज यहां एक मंदिर के अस्तित्व की बातें करते थे। बताया जाता है कि यह मंदिर करीब 200 साल पहले अस्तित्व में था, और 100 साल पहले तक लोग यहां पूजा किया करते थे, लेकिन बाद में मंदिर को नष्ट कर दिया गया।
स्थानीय लोगों के अनुसार, यह ज़मीन पहले एक ब्राह्मण परिवार के पास थी, जिसे बाद में कई बार बेचा गया। धीरे-धीरे यह संपत्ति चर्च के पास पहुंच गई। अब मंदिर के अवशेष मिलने के बाद इसे फिर से धार्मिक स्थल के रूप में पुनर्स्थापित करने की मांग उठ रही है।
यह घटना धार्मिक सहिष्णुता और सद्भाव का उदाहरण पेश करती है, जहां चर्च ने बिना किसी विवाद के हिंदू समुदाय को पूजा करने की अनुमति दी। इससे क्षेत्र में सांप्रदायिक सौहार्द को भी बढ़ावा मिलेगा।
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