Deepak Prakash, जो न विधायक हैं, न ही विधान परिषद के सदस्य। इसके बावजूद उन्हें राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) की ओर से एकमात्र मंत्री के रूप में शपथ दिलाई।
गुरुवार को नीतीश कुमार ने रिकॉर्ड दसवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उनके साथ कुल 27 मंत्रियों ने भी शपथ ली, लेकिन इस सूची में एक नाम सबसे अधिक सुर्खियां बटोर रहा है Deepak Prakash, जो न विधायक हैं, न ही विधान परिषद के सदस्य। इसके बावजूद उन्हें राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) की ओर से एकमात्र मंत्री के रूप में शपथ दिलाई।
यह फैसला इसलिए भी चौंकाने वाला है क्योंकि माना जा रहा था कि सासाराम से विधायक बनीं स्नेलता कुशवाहा—जो आरएलएम प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी हैं—को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा। पार्टी ने चुनाव में छह में से चार सीटें जीती थीं, और सभी विजयी चेहरे मजबूत दावेदार माने जा रहे थे। ऐसे में अचानक से दीपक प्रकाश का सामने आना राजनीतिक गलियारों के लिए बड़ा रहस्य बन गया है।
राजनीति में नया और अनजाना चेहरा
नीतीश कुमार ने इस बार के मंत्रिमंडल में पुराने चेहरों के साथ-साथ दस नए नामों को शामिल किया है। इन्हीं में से एक हैं दीपक प्रकाश, जिन्हें आरएलएम के भीतर भी बहुत कम लोग जानते थे।
सूत्रों के मुताबिक़ दीपक हाल ही में विदेश से पढ़ाई करके लौटे हैं और बिहार की राजनीति में अभी तक सक्रिय भूमिका में नहीं दिखे।
शपथ लेने के बाद उन्होंने कहा:
“मेरे पिता ही मेरी प्रेरणा हैं। राजनीति में आने का फैसला मैंने उन्हीं को देखकर किया। मुझे भी कैबिनेट में शामिल किए जाने की जानकारी आखिरी वक्त पर मिली, यह मेरे लिए भी सरप्राइज था।”
उपेंद्र कुशवाहा की रणनीति बेटे को मंत्री बनाना क्यों फायदेमंद?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि Deepak Prakash की एंट्री के पीछे उपेंद्र कुशवाहा की सोची-समझी रणनीति है।
वरिष्ठ पत्रकार फ़ैज़ान अहमद के अनुसार “अगर कुशवाहा अपने किसी विधायक जैसे पत्नी स्नेलता को मंत्री बनाते, तो विधान परिषद की सीट उनके हाथ से निकल सकती थी। बेटे को मंत्री बनाकर उन्होंने दोहरा फायदा लिया है एक MLA सीट सुरक्षित और एक MLC सीट की दावेदारी भी बरकरार।”
नियमों के अनुसार, दीपक को अगले छह महीनों के भीतर विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य बनना होगा। यानी साफ है कि आरएलएम अब विधान परिषद की सीट पर अपनी दावेदारी मजबूत करेगी।
उपेंद्र कुशवाहा ने इस निर्णय को युवाओं को बढ़ावा देने की जरूरत बताया। उनके शब्दों में “युवाओं में काम करने की क्षमता अधिक होती है। राजनीति में भी उन्हें आगे लाना जरूरी है।”
कौन हैं Deepak Prakash?
आरएलएम की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, Deepak Prakash का जन्म 1989 में हुआ। 2011 में सिक्किम मणिपाल यूनिवर्सिटी से बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग पूरा किया। दो साल तक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम किया। इसके बाद सेल्फ-एम्प्लॉयड होकर पारिवारिक कार्यों में जुड़े। पार्टी का दावा है कि वह 2019-20 से राजनीति में सक्रिय हैं। लेकिन स्थानीय राजनीतिक हलकों में उन्हें अब तक सक्रिय रूप से नहीं देखा गया। फ़ैज़ान अहमद कहते हैं “लोग उन्हें जानते ही नहीं। उनकी कोई राजनीतिक गतिविधि सार्वजनिक तौर पर दिखाई नहीं दी है।”
नीतीश का मंत्रिमंडल
नीतीश कुमार ने इस बार मंत्रिमंडल में जातीय संतुलन, राजनीतिक अनुभव, और नए चेहरों का मिश्रण रखने की कोशिश की है।
महत्वपूर्ण शामिलियां बीजेपी से सम्राट चौधरी, विजय कुमार सिन्हा, मंगल पांडे, नितिन नबीन समेत 14 मंत्री। जेडीयू से बिजेंद्र प्रसाद यादव, विजय चौधरी, श्रवण कुमार समेत 8 मंत्री। एलजेपी (आर) से 2 मंत्री, हम और आरएलएम से: 1-1 मंत्री (यही जगह दीपक को मिली)। नए चेहरे, श्रेयसी सिंह, रमा निषाद, राम कृपाल यादव, संजय कुमार सिंह, दीपक प्रकाश।
महिला मंत्री श्रेयसी सिंह, रमा निषाद, लेशी सिंह। जातीय संरचना 27 मंत्रियों में 8 सवर्ण, 5 दलित, 1 मुस्लिम 13 OBC/EBC.
बिहार की राजनीति का गणित
2024 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी और उसने 89 सीटों पर जीत दर्ज की। बिहार में मुख्यमंत्री सहित अधिकतम 36 मंत्री बन सकते हैं, और पहले चरण में 27 मंत्रियों को जगह दी गई है।
मंत्रिमंडल मेंDeepak Prakash की एंट्री भले ही अप्रत्याशित रही हो, लेकिन यह साफ है कि यह कदम सिर्फ युवा नेतृत्व का नहीं बल्कि राजनीतिक व्यूह रचना का हिस्सा है जहां एक MLA सीट भी बरकरार रहती है और भविष्य के लिए MLC की ताकत भी सुरक्षित की जाती है।
बिहार की राजनीति में यह कदम आने वाले दिनों में नए समीकरणों की ओर संकेत करता है, और सभी की निगाहें अब दीपक प्रकाश के प्रदर्शन और उनकी राजनीतिक भूमिका पर टिकी रहेंगी।
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