
Caste Census in India: मोदी सरकार का चौंकाने वाला फैसला या चुनावी रणनीति? जानिए पूरी कहानी
Caste Census in India: जब पूरा देश Pahalgam attack के बाद पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक की उम्मीद कर रहा था, तब Modi government ने एक ऐसा Out of Syllabus फैसला लिया, जिसने राजनीति की दिशा ही बदल दी। जिस समय सोशल मीडिया और टीवी चैनलों पर बदले की मांग हो रही थी, ठीक उसी समय सरकार ने caste census in India को मंजूरी देकर एक अलग विमर्श की शुरुआत कर दी।
यह निर्णय ना सिर्फ चौंकाने वाला था, बल्कि इसकी टाइमिंग भी बेहद खास थी। सुरक्षा की मांग कर रहे राष्ट्र को सरकार ने सामाजिक न्याय के एजेंडे की ओर मोड़ दिया।
“एक रहेंगे, सेफ रहेंगे” से “कौन जात हो?” तक का सफर
बीते कुछ महीनों में बीजेपी नेताओं ने कई मंचों से एकता की बातें की थीं—जैसे “बंटोगे तो कटोगे” या “एक रहेंगे, सेफ रहेंगे”। लेकिन Modi government’s caste census decision ने इस नैरेटिव को बदल दिया। इस फैसले ने सीधे तौर पर Rahul Gandhi और विपक्षी दलों के एजेंडे को छू लिया है।
Rahul Gandhi लगातार संसद के भीतर और बाहर, भारत में जातिगत जनगणना की मांग कर रहे थे। विदेश दौरों पर भी उन्होंने इस मुद्दे को उठाया। Tejashwi Yadav, Nitish Kumar और कांग्रेस शासित राज्यों ने भी इसे राजनीतिक मुख्यधारा में ला दिया था।
पहलगाम हमला और देश की उम्मीदें
26 अप्रैल को हुए Pahalgam terrorist attack में 28 निर्दोष लोगों की जान गई। पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने गोलियां चलाईं। देशवासियों की नजर सरकार पर थी—क्या होगा अगला कदम? क्या फिर से एक सर्जिकल स्ट्राइक होगी? क्या जवाब आएगा?
सरकार की बैठकों और मीडिया रिपोर्ट्स ने माहौल ऐसा बनाया कि कुछ बड़ा होने वाला है। लेकिन जब caste census in India का ऐलान हुआ, तो सब चौंक गए। यह फैसला एक तरह से पाकिस्तान के जवाब से ज्यादा घरेलू राजनीति को प्रभावित करने वाला था।
जातिगत जनगणना: सामाजिक ज़रूरत या राजनीतिक शतरंज?
जाति हमेशा से भारतीय राजनीति का अहम हिस्सा रही है। हर नेता को अपने क्षेत्र की जातिगत गणना पता होती है। उसी आधार पर ticket distribution, agenda planning और vote bank politics होती है।
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Rahul Gandhi इसे “India’s X-Ray” कहते हैं।
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Bihar, Karnataka, और Telangana जैसे राज्यों ने caste survey कराया।
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SECC 2011 के तहत जातिगत डेटा जुटाया गया, लेकिन वह कभी सार्वजनिक नहीं हुआ।
SECC 2011 और पुराने विवाद
UPA government ने 2011 में Socio Economic and Caste Census (SECC) कराया। 25 करोड़ परिवारों का सर्वे किया गया, पर 2014 में Modi government बनने के बाद केवल आर्थिक आंकड़े जारी किए गए। जातिगत डेटा रोक दिया गया।
2018 और फिर 2021 में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आंकड़ों में “त्रुटियाँ” हैं, इसलिए इसे जारी नहीं किया जा सकता।
जनगणना के बाद क्या होगा?
अगर caste census in India हुआ, तो कई बड़े बदलाव सामने आ सकते हैं:
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OBC Reservation Increase: वर्तमान 27% आरक्षण में वृद्धि की मांग तेज होगी।
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Quota Limit 50%: सुप्रीम कोर्ट की तय सीमा को चुनौती दी जा सकती है।
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Delimitation और सीटों का पुनर्वितरण हो सकता है।
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Legal clarity: आंकड़ों की मौजूदगी से नीति बनाना आसान होगा।
Congress और विपक्षी दल पहले ही आरक्षण सीमा 50% से बढ़ाने की मांग कर चुके हैं।
Caste Census in India: चुनौतियां क्या हैं?
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भारत में हज़ारों जातियां और उपजातियां हैं।
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नाम, गोत्र, उपनाम, क्षेत्रीय पहचान में अंतर है।
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राजनीतिक हेरफेर का डर है।
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जाति को प्रमाणित करना एक बड़ा प्रशासनिक काम होगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि digital census के जरिए अब यह आसान हो सकता है। नए जनगणना फॉर्म में जाति वाला कॉलम अनिवार्य किया जाएगा।
कब होगा caste census?
सरकार ने संकेत जरूर दिए हैं, लेकिन अभी तक official announcement नहीं हुआ है। संभावना है कि 2025-26 के बीच जनगणना हो और उसी दौरान जातिगत आंकड़े भी एकत्र किए जाएं।
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