Karnataka stray dog policy: कुत्ते के काटने पर अब मिलेगा 5 लाख का मुआवजा, कर्नाटक सरकार का बड़ा फैसला
Karnataka stray dog policy: कर्नाटक सरकार ने आवारा कुत्तों के हमलों को रोकने और पीड़ितों को राहत देने के लिए एक अहम कदम उठाया है। राज्य में अब कुत्ते के काटने से अगर किसी की मौत होती है, तो पीड़ित परिवार को 5 लाख रुपये का मुआवजा मिलेगा। यह फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि राज्य में पिछले कुछ महीनों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें लोग गंभीर रूप से घायल हुए या जान गंवा बैठे।
सरकार ने बताया कि कुत्तों द्वारा किए गए गंभीर हमलों में घायलों को भी आर्थिक सहायता दी जाएगी। अगर किसी व्यक्ति को ऐसी चोटें लगें जिनमें त्वचा फट जाए, गहरे घाव बन जाएं या कई जगह काटा गया हो, तो उसे कुल 5 हजार रुपये की मदद दी जाएगी। इसमें से 3500 रुपये सीधे पीड़ित को और 1500 रुपये उसके इलाज के लिए सुवर्ण आरोग्य सुरक्षा ट्रस्ट को दिए जाएंगे।
कुत्तों के काटने की घटनाओं में बढ़ोतरी, सरकार हुई सख्त
बेंगलुरु समेत कर्नाटक के कई शहरों में आवारा कुत्तों का खतरा लगातार बढ़ रहा है। आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ने, टीकाकरण न होने और नसबंदी योजनाओं के ठीक से लागू न होने के कारण हालात और बिगड़े हैं। सरकार को कई शिकायतें मिलीं कि कुत्तों के हमले खासकर बच्चों और बुजुर्गों पर ज्यादा हो रहे हैं।
इन्हीं घटनाओं के बाद सरकार ने मुआवजा नीति को बेहतर बनाने का फैसला किया। यह कदम न केवल पीड़ित परिवारों की मदद करेगा बल्कि नगर निकायों पर भी जिम्मेदारी बढ़ाएगा कि वे सड़क पर कुत्तों से जुड़ी समस्याओं को गंभीरता से लें।
तमिलनाडु से भी आए चौंकाने वाले आंकड़े
सिर्फ कर्नाटक ही नहीं, देश के अन्य राज्यों में भी यह समस्या गंभीर होती जा रही है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने तमिलनाडु के आंकड़ों पर चिंता जताई है। उन्होंने बताया कि इस साल राज्य में 5.25 लाख से ज्यादा लोग कुत्तों के काटने का शिकार बने हैं। वहीं 28 लोगों की मौत रेबीज की वजह से हो चुकी है।
चिदंबरम ने कहा कि कुत्तों से प्यार करने वालों की भावना का सम्मान करते हुए भी इस खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि कुत्तों की नसबंदी, टीकाकरण और नियंत्रण जरूरी है, वरना हालात हाथ से निकल सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने दिए कड़े आदेश
कुत्तों के हमलों की बढ़ती घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने भी सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि—
- हर स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन जैसी जगहों से आवारा कुत्तों को तुरंत हटाया जाए।
- पकड़े गए कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के बाद उन्हें इन जगहों पर वापस नहीं छोड़ा जाएगा।
- इन कुत्तों को निर्धारित कुत्ता आश्रय गृहों में भेजा जाएगा।
- संस्थानों की जिम्मेदारी होगी कि वे कुत्तों को पकड़कर सुरक्षित स्थान पर भिजवाएं।
- सभी सार्वजनिक स्थानों पर मजबूत बाउंड्री (फेंसिंग) बनाई जाए ताकि कुत्ते दोबारा अंदर न जा सकें।
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि अगर आदेश का पालन नहीं किया गया तो राज्यों के मुख्य सचिव और संबंधित अधिकारी व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे।
क्या बदलेगा इस फैसले के बाद?
कर्नाटक सरकार का यह फैसला लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर लिया गया है। यह कदम कई स्तरों पर असर डाल सकता है—
- पीड़ित परिवारों को आर्थिक राहत मिलेगी।
- नगर निगम कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण पर ज्यादा ध्यान देंगे।
- सड़क पर सुरक्षा बढ़ेगी, खासकर बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों के लिए।
- आवारा कुत्तों से जुड़े हादसों के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ेगी।
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि सिर्फ मुआवजा तय कर देने से समस्या खत्म नहीं होगी। आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करने के लिए नसबंदी, टीकाकरण और जिम्मेदार डॉग फीडिंग की नीतियों पर कड़ाई से अमल जरूरी है।
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