
Bihar Politics 2025: नीतीश कुमार का बार-बार ‘मां-बाप’ तंज! ,क्या यह 2025 की चुनावी रणनीति का हिस्सा है?
Bihar Politics 2025: बिहार विधानसभा में एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का तीखा हमला चर्चा में है। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा – “तुम्हारे मां-बाप ने क्या किया? कुछ नहीं!” ये तंज सीधे लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी पर था, जो बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं। लेकिन यह सवाल उठता है कि नीतीश कुमार बार-बार तेजस्वी के मां-बाप पर हमला क्यों करते हैं? क्या यह सिर्फ एक तंज है या 2025 के विधानसभा चुनाव के लिए एक सोची-समझी रणनीति?
इस लेख में हम समझेंगे कि नीतीश कुमार की यह रणनीति किन वजहों पर टिकी है और इसका असर क्या हो सकता है।
‘जंगलराज’ की छवि को जिंदा रखना
नीतीश कुमार 2005 से ही लालू-राबड़ी शासनकाल को ‘जंगलराज’ कहकर जनता के सामने लाते रहे हैं। उस दौर में अपराध, भ्रष्टाचार और चारा घोटाले जैसे मुद्दों ने आरजेडी की छवि को नुकसान पहुंचाया। नीतीश कुमार हर चुनाव में उस दौर की याद दिलाते हैं ताकि अपनी ‘सुशासन बाबू’ की छवि को मजबूत कर सकें।
इस रणनीति का सीधा असर उन मतदाताओं पर पड़ता है जो महिलाओं की सुरक्षा, कानून-व्यवस्था और सरकारी कामकाज में सुधार को प्राथमिकता देते हैं।
तेजस्वी की युवा छवि को कमजोर करना
तेजस्वी यादव युवाओं में लोकप्रिय होते जा रहे हैं। रोजगार, आरक्षण और शिक्षा जैसे मुद्दों पर उनकी पकड़ मजबूत दिख रही है। एक सर्वे के अनुसार, 42% युवा उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए पसंद करते हैं।
नीतीश कुमार उन्हें “बच्चा” कहकर उनकी राजनीतिक परिपक्वता पर सवाल उठाते हैं। साथ ही, लालू-राबड़ी शासन की नाकामियों से जोड़कर यह दिखाने की कोशिश करते हैं कि तेजस्वी भी उसी परंपरा के वारिस हैं।
एनडीए वोट बैंक का ध्रुवीकरण
नीतीश कुमार का यह हमला सवर्ण, गैर-यादव ओबीसी और अति पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को एकजुट करने की रणनीति भी है। लालू यादव के ‘MY समीकरण’ (मुस्लिम-यादव) को नीतीश ने बीजेपी के साथ मिलकर तोड़ा था।
नीतीश बार-बार लालू-राबड़ी शासन की याद दिलाकर यह दिखाना चाहते हैं कि आरजेडी का दौर इन समुदायों के लिए नुकसानदायक था। इससे एनडीए की पकड़ मजबूत होती है।
पुरानी राजनीतिक रंजिश
लालू यादव और नीतीश कुमार की दोस्ती 1970 के दशक से शुरू हुई थी, लेकिन 1994 में नीतीश ने समता पार्टी बनाकर अलग रास्ता चुना। नीतीश का दावा है कि उन्होंने ही लालू को मुख्यमंत्री बनवाया, लेकिन उनके शासन से असहमति होने के बाद दोनों की राहें जुदा हो गईं।
आज जब नीतीश तेजस्वी पर हमला करते हैं, तो उसमें न सिर्फ राजनीतिक चाल होती है, बल्कि एक पुरानी व्यक्तिगत नाराजगी भी झलकती है।
तेजस्वी के ‘जंगलराज 2.0’ नैरेटिव का जवाब
तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर कानून-व्यवस्था को लेकर ‘जंगलराज 2.0’ का नैरेटिव शुरू किया है। वे लगातार अपराध, बेरोजगारी और शिक्षा जैसे मुद्दों पर नीतीश को घेरते हैं।
इसके जवाब में नीतीश लालू-राबड़ी के दौर की स्थिति को याद दिलाते हैं और यह दिखाने की कोशिश करते हैं कि अगर आरजेडी वापस आई तो फिर वही पुराने दिन लौटेंगे। यह डर दिखाकर वे जनता को सावधान करना चाहते हैं।
2025 का चुनाव: किसकी रणनीति कारगर?
नीतीश कुमार की यह रणनीति नई नहीं है। वे हर चुनाव में लालू-राबड़ी शासन को निशाना बनाकर अपनी उपलब्धियों को आगे रखते हैं। लेकिन इस बार चुनौती बड़ी है – तेजस्वी यादव युवा हैं, आक्रामक हैं और जनता से सीधे संवाद कर रहे हैं। हाल ही में आए एक सी-वोटर सर्वे के अनुसार, नीतीश कुमार के काम से 58% लोग संतुष्ट हैं, लेकिन तेजस्वी की लोकप्रियता में भी गिरावट देखी गई है। फिर भी, युवाओं में तेजस्वी की पकड़ नीतीश के लिए एक गंभीर चुनौती बनी हुई है।
नीतीश कुमार का ‘मां-बाप’ वाला तंज सिर्फ एक भावनात्मक बयान नहीं, बल्कि एक सोची-समझी चुनावी रणनीति है। इसका मकसद तेजस्वी की विश्वसनीयता को कमजोर करना, पुराने शासन की गलतियों की याद दिलाना, और अपनी ‘सुशासन’ छवि को मजबूत बनाए रखना है।
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